'कितने प्यार से लिखा था तुम ने कि नैना, यदि तुम मेरी जिंदगी में नहीं आई होतीं तो शायद मैं समझ नहीं पाता कि प्यार क्या होता है. तुम्हारे आते ही हवाएं महकने लगती हैं. दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं. बातें जबां पर आ कर अटक जाती हैं. सबकुछ भूल जाता हूं, बस, तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूं. क्या तुम्हें नहीं लगता कि हमें प्यार हो गया है? अगर हां, तो मुसकरा दो. और अगर न, तो यह कागज कहीं दबा दो या नष्ट कर दो.
'मैं ने तुम्हारा यह खत पढ़ा और मेरी सांसें तेज चलने लगी थीं. चाह कर भी मैं तुम्हारी तरफ देख नहीं पा रही थी. पलकें झुका कर वहीं बैठी रही. तुम घबरा रहे थे कि कहीं मेरा जवाब न तो नहीं. तभी मैं ने पलकें उठाईं और मुसकरा कर तुम्हारी तरफ देखा. तुम प्यार से मेरी तरफ ही रहे थे. मुझे बहुत शर्म आई और मैं वहां से उठ कर भाग गई. फिर पूरे दिन तुम मेरे पीछे पड़े रहे. तुम वे 3 जादुई शब्द सुनना चाहते थे. शाम हो रही थी. सूरज बादलों की आगोश में खो चला था. तभी मैं ने तुम्हारी बांहों में समाते हुए कह दिया था कि हां करण, मैं भी तुम से बहुत प्यार करती हूं. उस दिन हम दोनों को लगा था कि हमारी जिंदगी अब संपूर्ण हो गई है. एकदूसरे का साथ हमारे जीवन की सब से बड़ी खुशी है.
'कालेज के वे 2 साल हमारे अरमानों को पंख लगा गए थे. हम दोनों एक रोमानी दुनिया में विचरण करते रहते. मैं तुम्हारे साथ अपना सुनहरा भविष्य देखने लगी थी. पर मैं गलत थी, करण. जल्दी ही मुझे पता चल गया कि तुम्हारे लिए हमारे उन मीठे सपनों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण अपने पिता के वचन की लाज रखना और उन की रूढ़िवादी सोच को पोषित करना है.