श्रीमती से भला क्या शिकवा. हम जैसे स्वच्छंद व आवारा जीव को खूंटे में बांध कर कुशल पति बनाना कोई प्याज की परतें खोलने से कम अश्रुधारी जौब है क्या. हम तो उन के हर रूप पर फिदा हैं.
दुनिया में हम पर किसी ने यदि काई उपकार किया है तो वे हैं हमारी आदरणीय श्रीमतीजी. आप कृपया इस शब्दावली को मजाक न समझें. घरेलू जिंदगी में सुखशांति का यह एक अस्त्र है. विभिन्न अवसरों पर उन के स्वरूप को महसूस कर हम नतीजा पेश कर रहे हैं. वैसे, सच तो यह है कि जब समझ में कुछ न आए तो वंदना-स्तुति से कार्य साध लेना चाहिए और हम इसी टैक्नीक से खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं. अब मुख्य बिंदु पर आते हैं, ताकि श्रीमती के लाजवाब व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला जा सके.
समय कभी एकजैसा नहीं रहता, इसलिए खास समय पर उन के रूप की बानगी जुदाजुदा होती है. सो, मैं अकसर इस रिसर्च में जुटा रहता हूं कि आखिर उन का मूल स्वरूप कौन सा है? कभी गाय तो कभी शेरनी, कभी अप्सरा तो कभी विकराल रौद्र रूप...
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वैसे, बेसिकली हमें उन से कोई गिलाशिकवा नहीं है, हम जैसे मनमरजी के जीव, आजाद पंछी को उन्होंने निभा लिया और ट्रेंड कर कुशल पति बना दिया, यही उपकार हमारे लिए कीमती है. दिन में दसियों बार उन के ऐसे श्रीवचनों को सुन कर अब सच में हमें अपने मूलस्वरूप का ज्ञान संभव हो सका है. अपनी अल्पबुद्धि से उन के जो विभिन्न रूप समयसमय पर समझ पाया हूं वे आप से शेयर कर रहा हूं ताकि हमारे वर्गीकरणों से आप भी मूल्यांकन व आकलन का सदुपयोग कर सकें.
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