पहला प्यार तो सावन की उस पहली बारिश के समान होता है, जिस की पहली फुहार से ऐसा लगता है मानो मन की सारी तपिश दूर हो गई हो.
मेरा पहला प्यार रवि जब मुझे अचानक मिला तो ऐसा लगा जैसे मैं ने उस क्षितिज को पा लिया, जहां धरती व आसमान के सिरे एक हो जाते हैं. वैसे मैं चाहती नहीं थी कि रवि और मेरे बीच शारीरिक संबंध स्थापित हों पर जब सारे हालात ही ऐसे बन जाएं कि आप अपने प्यार के लिए सब कुछ लुटाने के लिए तैयार हो जाएं तब यह सब हो ही जाता है.
सच, रवि से एकाकार होने के बाद ही मैं ने जाना कि सच्चा प्यार क्या होता है. रवि के स्पर्श मात्र से ही मेरा दिल इतनी जोरजोर से धड़कने लगा मानो निकल कर मेरे हाथ में आ जाएगा.
रवि से मिलने के बाद ही मुझे एहसास हुआ कि अब तक की जितनी भी रातें मैं ने अपने पति समीर के साथ बिताई हैं वह मात्र एक शारीरिक उन्माद था या फिर हमारे वैवाहिक संबंध की मजबूरी.
शादी से ले कर आज तक जबजब भी समीर मेरे नजदीक आया, तबतब मेरा शरीर ठंडी शिला की तरह हो गया. वह अपना हक जताता रहता, लेकिन मैं मन ही मन रवि को याद कर के तड़पती रहती.
यह शायद रवि के प्यार का ही जादू था कि शादी के इतने साल बाद भी मैं उसे भुला नहीं पाई थी. तभी तो मेरे मन का एक कोना आज भी रवि की एक झलक पाने को तरसता था.
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