कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
0:00
12:24

दोपहर में नमनजी ने एक मेल दिखाते हुए काव्या से उस का रिप्लाई बनाने को कहा. कंपनी सैक्रेटरी ने आज ही औफिस स्टाफ की कंप्लीट डिटेल मंगवाई थी. रिपोर्ट बनाते समय अचानक काव्या मुसकरा उठी जब मनन की डिटेल बनाते समय उसे पता चला कि अगले महीने ही मनन का जन्मदिन है. मन ही मन उस ने मनन के लिए सरप्राइज प्लान कर लिया. जन्मदिन वाले दिन सुबहसुबह काव्या ने मनन को फोन किया, ‘‘हैप्पी बर्थडे सर.’’

‘‘थैंकयू सो मच. मगर तुम्हें कैसे पता?’’ मनन ने पूछा. ‘‘यही तो अपनी खास बात है सर... जिसे यादों में रखते हैं उस की हर बात याद रखते हैं,’’ काव्या ने शायराना अंदाज में इठलाते हुए कहा.

मनन उस के बचपने पर मुसकरा उठा. ‘‘सिर्फ थैंकयू से काम नहीं चलेगा... ट्रीट तो बनती है...’’ काव्या ने अगला तीर छोड़ा.

‘‘औफकोर्स... बोलो कहां लोगी?’’ ‘‘जहां आप ले चलो... आप साथ होंगे तो कहीं भी चलेगा...’’ काव्या धीरेधीरे मुद्दे की तरफ आ रही थी. अंत में तय हुआ कि मनन उसे मैटिनी शो में फिल्म दिखाएगा. मनन के साथ 3 घंटे उस की बगल में बैठने की कल्पना कर के ही काव्या हवा में उड़ रही थी. उस ने मनन से कहा कि फिल्म के टिकट वह औनलाइन बुक करवा लेगी. अच्छी तरह चैक कर के काव्या ने लास्ट रौ की 2 कौर्नर सीट बुक करवा ली. अपनी पहली जीत पर उत्साह से भरी वह आधा घंटा पहले ही पहुंच कर हौल के बाहर मनन का इंतजार करने लगी. मगर मनन फिल्म शुरू होने पर ही आ पाया. उसे देखते ही काव्या ने मुसकरा कर एक बार फिर उसे बर्थडे विश किया और दोनों हौल में चले गए. चूंकि फिल्म स्टार्ट हो चुकी थी और हौल में अंधेरा था इसलिए काव्या ने धीरे से मनन का हाथ थाम लिया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...