रामदुलारे के मन में बड़ी साध थी कि जिंदगी में एक बार ‘गंगा स्नान’ कर आता. कहते हैं कि गंगा स्नान से अगलेपिछले सारे ‘पाप’ धुल जाते हैं. रामदुलारे भी अपने पापों को धोना चाहता था.  तभी उस ने सुना कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर की कारसेवा के लिए जो लोग जाएंगे, उन के टिकट की व्यवस्था एक ट्रस्ट करेगा. रामभक्त कारसेवा में जाने के लिए पहले से नाम लिखवा दें.

रामदुलारे को यह खबर मोहन ने दी. उस ने बतलाया, ‘‘रामदुलारे, हो आ लखनऊ, बनारस...रेले में निकल जाएगा. ‘‘फोकट में तीर्थयात्रा का आनंद ले. वहां का खर्चा तो तू निकाल ही लेगा. बड़ा जमघट होगा. थोड़ी हाथ की सफाई दिखाएगा तो पौबारह हो जाएगी. अपना कल्लू तो पार्टी के साथ गया है. वहां महाराष्ट्र के 55 छोकरों की पार्टी है. सब के सब प्रशिक्षित हैं. वहां लखनऊ में दूसरी शाखा के छोकरे मिल कर काम करेंगे.’’

रामदुलारे बोला, ‘‘उन की बात छोड़, उन की पूरी सरकार है, मंत्री हैं, अध्यक्ष है, मंत्रिपरिषद है, प्रशिक्षक है, गुंडे- बदमाश हैं. फिर उन का संविधान है, कायदाकानून है, अनुशासन है. अपना मिजाज उन से नहीं मिलता. 100 कमाओ और 80 सरकार को दो. अपने को यह मगजमारी पसंद नहीं. मोहन, मैं वहां धर्म के नाम पर पाप कम करने जा रहा हूं, रामभक्तों की जेब काट कर पाप बढ़ाने नहीं जा रहा. मेहनतमजदूरी कर लूंगा. गंगाजी में पुराने पापों का बंडल छोड़ दूंगा. फिर कोई अच्छा सा व्यापार करूंगा.’’

मोहन अपनी बात कह कर चला गया. रामदुलारे इस समय ‘पुण्य’ कमाने के चक्कर में था. गांधीजी, गौतमबुद्ध, विवेकानंद की तसवीरें खरीद कर कमरे में टांग चुका था. अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, जैकी श्रौफ, जयश्री टी. की तसवीरों का अग्निदाह कर चुका था. 6 दिन हो गए थे, ठर्रे को हाथ भी नहीं लगाया, न रज्जोबाई के घुंघरू सुनने गया. बहुत दिन से ‘धंधे’ पर भी नहीं निकला था. पुलिस का दीवान आया तो उसे आखिरी ‘हफ्ता’ दे दिया और कह दिया, ‘‘अपन अब रिटायर हुआ दीवानजी, अपना हफ्ता बंद, अब आगे से अपन धंधे पर नहीं निकलेगा.’’  दीवान ने हाथ का डंडा हवा में हिलाते हुए कहा, ‘‘ठीक है, लेकिन बाद में धंधे पर मिला तो ‘फार्मूला फोर’ फिट कर दूंगा. तू समझता है न...अपना नाम यशवंत भाई हनुमंत भाई मोछड़ है. अपने से ज्यादा होशियारी नहीं दिखाने का.’’

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