अगले दिन गरिमा को कंपनी की नई ब्रांच में भेज दिया. बौस ने जतिन को भी मार्केटिंग देखने के लिए कह दिया. तनु आश्वस्त थी कि उस का विभाग भी जल्द ही बदलने वाला है.’’

‘‘तनु तुम रिलेशनशिप मैनेजर के रूप में बहुत अच्छा काम कर रही हो. तुम्हारे दायरे को मैं बढ़ा रहा हूं, तुम्हारा पद वही रहेगा और तुम इसी औफिस में रहोगी.’’

बौस के कैबिन से निकल कर तनु ने राहत की सांस ली. गरिमा को बौस ने क्या

कह कर दूसरे औफिस जाने के लिए मना लिया, तनु नहीं समझ पा रही थी. उस का बेबी भी अभी छोटा था और गरिमा तो लंबे समय से कंपनी में ही थी. उस ने अपनी जौब की वजह से ही इसी शहर में शादी की थी.

‘‘तनु, कल तेरे पास आ रही हूं औफिस के बाद. बहुत दिन हो गए साथ में बैठ कर कौफी पीए हुए.’’

गरिमा के फोन पर तनु चहक उठी. शाम को दोनों बैठ कर कंपनी में हुए बदलावों के बारे में चर्चा कर रही थीं, ‘‘तू ने बौस को बताया नहीं कि दूसरा औफिस तेरे घर से दूर है और बच्चा भी अभी छोटा है.’’

गरिमा तनु के सवाल की जैसे प्रतीक्षा ही कर रही थी. बोली, ‘‘हां, मुझे लगा था लेकिन अब सब ठीक है. ऐक्चुअली वह औफिस बौस के भतीजे का है. उन्हें एक अनुभवी कर्मचारी की जरूरत थी जिस पर विश्वास किया जा सके. तुम्हें बौस भेजना नहीं चाहते थे तो मुझे जाना पड़ा.’’

तनु हैरान थी यह सुन कर, ‘‘तुम मुझे बोल सकती थी मैं चली जाती. मुझे कौन सा घर देखना है या बच्चे को संभालना है औफिस के बाद.’’

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