संत टैलीविजन पर प्रवचन फटकार रहे थे. वे मायामोेह भगाने के लिए प्रेरणा देने से पहले चैनल प्रबंधक से अपनी रौयल्टी बढ़ाने के बारे में लंबी चर्चा कर चुके थे. उन के पर्सनल सेक्रेटरी और पी.आर.ओ. ने चैनल प्रबंधक को पहले ही आश्वस्त कर दिया था कि संतजी प्रवचनों के बीच में ‘छोटे से ब्रेक’ के दौरान पैंटी और ब्रेजरी के विज्ञापनों में दिखाई जाने वाली अधनंगी मौडलों के बारे में आपत्ति व्यक्त नहीं करेंगे. उदार हृदय संत अपने वचनों पर अडिग रहे और उन्होंने इस बारे में कोई चर्चा नहीं की.
पिछले दिनों उन्होंने एक झूठे भक्त की दानशीलता के झांसे में आ कर उसे 200 करोड़ की राशि विनियोजन के लिए सौंप दी थी जिसे ले कर वह भक्त ध्यान में बैठने की जगह अंतर्धान हो चुका था. भक्तों के इस मायाप्रेम में पड़ कर अनैतिक हो जाने से संत कुपित थे और इस हानि की जल्दी भरपाई में वे प्राणपण से जुट गए थे. वे चाहते थे कि भक्त महाठगिनी माया बंधनों से मुक्त हो कर मुक्तहस्त से दान दें ताकि आश्रम फलताफूलता रहे.
संत पहले विज्ञापनों पर नखरे दिखाते थे. वे कहते थे कि उन के प्रवचनों के बीच में दिखाए जाने वाले विज्ञापन पहले उन्हें दिखाए जाने चाहिए. एकाध बार ऐसा किया भी गया पर उन विज्ञापनों के देह- दर्शन ने उन के मन में पाप पनपा दिया था, जिस का प्रायश्चित उन्होंने आश्रम में एक कोठरी में देहभोग का कष्ट उठा कर किया था. तब से उन्होंने यह जिम्मेदारी आश्रम के मैनेजर को सौंप दी थी कि अब जो चाहे दिखाओ केवल मेरी रौयल्टी बढ़ा दो.