रीता और मीना का आज आखिरी पेपर था. दोपहर घर पहुंचीं तो उन की खुशी देखते ही बनती थी. 2 महीनों से पढ़ाई और सिर्फ पढ़ाई में व्यस्त थीं. 12वीं कक्षा की पढ़ाई छात्रों के लिए बेहद अहम होती है. इसी कक्षा के नंबरों पर आगे की पढ़ाई निर्भर करती है. अगर नंबर थोडे़ भी कम हुए तो किसी भी अच्छे कालेज में दाखिला नहीं मिल सकता. इसीलिए 2 महीनों से रीता और मीना ने पढ़ाई के लिए दिनरात एक कर दिए थे. आज एक बड़ा बोझ उन के सिर से उतर गया था. आज दोनों का पिक्चर देखने जाने का प्रोग्राम था. रीता और मीना ऐडल्ट मूवी देखने गईं, जिस की उन की सहेलियों में बहुत चर्चा थी. वे दोनों भी खुद को वयस्क मानने लगी थीं. शरीर में होते हारमोनल बदलाव को वे महसूस करने लगी थीं.
पिक्चरहौल में जा कर देखा तो आधे से अधिक दर्शक 12वीं कक्षा के छात्र थे. पिक्चर शुरू होते ही हौल में सन्नाटा छा गया. सब का ध्यान स्क्रीन पर था. हीरो और हीरोइन का रोमांस करना, एकदूसरे को चूमना जवान दिलों की धड़कनों को बढ़ाने के लिए काफी था. पहली बार सब ऐसे दृश्य देख रहे थे. सब की धड़कनें बेकाबू होती जा रही थीं. सभी अलग ही दुनिया में विचरण कर रहे थे. मूवी खत्म हुई तो बाहर आने वाले सब छात्रों के चेहरे देखने लायक थे. कुछ के चेहरे रोमांच से लाल थे तो कुछ मुंह नीचा किए जा रहे थे मानों उन से कोई अपराध हो गया हो. रीता और मीना भी कुछ इसी भाव से भरी हुई थीं. आज रात में दोनों एकसाथ ही रहने वाली थीं. दोनों सीधे घर आईं और मूवी के डायलौग दोहराने लगीं. दोनों का हंसहंस कर बुरा हाल था.
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