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लेखिका- प्रेमलता यदु

उन की बातें सुन कर मैं यह तो समझ गई कि ये दोनो पतिपत्नी नहीं हैं लेकिन शादीशुदा हो कर इस तरह अपने पार्टनर को धोखा देना..….! छी...छी... इंसान क‌ई बार अपने स्वार्थ में कितना गिर जाता है. मैं अभी यह सब सोच ही रही थी कि मेरा कैफेचिनो आ गया लेकिन मेरा पूरा ध्यान और कान उन्हीं की तरफ था.

तभी उस औरत ने कहा-

"मुझे आज जल्दी निकलना होगा क्योंकि बसस्टौप पर मेरा बेटा मेरा इंतजार कर रहा होगा."

यह सुनते ही वह आदमी उस का हाथ थामते हुए बोला-

"तो क्या हुआ, थोड़ी देर और बैठो न प्लीज़, फिर चली जाना. रोज़रोज़ ऐसे मिलने का मौका कहां मिलता है और फिर मेरा बेटा भी तो मेरा इंतजार कर रहा होगा."

ओह, मतलब, ये दोनों केवल शादीशुदा ही नहीं, बल्कि बालबच्चे वाले भी हैं और यह हाल है, इतनी बेशर्मी... मैं अपना कैफेचीनों फिनिश करती हुई यह सब सोच ही रही थी कि वह महिला घबराती हुई बोली-

"ओ माई गौड, लगता है आज हमारी चोरी पकड़ी जाएगी. यह रमा यहां कहां से आ धमकी. अगर इस ने हमें इस वक्त यहां साथ देख लिया न, तो सभी जगह ढिंढोरा पीटने में उसे वक्त नहीं लगेगा. अभी यह सब वह कह रही थी कि उस दूसरी महिला ने उन्हें दूर से ही देख लिया और हाथ हिलाने लगी, फिर करीब आ कर बोली-

"हाय, मीता तुम... इस वक्त औफिस औवर में यहां, ओह जीजाजी भी साथ हैं. नमस्ते जीजा जी. यहां कैसे?"

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