हर व्यक्ति के सोचने का तरीका अलग होता है. जरूरी नहीं कि एक व्यक्ति जिस तरह सोचता हो, दूसरा भी उसी तरह सोचे. इसी तरह यह भी जरूरी नहीं कि एक व्यक्ति की सोच को दूसरा पसंद करे. हां, सार्थक सोच से जीवन की धारा जरूर बदल जाती है जहां एक स्थिरता मिलती है, मन को सुकून मिलता है. यह बात मैं ने उस दिन अच्छी तरह से जानी जिस दिन मैं श्रीमती सान्याल के घर किटी पार्टी में गई थी. उस एक दिन के बाद मेरी सोच कब बदली यह खयाल कर मैं अतीत में खो सी गई.

दरवाजे पर उन की नई बहू मानसी ने हम सब का स्वागत किया. मिसेज सान्याल एकएक कर जैसेजैसे हम सभी सदस्याओं का परिचय, अपनी नई बहू से करवाती जा रही थीं वह चरण स्पर्श कर के सब से आशीर्वाद लेती जा रही थी. मानसी जैसे ही मेरे चरण छूने को आगे बढ़ी मैं ने प्यार से उसे यह कह कर रोक दिया, ‘बस कर बेटी, थक जाएगी.’

‘क्यों थक जाएगी?’ श्रीमती सान्याल बोलीं, ‘जितना झुकेगी उतनी ही इस की झोली आशीर्वाद के वजनों से भरती जाएगी.’

श्रीमती सान्याल तंबोला की टिकटें बांटने लगीं तो मानसी सब से पैसे जमा कर रही थी. खेल के बीच में मानसी रसोई में गई और थोड़ी देर में सब के लिए गरम सूप और आलू के चिप्स ले कर आई, फिर बारीबारी से सब को देने लगी.

तंबोला का खेल खत्म हुआ. खाने की मेज स्वादिष्ठ पकवानों से सजा दी गई. मानसी चौके में गरम पूरियां सेंक रही थी और श्रीमती सान्याल सब को परोसती जा रही थीं. दहीबड़े का स्वाद चखते समय औरतें कभी सास बनीं सान्याल की प्रशंसा करतीं तो कभी बहू मानसी की.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
 
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
  • 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...