जिससुंदर, स्मार्ट महिला को मैं रहरह कर देखे जा रहा था, वह अचानक अपनी कुरसी से उठ कर मेरी तरफ मुसकराती हुई बढ़ी तो एअरकंडीशंड बैंकेट हौल में भी मुझे गरमी लगने लगी थी.
मेरे दोस्त विवेक के छोटे भाई की शादी की रिसैप्शन पार्टी में तब तक ज्यादा लोग नहीं पहुंचे थे. उस महिला का यों अचानक उठ कर मेरे पास आना सभी की नजरों में जरूर आया होगा.
‘‘मैं सीमा हूं, मिस्टर रवि,’’ मेरे नजदीक आ कर उस ने मुसकराते हुए अपना परिचय दिया.
मैं उस के सम्मान में उठ खड़ा हुआ.
फिर कुछ हैरान होते हुए पूछा, ‘‘आप मुझे जानती हैं?’’
‘‘मेरी एक सहेली के पति आप की फैक्टरी में काम करते हैं. उन्होंने ही एक बार क्लब में आप के बारे में बताया था.’’
‘‘आप बैठिए, प्लीज.’’
‘‘आप की गरदन को अकड़ने से बचाने के लिए यह नेक काम तो मुझे करना ही पड़ेगा,’’ उस ने शिकायती नजरों से मेरी तरफ देखा पर साथ ही बड़े दिलकश अंदाज में मुसकराई भी.
‘‘आई एम सौरी, पर कोई आप को बारबार देखने से खुद को रोक भी तो नहीं सकता है, सीमाजी. मुझे नहीं लगता कि आज रात आप से ज्यादा सुंदर कोई महिला इस पार्टी में आएगी,’’ उस की मुसकराने की अदा ही कुछ ऐसी थी कि उस ने मुझे उस की तारीफ करने का हौसला दे दिया.
‘‘कुछ सैकंड की मुलाकात के बाद ही ऐसी झूठी तारीफ... बहुत कुशल शिकारी जान पड़ते हो, रवि साहब,’’ उस का तिरछी नजर से देखना मेरे दिल की धड़कनें बढ़ा गया.
‘‘नहीं, मैं ने तो आज तक किसी चिडि़या का भी शिकार नहीं किया है.’’