‘‘क्या सोच रहे हैं? बहू की मुंहदिखाई कीजिए न. कब से बेचारी आंखें बंद किए बैठी है.’’

कमलकांत हाथ में कंगन का जोड़ा थामे संज्ञाशून्य खड़े रह गए. ज्यादा देर खड़े होना भी मानो मुश्किल लग रहा था, ‘‘मुझे चक्कर आ रहा है...’’ कहते हुए उन्होंने दीवार का सहारा ले लिया और तेजी से हौल से बाहर निकल आए.

अपने कमरे में आ कर वे धम्म से कुरसी पर बैठ गए. ऐसा लग रहा था जैसे वह मीलों दौड़ कर आए हों, पीछेपीछे नंदा भी दौड़ी आई, ‘‘क्या हो गया है आप को?’’

‘‘कुछ नहीं, चक्कर आ गया था.’’

‘‘आप आराम करें. लगता है शादी का गरिष्ठ भोजन और नींद की कमी, आप को तकलीफ दे गई.’’

‘‘मुझे अकेला ही रहने दो. किसी को यहां मत आने देना.’’

‘‘हां, हां, मैं बाहर बोल कर आती हूं,’’ वह जातेजाते बोली.

‘‘नहीं नंदा, तुम भी नहीं...’’ कमलकांत एकांत में अपने मन की व्यथा का मंथन करना चाहते थे जो स्थिति एकदम से सामने आ गई थी उसे जीवनपर्यंत कैसे निभा पाएंगे, इसी पर विचार करना चाहते थे. पत्नी को आश्चर्य हुआ कि उसे भी रुकने से मना कर रहे हैं, फिर कुछ सोच, पंखा तेज कर वह बाहर निकल गई.

ये भी पढ़ें- बस एक अफेयर: सुनयना की आखिर ऐसी क्या इच्छा थी  

धीरेधीरे घर में सन्नाटा फैल गया. नंदा 2-3 बार आ कर झांक गई थी. कमलकांत आंख बंद किए लेटे रहे. एक बार बेटा देबू भी आ कर झांक गया, लेकिन उन्हें चैन से सोता देख कर चुपचाप बाहर निकल गया. कमलकांत सो कहां रहे थे, वे तो जानबूझ कर बेटे को देख कर सोने का नाटक कर रहे थे.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
 
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
  • 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...