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सुधा को धरम की यह दलील अच्छी नहीं लगी थी, फिर भी वह चुप रह गई. सुधा के टैस्ट्स की रिपोर्ट आ गई थी. डाक्टर ने बताया कि सुधा के गर्भाशय में कुछ ऐसी बीमारी थी कि वह मां बनने में अक्षम है.’’

सुधा के चेहरे पर घोर निराशा छा गई. डाक्टर ने कहा, ‘‘आप को इतना निराश होने की जरूरत नहीं है. आप दोनों संतान के लिए आधुनिक तरीके अपना सकते हैं.’’

‘‘कौन सा तरीका डाक्टर?’’ सुधा ने जिज्ञासा जाहिर करते हुए कहा.

‘‘अगर आप के पति चाहें तो सैरोगेट मदर की मदद से आप बच्चा पा सकती हैं. आप के पति ने उस समय अपना टैस्ट नहीं कराया था. बस, आप के पति का एक टैस्ट करना होगा. उम्मीद है, नतीजा ठीक ही होगा. तब बच्चा किसी सैरोगेट मदर के गर्भ में पलेगा.’’

‘‘नहीं, मु झे यह तरीका ठीक नहीं लग रहा है.’’

‘‘क्यों?’’ डाक्टर ने पूछा.

‘‘डाक्टर, अभी हम चलते हैं. बाद में ठीक से सोच कर फैसला लेंगे,’’ धरम ने कहा और दोनों डाक्टर के क्लिनिक से निकल पड़े.

रास्ते में धरम ने सुधा से पूछा, ‘‘आखिर सैरोगेट मदर से तुम्हें क्या परेशानी है?’’

‘‘आप का अंश किसी गैर औरत की कोख में पले, मु झ से बरदाश्त नहीं होगा?’’

‘‘यह क्या दकियानूसी की बात हुई. वह औरत हमारी मदद करेगी, हमें तो उस का कृतज्ञ होना चाहिए.’’

‘‘जो भी हो, मु झे तो वह सौतन लगेगी.’’

‘‘क्या पागलपन की बात कर रही हो? मेरा उस से कोई शारीरिक संबंध नहीं होगा.’’

‘‘फिर भी, मु झे मंजूर नहीं है.’’

‘‘तब दूसरा एकमात्र रास्ता है कि हम किसी बच्चे को गोद ले लें,’’ धरम ने थोड़ा नाराज होते हुए कहा.

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