किचन में खड़ा हो कर खाना बनातेबनाते सरला की कमर दुखने लगी पर वे क्या करें, इतने मेहमान जो आ रहे हैं. बहू की पहली दीवाली है. कल तक उसे उपहार ले कर मायके जाना था पर अचानक बहू की मां का फोन आ गया कि अमेरिका से उन का छोटा भाई और भाभी आए हुए हैं. वे शादी पर नहीं आ सके थे इसलिए वे आप सब से मिलना चाहते हैं. उन्हीं के साथ बहू के तीनों भाई व भाभियां भी अपने बच्चों के साथ आ रहे हैं.
कुकर की सीटी बजते ही सरला ने गैस बंद कर दी और ड्राइंगरूम में आ गईं. बहू आराम से बैठ कर गिफ्ट पैक कर रही थी.
‘‘अरे, मम्मी देखो न, मैं अपने भाईभाभियों के लिए गिफ्ट लाई हूं. बस, पैक कर रही हूं...आप को दिखाना चाहती थी पर जल्दी है, वे लोग आने वाले हैं इसलिए पैक कर दिए,’’ बहू ने कुछ पैक किए गिफ्ट की तरफ इशारा करते हुए कहा. तभी सरलाजी का बेटा घर में दाखिल हुआ और अपनी पत्नी से बोला, ‘‘सिमी, एक कप चाय बना लाओ. आज आफिस में काफी थक गया हूं.’’
‘‘अरे, आप देख नहीं रहे हैं कि मैं गिफ्ट पैक कर रही हूं. मां, आप ही बना दीजिए न चाय. मुझे अभी तैयार भी होना है. मेरी छोटी भाभी बहुत फैशनेबल हैं. मुझे उन की टक्कर का तैयार होना है,’’ इतना कह कर सिमी अपने गिफ्ट पैक करने में लग गई.
शाम को सरलाजी के ड्राइंगरूम में करीब 10-12 लोग बैठे हुए थे. उन में बहू के तीनों भाई, उन की बीवियां, बहू के मम्मीपापा, भाई के बच्चे और उन सब के बीच मेहमानों की तरह उन की बहू सिमी बैठी थी. सरला ने इशारे से बहू को बुलाया और रसोईघर में ले जा कर कहा, ‘‘सिमी, सब के लिए चाय बना दे तब तक मैं पकौड़े तल लेती हूं.’’
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