टपोरी टाइप धारावाहिकों में सास को खड़ूस दिखाने और देखने वाले हैरान थे कि दोनों बहुएं अपनी सासूमां की खातिर किस कदर परेशान थीं. अपनी दोनों बहुओं को बेटियों की तरह प्यार करती थीं राधिका. मगर आज जीवन और मौत से जूझ रही थीं. फिर एक दिन...

‘जीवन ज्योति’ हौस्पिटल के आईसीयू के बाहर बैंच पर बैठे राधिका के परिवारजन मन ही मन सबकुछ ठीक हो जाने की कल्पना कर रहे थे. 2 दिन पहले ही 60 वर्षीय राधिका सुबह की सैर से वापस आ रही थी तो एक बाइक की तेज स्पीड के चपेटे में आ गई और सड़क के किनारे उछल कर दूर गिरने से सिर फट गया. घायल अवस्था में उन्हें हौस्पिटल पहुंचाया गया था. हाथ की हड्डी भी टूट गई थी, पैरों पर भी चोटें लगी थीं और अब वे कोमा में थी. बाइक सवार का कुछ पता नहीं था. बैंच पर बैठी उन की तीनों बहुओं के आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे. बड़ी बहू वत्सला कभी मं?ाली बहू रेनू को दिलासा देती तो कभी रेनू सिसकती हुई अंजलि को अपने सीने से लगा लेती. तीनों के पति और बच्चे तो घर जा कर फ्रैश भी हो कर आ गए थे लेकिन तीनों बहुएं जबरदस्ती एकदूसरे को भेज कर नहाधो कर तुरंत आ गई थीं.ड्ड

डाक्टर्स, नर्स, आसपास के लोग तीनों बहुओं की हालत पर हैरान थे. कोई बहू अपनी सास की इस हालत पर इतना तड़प सकती है, यह बात सब को अचंभे में डाल रही थी. तीनों के पति उन के लिए खाना भी ले कर आते रहे लेकिन वह खाना वैसे का वैसा वापस जा रहा था. तीनों के मुंह में मुश्किल से बस चाय और रोटी के 2 निवाले जा पाए थे. तीनों बेहाल थीं.

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