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पिछला भाग- ज़िन्दगी-एक पहेली: भाग-9

अविरल के exam  की डेट आ चुकी थी .इस साल अविरल जी जान लगाकर मेहनत कर रहा था. तभी मौसी के बड़े लड़के कार्तिक की शादी रुड़की में तय हो गई. बहुत समय बाद घर में कोई फंक्शन हो रहा था तो सभी बहुत खुश थे. लेकिन अविरल को खुशी के साथ- साथ पढ़ाई की चिंता भी थी.

उसका शादी मे जाने का मन तो नहीं था पर कार्तिक के ज़ोर देने पर अविरल अपने मम्मी पापा के साथ दिल्ली पहुंचा. अविरल के सामने यह परिवार में पहली शादी थी तो अविरल ने भी शादी में खूब मस्ती की. शादी के 10-3 दिन बाद अविरल की भाभी(दीप्ति) ने अविरल से मज़ाक में पूंछा कि,” क्या तुम  किसी को चाहते हो ? तो अविरल ने कहा,” भाभी अभी मैं सिर्फ पढना चाहता हूँ.

अविरल की यह बात  दीप्ति को बहुत अच्छी लगी.कुछ ही दिनो बाद  अविरल अपने घर आ गया और फिर से पढ़ाई में लग गया.

अब अक्सर ही अविरल फोन पर  दीप्ति भाभी से बात करने लगा. अब अविरल दीप्ति से काफी खुल गया था. एक  दिन अचानक दीप्ति ने अविरल से कहा,”मेरी चाची की एक लड़की है.उसका नाम निधि है .वो बहुत प्यारी और सीधी है तुम कहो तो मैं उससे तुम्हारी बात कराऊँ .

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लेकिन अविरल ने मना कर दिया और बोला कि "भाभी मैंने उसे शादी में देखा है, वह मुझे पसंद नहीं है". तभी दीप्ति ने कहा कि एक बार मेरे साथ हरिद्वार चलना और मिल लेना.

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