लेखक- नीरज कुमार मिश्रा
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है खुशबू ….दरअसल मुझे ऑफिस में , होटल में रुकने का प्रूफ दिखाना पड़ता है तभी तो मेरा बिल पास होता है, और फिर घबराओ नहीं इस बार तुम्हारे साथ दो घण्टे अधिक रुक लूंगा मैं ” हसते हुए जसवंत ने कहा
“तो फिर ठीक है सर ,मैं आज ऑफिस से दो घण्टे पहले घर निकल जाऊंगी आखिर मुझे और तैयारियां भी तो करनी हैं” खुशबू ने कहा
“ओके .. ठीक है …मैं तुम्हे चलते समय पिक कर लूंगा”
शाम का पांच बजे होगा , निकलते समय जसवंत ने खुशबू को रिसीव कर लिया .
आज उसने क्रीम कलर की साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज पहन रखा था और एक सफ़ेद रंग का गुलाब उसके जूड़े मे टका हुआ था ,कुल मिलाकर हुस्न की एक मलिका लग रही थी खुशबू .
दिल्ली से आगरा पहुचने में करीब ढाई घण्टे लग गए वहां पहुचकर दोनों कंपनी के गेस्ट हाउस में जा कर आराम करने लगे ,उस समय गेस्ट हाउस में सिर्फ एक नौकर था ,खाना वगैरह मेज़ पर लगाकर वह सुबह दस बजे आनेकी बात कह कर चला गया .
जसवंत वहीँ सोफे पर पसर गया और टीवी ऑन कर दिया .
सभी न्यूज़ चैनल टीवी पर चीख रहे थे कि देश में प्रधानमंत्री ने पूरे इक्कीस दिन का लॉकडाउन घोषित किया है और जनता को “सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेनसिंग ) रखने को कहा जा रहा है .
“लॉकड़ाउन यानी सब कुछ बंद हो जायेगा ,सारे ऑफिस ,ट्रेन ,बस , मॉल ,बाज़ार ,स्कूल और जो व्यक्ति जहाँ हैं वहीँ रहेगा ,घर में ही कैद होना ही सबकी जान बचा सकता है ,आप सब मास्क लगाएं और सेनेटाइजर का प्रयोग करें ” इसी तरह की खबरों को लगातार प्रसारित किया जा रहा था .
इतने में खुशबू भी वाशरूम से बाहर आ चुकी थी और वह भी टीवी पर आती हुयी खबरों पर आँखे गड़ाए हुयी थी .
कहीं न कहीं जसवंत और खुशबू दोनों ही मन ही मन में परेशान हो रहे थे , क्योंकि अगर ऐसा वास्तव मे हुआ तो पूरे इक्कीस दिनों के लिए यहीं इसी गेस्ट हाउस मे कैद हो जाने वाले थे दोनों .
और यही दोनों नहीं बल्कि पूरा देश ही इस समय परेशान हो रहा था ,सभी अपनी अपनी ज़ररूतों का सामान जुटाने में लग गए थे .
इधर मीडिया अपना काम करने में लगा हुआ था और उधर जसवंत कुछ और ही काम करने की तैयारी करने लगा था ,उसने खुशबू की पीठ सहलानी शुरू कर दी थी ,और पीठ सहलाते हुए जब जसवंत का हाथ खुशबू के सीने की और बढ़ने लगा तो खुशबू ने उसके हाथों पर अपना हाथ मारते हुए कहा कि” देखो खबरों में सामाजिक दूरी बनाए रखने को कहा गया है ”
“अरे भाड़ में जाए ‘सामाजिक दूरी ‘
आज तो मुझे सारी दूरियां खत्म करनी है ” और इतना कहकर अपने होठों को खुशबू के होठों पर रख दिया .
खुशबू के होठ दहक उठे थे पर उसने इठलाते हुए कहा “नहीं….ऐसे नहीं …देखो …पहले हाथ मुह धो कर आओ और अपने आपको सेनेटाइज़ करो …उसके बाद ही प्यार हो पायेगा
“अरे…जानेमन …तुम्हारे ये होठों के रस से मैं पूरा ही सेनेटाइज़ हो जाऊंगा ,मुझे भला किसी और सेनेटाइजर की क्या ज़रूरत है ” और इतना कहते कहते ही किसी भूखे भेड़िये सा टूट पड़ा था जसवंत .
