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लेखक- वीरेंद्र बहादुर सिंह

कभी किसी चीज को हाथ न लगाने वाली देवी कितनी ही बार रंजीत की जेब से पैसे निकाल चुकी थी. उसे पैसे निकालते देख लेने पर भी रंजीत और ममता अनजान बने रहते थे. वे सोचते थे कि कोई जरूरत रही होगी. देवी चोरी भी होशियारी से करती थी. वह पूरे पैसे कभी नहीं निकालती थी.

इधर एक लड़का, जिस का नाम बलबीर था, अकसर रंजीत की कोठी के बाहर खड़ा दिखाई देने लगा था. ममता ने जब उसे देवी को इशारा करते देखा तो देवी को तो टोका ही, उसे भी खूब डांटाफटकारा. इस से उस का उधर आनाजाना कम तो हो गया था, लेकिन बंद नहीं हुआ था. एक रात रंजीत वाशरूम जाने के लिए उठे तो उन्हें बाहर बरामदे से खुसरफुसर की कुछ आवाज आती सुनाई दी.

खुसरफुसर करने वाले कौन हैं, जानने के लिए वह दरवाजा खोल कर बाहर आ गए. उन के बाहर आते ही कोई अंधेरे का लाभ उठा कर दीवार कूद कर भाग गया. उन्होंने लाइट जलाई तो देवी को कपड़े ठीक करते हुए पीछे की ओर जाते देखा.

यह सब देख कर रंजीत को बहुत गुस्सा आया. उन्होंने सारी बात ममता को बताई तो उन्होंने देवी को खूब डांटा, साथ ही हिदायत भी दी कि दोबारा ऐसा नहीं होना चाहिए. इस के बाद देवी का व्यवहार एकदम से बदल गया. वह रंजीत और ममता से कटीकटी तो रहने ही लगी, दोनों की उपेक्षा भी करने लगी.

देवी के इस व्यवहार से रंजीत और ममता को उस की चिंता होने लगी थी. शायद इसी वजह से उन्होंने देवी के मातापिता से उस की शादी कर देने को कह दिया था.

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