लेखिका- महिमा दीक्षित
बीकानेर के सैंट पौल स्कूल के सामने बैठी धरा बहुत नर्वस थी. उसे वहां आए करीब 1 घंटा हो रहा था. वह स्कूल की छुट्टी होने और किट्टू के बाहर आने का इंतजार कर रही थी. किट्टू से उस का अपना कोई रिश्ता नहीं था, फिर भी उस की जिंदगी के बीते हुए हर बरस में किट्टू के निशान थे. अंबर का 14 साल का बेटा, जो अंबर के अतीत और धरा के वर्तमान के 10 लंबे सालों की सब से अहम परछाईं था. उसी से मिलने वह आज यहां आई थीं. आज वह सोच कर आई थी कि उस की कहानी अधूरी ही सही, लेकिन बापबेटे का अधूरापन वह पूरा कर के रहेगी.
करीब 10 साल पहले धरा का देहरादून में कालेज का सैकंड ईयर था जब धरा मिली थी मिस आभा आहलूवालिया से, जो उस के और अंबर के बीच की कड़ी थी. उस से कोई 4-5 साल बड़ी आभा कालेज की सब से कूल फैकल्टी बन के आई थी. वहीं, धरा में शैतानी और बेबाकपन हद दर्जे तक भरा था. लेकिन धीरेधीरे आभा और धरा टीचरस्टूडैंट कम रह गई थीं, दोस्त ज्यादा बन गईं. लेकिन शायद इस लगाव का एक और कारण था, वह था अम्बर, आभा का बड़ा भाई, जिस की पूरी दुनिया उस के इर्दगिर्द बसी थी और उसे वह अकसर याद करती रहती थी.
आभा ने बताया था कि अंबर ने करीब 5 साल पहले लवमैरिज की थी, बीकानेर में अपनी पत्नी रोशनी व 4 साल के बेटे किट्टू के साथ रह रहा था और 3-4 महीने में अपने घर आता था. आभा अकसर धरा से कहती कि उस की आदतें बिलकुल उस के भाई जैसी हैं.