उसने खुशबू की क्रीम कलर की साड़ी खोल डाली और खुशबू के जूड़े के गुलाब को भी नोच डाला .
खुशबू और जसवंत कुछ देर तक चरम सुख पाने के लिए बढ़ने लगे और फिर दोनों की पकड़ ढीली हो गयी और फिर वे दोनों निढाल होकर बेड पर लुढ़क गए .
सुबह जब खुशबू की आँखें खुली तो झट से उठकर उसने टीवी ऑन किया और देश दुनिया में क्या हो रहा है ये जाने के लिए समाचार चैनल लगा दिया .
समाचार अब भी वही था ,इक्कीस दिन का लॉकड़ाउन .
खुशबू ने जसवंत की और देखा तो वो भी जाग चुका था और लेटा लेटा ही टीवी देख रहा था
“अरे सर…ये तो बड़ा लफड़ा हो जायेगा ”
“क्या हो …जायेगा भाई ”
“सर ये लाकड़ाऊंन ….इसमें तो हम और आप यही फसे रह जाएंगे….? आतंकित सी दिखाई दे रही थी खुशबू
“अरे छोडो जाने भी दो वापिस जाना भी कौन चाहता है ….हम होंगे …तुम होगी और ये बिस्तर ….हमारे प्यार करने का सबूत बनेगा …और वो भी पूरे इक्कीस दिन तक …हा हा हा”हँसने लगा था जसवंत
ऊपर से भले ही जसवंत ठिठोली करता दिख रहा था पर मन ही मन इस मामले की गम्भीरता का अनुभव भी कर रहा था .
हाँ लॉकडाउन का मामला वास्तव में बहुत ही गंभीर था क्योंकि ऐसे में ट्रांसपोर्ट का कोई साधन न होने के कारण उसे यहीं खुशबू के साथ इसी गेस्ट हाउस में गुज़ारने होंगे और जसवंत को तो अच्छे होटलों मे ही रहने की आदत है और फिर घर पर उसकी पत्नी पूर्वी की तबीयत भी तो ठीक नही है ,उसकी देखभाल के लिए भी तो कोई चाहिये और फिर जब वह लगातार इक्कीस दिन तक ऑफिस नहीं पहुँचेगा तो उसका काफी नुकसान भी हो जायेगा जिसकी भरपाई किसी तरह से नहीं हो पाएगी तभी जसवंत को याद आया कि उसे माँ की दवाई खरीद कर कोरियर भी तो करनी थी अब तो ये काम भी नहीं हो पायेगा क्योंकि मेडिकल स्टोर तो गेस्ट हाउस से दूर है
मन में इसी तरह के ख्यालों से दो चार कर रहा था
जसवंत रात में देर तक जागने के कारण उसके सर मे भी दर्द हो रहा था और उसे जागते ही बेड टी लेने की आदत थी
“अरे …जरा एक कप चाय तो बना दो”
“कहाँ से बना दूँ …लाकड़ाउन होने के कारण ना तो यहाँ का नौकर आया है और ना ही दूध वाला आया है ,किचन में भी दूध नहीं है , अब कैसे चाय बनाऊ मैं?” खुशबू ने कहा
उसकी ये बात सुनकर जसवंत का मन किया कि वो अपना सर पीट ले ,पर उसने अपने गुस्से को कंटोल में रखकर कहा “कोई बात नहीं है खुशबू ,तुम मुझे बिना दूध की चाय ही बना दो ,मैं पी लूँगा तो सर दर्द मे रहत मिल जायेगी”
गेस्ट हाउस के किचन में चाय बनाते समय खुशबू लॉकडाऊन को कोसने लगी
“तो इस का मतलब है कि मुझे इक्कीस दिन तक यहीं इसके साथ रहना होगा ….ये जसवंत तो हब्शियों की तरह व्यवहार करता है इतने दिनों में तो ये मेरी बैंड ही बजा देगा और फिर घर में माँ और पापा भी अकेले होंगे और मैं अगर नहीं पहुँच पायी तो सैलरी भी नहीं पहुचेगी और घर के खर्च में दिक्कत आयेगी….उफ्फ इस लॉकडाऊन ने तो एकदम से मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
दो कप बिना दूध की चाय बन चुकी थी और जसवंत और खुशबू साथ बैठकर चाय सुड़कने लगे.
आगे पढ़ें- उन दोनों को बाहर की दुनिया से परिचित…