मुंबई की चाल में पैदा हुई शालिनी, बबलू मास्टर की देखरेख में शालिनी से डांसर शालू और फिर फिल्म स्टार बन गई. विदेशी डेविड को समीप से देखने का मौका मिला तो शालू उस की नीली आंखों में ऐसा खोई कि अपना सबकुछ भूल गई. शालू को क्या पता था कि जिसे वह अपना समझ रही है वह उसे नहीं उस की शोहरत और दौलत को चाहता है...

भाग-1

शालू को पता नहीं क्या हो गया था. 50वीं बार उस ने जिगनेश से किलक कर कहा, ‘‘अमेरिका जा कर सब से पहले डिजनीलैंड देखूंगी.’’

जिगनेश ने जवाब नहीं दिया. इस से पहले वे कई बार कह चुके थे, ‘‘हां, जरूर, उसी के लिए तो हम अमेरिका जा रहे हैं.’’

लेकिन शालू की अमेरिका जाने की वजह कुछ और थी. वह सालों बाद अपने बेटे बौबी और उस के परिवार से मिलने जा रही थी. पिछली बार कब मिली थी बौबी से? वह दिमाग पर जोर डाल कर सोचने लगी. शायद 8 साल पहले. बौबी अकेला ही मुंबई उस से मिलने आया था. बौबी के आने की वजह थी कि वह अमेरिका में एक घर खरीदना चाहता था और उस के पास पैसे नहीं थे. शालू ने अपने लाड़ले बेटे का माथा चूमते हुए तब कहा था, ‘तो क्या हुआ बौबी, मैं हूं न. एकदो धारावाहिक में ज्यादा काम कर लूंगी. तू अपने लिए घर ले, पैसे मैं दूंगी.’

बौबी खुश हो कर 2 दिन बाद ही वापस चला गया था. जिंदगी यों ही बीतती गई. महीने में एकाध बार मांबेटे से बात हो जाती, बस. महीना भर पहले जब शालू ने जिगनेश से शादी करने का निश्चय किया, तब फोन किया था बौबी को. उसे पता था कि उस के निर्णय से बौबी जरूर खुश होगा. बौबी ने उस का संघर्ष और अकेलापन देखा है.

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