औफिस बंद होने के बाद मानसी समीर के साथ लौंग ड्राइव पर निकली थी. हमेशा की तरह उस का साथ उसे बहुत सुकून दे रहा था.
मानसी मन ही मन सोच रही थी, ‘एक ही छत के नीचे सोने के बाद भी रोहित मुझे बेगाना सा लगता है. अगर मुझे जिंदादिल समीर का साथ न मिला होता, तो मेरी जिंदगी बिलकुल मशीनी अंदाज में आगे बढ़ रही होती.’
करीब घंटे भर की ड्राइव का आनंद लेने के बाद समीर ने चाय पीने के लिए एक ढाबे के सामने कार रोक दी. उन्हें पता नहीं लगा कि कार से उतरते ही वे रोहित के एक दोस्त कपिल की नजरों में आ गए हैं. कुछ देर सोचविचार कर कपिल ने रोहित को फोन कर बता दिया कि उस ने मानसी को शहर से दूर किसी के साथ एक ढाबे में चाय पीते हुए देखा है.
उस रात रोहित जल्दी घर लौट आया था. मानसी ने साफ महसूस किया कि वह रहरह कर उसे अजीब ढंग से घूर रहा है. मन में चोर होने के कारण उसे यह सोच कर डर लगने लगा कि कहीं रोहित को समीर के बारे में पता न चल गया हो. फिर जब वह रसोई से निबट कर ड्राइंगरूम में आई तो रोहित ने उसे उसी अजीब अंदाज में घूरते हुए पूछा, ‘‘तुम मुझ से अब प्यार नहीं करती हो न?’’
‘‘यह कैसा सवाल पूछ रहे हो?’’ मानसी का मन और ज्यादा बेचैन हो उठा.
‘‘तुम मुझे देख कर आजकल प्यार से मुसकराती नहीं हो. कभी मेरे साथ लौंग ड्राइव पर जाने की जिद नहीं करती हो. औफिस से देर से आने पर झगड़ा नहीं करती हो. क्या ये सब बातें यह जाहिर नहीं करती हैं कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार नहीं बचा है?’’