पिछला भाग पढ़ने के लिए- महकी रात की रानी भाग: 2

लंच के समय अमोली का मन कुछ खाने को नहीं कर रहा था. वह चुपचाप अपनी सीट पर बैठी थी कि सुजीत फू्रटचाट ले कर आ गया. अमोली की टेबल पर चाट की प्लेट रख वह सामने वाली कुरसी पर बैठ गया. बोला, ‘‘मु झे पता था तुम भूखी बैठी होंगी... पहले यह चाट खाओ और फिर डांट लगाना जी भर के.’’

सुजीत की बात सुन अमोली चुपचाप बैठी रही, पर मन ही मन गुस्से से उबल रही थी. ‘‘जानता हूं, बहुत नाराज हो मु झ से... सोच रही होंगी किस धोखेबाज से पाला पड़ गया. पर मेरे  झूठ बोलने की वजह नहीं जानना चाहोगी?’’

‘‘जो भी वजह हो आप ने अच्छा नहीं किया,’’ अमोली के अंदर दबा क्रोध बाहर आ गया.

‘‘मेरा कुसूर है, मानता हूं पर क्या करता मैं? मन से कभी दूर नहीं होता... तुम्हारा यलो कलर की साड़ी में दपदप करता रूप... यही कलर था न तुम्हारी साड़ी का उस फोटो में जो मैट्रीमोनियल साइट पर डाला हुआ था 2 साल पहले... उस पिक को देख कर दीवाना हो गया था मैं... कहा था मैं ने पेरैंट्स से कि पहली बार कोई लड़की पसंद आ रही है मु झे... इसी से बात आगे बढ़ाओ, मगर अपने मम्मीपापा की इकलौती बेटी नमिता का पैसा उन की आंखों को चकाचौंध किए था... बांध दिया उसे मेरे गले... फिर अचानक जब औफिस में तुम्हें देखा तो बस देखता ही रह गया... फोटो से कहीं ज्यादा सुंदर नजर आ रही थीं तुम... नहीं रोक सका खुद को... अब माफ करो या सजा दो, सब मंजूर है.’’

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