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लेखक- अनिल चाचरा

नवीन ने दाईं तरफ घूम कर मूंछों वाले लंबेचौड़े पुरुष की तरफ देखा. वह वास्तव में अर्चना को घूर रहा था. नवीन ने माथे पर बल डाल कर उस की तरफ गुस्से से देखा, तो उस व्यक्ति ने अपनी नजरें घुमा लीं.

‘‘लो, डरा दिया उसे,’’ नवीन ने नाटकीय अंदाज में अपनी छाती फुलाई.

‘‘थैंक यू. चलो, अंदर चलें.’’

अर्चना ने हाल में प्रवेश करने के लिए कदम बढ़ाए ही थे कि एक युवक से टकरा गई.

उस युवक के साथी ने अर्चना का मजाक उड़ाते हुए कहा, ‘‘जमाना बदल गया है, दोस्त. आज की लड़कियां खुलेआम लड़कों को टक्कर मारने लगी हैं.’’

‘‘शटअप,’’ अर्चना ने नाराज हो कर उसे डांट दिया.

‘‘इतनी खूबसूरत आंखों के होते हुए देख कर क्यों नहीं चल रही हो तुम?’’ पहले वाले युवक ने अर्चना का मजाक उड़ाते हुए सवाल किया.

‘‘शटअप, यू बास्टर्ड, लेडीज से बात करने की तमीज...’’

नवीन अपना वाक्य पूरा भी नहीं कर पाया था कि युवक ने फौरन उस का कालर पकड़ कर झकझोरते हुए पूछा, ‘‘क्या है, मुझे गाली क्यों दी तू ने?’’

‘‘मेरा कालर छोड़ो,’’ नवीन को गुस्सा आ गया.

‘‘नहीं छोडं़ूगा. पहले बता कि गाली क्यों दी?’’

नवीन ने झटके से उस युवक से अपना कालर छुड़ाया तो उस की शर्ट के बटन टूट गए. उस का उस युवक पर गुस्सा बढ़ा तो हाथ छोड़ने की गलती कर बैठा.

इस से पहले कि भीड़ व अर्चना उन में बीचबचाव कर पाते, उन दोनों युवकों ने नवीन पर 8-10 हाथ जड़ दिए.

खिसियाया नवीन पुलिस बुलाना चाहता था पर अर्चना उसे खींच कर हाल के अंदर ले गई.

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