मायरा चाह कर भी अमन से दूरी खत्म नहीं कर पा रही थी. वे कहने को तो पतिपत्नी थे मगर अपने घर में भी अजनबियों की तरह रहने को मजबूर थे. आखिर क्यों
‘‘तुम चुपचाप अपनी तरफ सोना. खबरदार जो सीमा लांघने की कोशिश की,’’ मायरा ने अमन और अपने बीच एक तकिया रख दिया और पलट गई. वह अंदर ही अंदर गुस्से में जल रही थी. उसे अपनी औफिस वाली दोस्त पूजा की बातें याद आने लगीं.
पूजा के अनुसार मर्द अगर छोटेछोटे झगड़ों को सुल झाने या प्यार जताने के लिए आगे न बढ़े तो सचेत हो जाना चाहिए कि उस के जीवन में कोई और है और किसी भी क्षण इस शादी के टूटने के लिए उसे मानसिक तौर पर तैयार रहना चाहिए. उस की ऊटपटांग बातों ने दिमाग को और प्रदूषित कर दिया. बस यहीं से मायरा के मन में शक का बीज पड़ गया और वह अमन के मोबाइल और मेल पर नजर रखने लगी.
नतीजा सामने था. फोन में अमन व रोमा की तसवीर साथ देख कर सवाल करने लगी तो झगड़ा और बढ़ गया.
अमन भी देर रात तक करवटें बदलता रहा. नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी. उसे पता था कि उस के परिवार का रहनसहन मायरा के लायक नहीं. उस की मां की सख्ती भी कुछ ज्यादा ही है. कोई भी पढ़ीलिखी लड़की बेवजह की जिल्लत क्यों सहेगी. तभी तो वह मायरा के साथ अलग रहने के लिए भी तैयार हो गया. वह इस बात पर कितनी खुश हो गई थी कि रोमा के साथ की इस तसवीर ने बीच में आ कर बेड़ा गर्क कर दिया, जबकि रोमा अमन के स्कूल के समय की दोस्त है. दोनों के बीच दोस्ती से ज्यादा तो कुछ भी नहीं फिर भी उस की बात पर झगड़ कर मायरा ने आज फिर से मुंह फेर लिया.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
- 24 प्रिंट मैगजीन