पिछला भाग- लंबी कहानी: कुंजवन (भाग-10)
शुक्रवार आफिस से जल्दी उठ गई. सीधे पी सी ज्वैलर्स के शोरूम में आई. एक सुंदर सी चेन के साथ कुछ साफ्ट टायस खरीद घर आई. नहाधो तैयार हो जब चंदन के घर पहुंची तब लगा कि उस का बचपन लौट आया है. दोचार जनों को छोड़ सारे पुराने साथी वहां मौजूद थे. उसे देखते ही सब ने हाथोंहाथ लिया. सब की एक ही राय थी कि सारी सहेलियों में बस वो ही सब से सफल है इतने बड़े बिजनैस को चलाने वाली इतनी सी लड़की. पोलैंड से विकास, आस्ट्रेलिया से मृदुला भी आई हैं. मृदुला शिखा की सब से अच्छी सहेली है. अब एक तीन वर्ष के बेटे की मां है. सुकुमार को ले कर वो कई दिनों तक उस से नाराज रही. असल में अपने मृदुल स्वभाव के कारण सुकुमार सब को प्यारा था और अपने स्वभाव के कारण ही बंटी को कोई पसंद नहीं करता था. दोचार उस के चमचों को छोड़.
सब ने हाथोंहाथ लिया उसे. मन भर आया शिखा का. एकसाथ सब ने ग्रैजुएशन किया था फिर तो सब अपनेअपने जीवन के चुने हुए पथ पर चल पड़े, बिखर गए देशविदेशों में, पर आज समझ आया कि मन के सारे तार अभी भी एकदूसरे से जुड़े हुए हैं कहीं भी कोई तार नहीं टूटा.
हर्ष उल्लास, हंसीमजाक, छेड़छाड़ में खानापीना निबटा सब ने मिल कर निर्णय लिया कि रविवार के दिन चंदन के गुड़गांव वाले फार्म हाऊस में सब 10 बजे तक पहुंच जाएंगे. पूरा दिन एकसाथ बिता रात डिनर ले घर लौटेंगे. अभिनव के केटरिंग का व्यवसाय है और एक थ्री स्टार होटल भी है उस ने नाश्ते से ले कर डिनर तक की पूरी जिम्मेदारी ली. शिखा बहुत दिनों बाद बहुत खुश हुई. मन भी हलका हो गया. पर जानकीदास यह सुनते ही गंभीर हो गए.