फाइनली गरिमा और हेमंत की शादी हो ही गई. दोनों हनीमून ट्रिप पर स्विट्जरलैंड में ऐश कर रहे हैं. उन के घर वालों का तो पता नहीं परंतु मैं बहुत ख़ुश हूं क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले ही गरिमा ने 2 मिनट के लिए स्विट्जरलैंड से बात की, ‘‘थैंक्स आंटी इतना अच्छा लाइफपार्टनर मिलवाने के लिए.’’
पीछे से हेमंत का भी स्वर उभरा, ‘‘डार्लिंग, मेरी तरफ से भी आंटी को थैंक्स बोल देना,’’ फिर दोनों की सम्मिलित हंसी का स्वर उभरा और फोन काट दिया गया.
गरिमा और हेमंत दोनों बहुत खुश लग रहे थे. मैं ने राहत की सांस ली क्योंकि दोनों को मिलवाने में मैं ने ही बीच की कड़ी का काम किया था. संयोगिक घटनाओं की विचित्रता को भला कौन सम?ा सकता है. मेरे मन में यादों की फाइल के पन्ने फड़फड़ाने लगे...
3 साल पहले गरिमा को मैं ने अपनी फ्रैंड विनीता के घर हुई किट्टी पार्टी में देखा था. लंबी, छरहरी गरिमा रूपलावण्य की धनी तो थी ही, नाम के अनुरूप व्यक्तित्व में संस्कारी छाप भी स्पष्ट दिखाई दे रही थी. उसे देखते ही लगा काश मेरा कोई बेटा होता तो मैं गरिमा का हाथ उस की मां से मांग लेती.
मु?ो गरिमा की तरफ ताकते देख विनीता ने मु?ा से उस का परिचय करवाया, ‘‘बेटे, ये कृष्णा आंटी हैं. हमारी किट्टी मैंबर.’’
गरिमा कुछ देर मेरे पास बैठी तो मैं ने उस की जौब के बारे में बातचीत की, फिर किट्टी के अन्य सदस्यों के आने पर वह उठ कर अपने कमरे में चली गई.
मेरी फ्रैंड सुमन ने भी जब गरिमा को देखा तो उस की नजरों से लग रहा था कि गरिमा के व्यक्तित्व ने सुमन को भी प्रभावित किया है. धीरेधीरे किट्टी के अन्य सदस्यों के आ जाने पर बातचीत का रुख बदल गया. कोई 2 हजार के नए नोट को अच्छा बता रही थी तो कोई इस से उपजी परेशानियां गिना रही थी.
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