रीमा जल्दी से जूस दे दो, बहुत थकान हो रही है, आशीष ने अपना पसीना पोंछते हुए कहा.
‘‘हां, अभी लाई,’’ कह रीमा रसोई में चली गई.
यह आशीष का रोज का काम था. अगले दिन आशीष बोला, ‘‘सुनो रीमा, मेरा कालेज का दोस्त मनीष अपने अपार्टमैंट में शिफ्ट हो गया है... वही जिस के बेटे के जन्मदिन पर हम गए नहीं थे... आज मिला, जब मैं जिम से आ रहा था. वह तो झल्ला सा है, लेकिन उस की बीवी गजब की खूबसूरत है, आशीष बोला.
‘‘हमें क्या वह जाने और उस की बीवी,’’ रीमा बोली.
‘‘तुम जल्दी से नहा लो मैं नाश्ता तैयार करती हूं.’’
रीमा नोट कर रही थी कि आजकल आशीष जिम में ज्यादा देर लगा रहा है. अत: एक दिन उस ने पूछ ही लिया, ‘‘क्या बात है देर कैसे हो गई? आज क्या खास बात है... जिम से पसीनापसीना हो कर आए, फिर भी चेहरे पर अलग ही खुशी झलक रही है? रोज की तरह अपनी थकान का रोना नहीं?’’ रीमा ने चुटकी लेते हुए आशीष से कहा.
‘‘क्या मैं रोज थकान का रोना रोता हूं?
अरे अपनेआप को फिट रखना क्या इतना आसान है? कभी जिम जा कर देख आओ कि अपनेआप को मैंटेन करने के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती है. लो हो गए शुरू.... मेरी तरह 2 बच्चे पैदा करो पहले, फिर फिटनैस की बात करो मुझ से,’’ रीमा ने कहा.
‘‘पर आज तुम देर से आए... कोई खास बात?’’
‘‘नहीं कुछ खास नहीं,’’ आशीष बोला.
‘‘अरे वह मेरे दोस्त की पत्नी जिया जिम आती है आजकल, तो बस बातों में टाइम लग गया. क्या ऐक्सरसाइज करती है. तभी इतनी फिट है... कोई उस की उम्र का अंदाजा भी नहीं लगा सकता,’’ कह आशीष नहाने चला गया.
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