मधु के मातापिता उस के लिए काबिल वर की तलाश कर रहे थे. मधु ने फैसला किया कि यह ठीक समय है जब उसे आलोक और अंशू के बारे में उन्हें बता देना चाहिए.

‘‘पापा, मैं आप को आलोक के बारे में बताना चाहती हूं. पिछले कुछ दिनों से मैं उस के घर जाती रही हूं. वह शादीशुदा था. उस की पत्नी सुहानी की मृत्यु कुछ वर्षों पहले हो चुकी है. उस का एक लड़का अंशू है जिसे वह बड़े प्यार से पाल रहा है. मैं आलोक को बहुत चाहती हूं.’’

मधु के कहने पर उस के पापा ने पूछा, ‘‘तुम्हें उस के शादीशुदा होने पर कोई आपत्ति नहीं है. बेशक, उस की पत्नी अब इस दुनिया में नहीं है. अच्छी तरह सोच कर फैसला करना. यह सारी जिंदगी का सवाल है. कहीं ऐसा तो नहीं है तुम आलोक और अंशू पर तरस खा कर यह शादी करना चाहती हो?’’

‘‘पापा, मैं जानती हूं यह सब इतना आसान नहीं है, लेकिन सच्चे दिल से जब हम कोशिश करते हैं तो सबकुछ संभव हो जाता है. अंशु मुझे बहुत प्यार करता है. उसे मां की सख्त जरूरत है. जब तक वह मुझे मां के रूप में अपना नहीं लेता है, मैं इंतजार करूंगी. बचपन से आप ने मुझे हर चुनौती से जूझने की शिक्षा और आजादी दी है. मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ यह फैसला कर रही हूं.’’

मधु के यकीन दिलाने पर उस की मां ने कहा, ‘‘मैं समझ सकती हूं, अगर अंशू के लालनपालन में तुम आलोक की मदद करोगी तो उस घर में तुम्हें इज्जत और भरपूर प्यार मिलेगा. सासससुर भी तुम्हें बहुत प्यार देंगे. मैं बहुत खुश हूं तुम आलोक की पत्नी खोने का दर्द महसूस कर रही हो और अंशू को मां मिल जाएगी. ऐसे अच्छे परिवार में तुम्हारा स्वागत होगा, मुझे लगता है हमारी परवरिश रंग लाई है.’’

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