ह  म ने अपने दरवाजे के सामने खड़े अजनबी युवक और युवती की ओर देखा. दोनों के सुंदर चेहरों पर परेशानी नाच रही थी. होंठ सूखे और आंखों में वीरानी थी.

‘‘कहिए?’’ हम ने पूछा.

‘‘जी, आप के पास पेन और कागज मिलेगा?’’ लड़के ने थूक निगल कर हम से पूछा.

‘‘हांहां, क्यों नहीं. मगर आप कुछ परेशान से लग रहे हैं. जो कुछ लिखना है अंदर आ कर आराम से बैठ कर लिखो,’’ हम ने कहा.

दोनों कमरे में आ कर मेज के पास सोफे पर बैठ गए.

‘‘सर, हम आत्महत्या करने जा रहे हैं और हमें आखिरी पत्र लिखना है ताकि हमारी मौत के लिए किसी को जिम्मेदार न ठहराया जाए,’’ लड़की ने निराशा भरे स्वर में बताया.

‘‘बड़ी समझदारी की बात है,’’ हमारे मुंह से निकला...फिर हम चौंक पडे़, ‘‘तुम दोनों आत्महत्या करने जा रहे हो... पर क्यों?’’

‘‘सर, हम आपस में प्रेम करते हैं और एकदूसरे के बिना जी नहीं सकते. मगर हमारे मातापिता हमारी शादी कराने पर किसी तरह राजी नहीं हैं,’’ लड़के ने बताया.

‘‘और इसीलिए हम यह कदम उठाने पर मजबूर हैं,’’ लड़की निगाह झुका कर  फुसफुसाई.

‘‘तुम दोनों एकदूसरे को इतना चाहते हो तो फिर ब्याह क्यों नहीं कर लेते? कुछ समय बाद तुम्हारे मांबाप भी इस रिश्ते को स्वीकार कर  लेंगे.’’

‘‘नहीं, सर, हमारे मातापिता को आप नहीं जानते. वे हम दोनों का जीवन भर मुंह न देखेंगे और यह भी हो सकता है कि हमें जान से ही मार डालें,’’ लड़के ने आह भरी.

‘‘हम अपनी जान दे देंगे मगर अपने मातापिता के नाम पर, अपने परिवार की इज्जत पर कीचड़ न उछलने देंगे,’’ लड़की की आंखों में आंसू झिलमिला उठे थे.

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