Hindi Love Stories : आर्या आजकल अजीब ही बिहेव करने लगी है. कुछ पूछो तो कैसे इरिटेट हो कर जबाव देती है. पहले ऐसी नहीं थी वह. पहले तो कितनी हंसमुख और चुलबुली हुआ करती थी. मगर अब तो जैसे वह हंसनामुसकराना ही भूल गई है. न किसी से मिलतीजुलती है, न ही किसी का फोन उठाती है. उस के दिमाग में पता नहीं क्या चलता रहता है. उसे लगता है उस के पीठ पीछे लोग बातें बनाते होंगे. कितना समझाया उसे कि ऐसा कुछ भी नहीं है, तू बेकार में कुछ भी सोचती है. लेकिन कहती है, तू नहीं समझेगी. अब क्या समझूं मैं. हद है अब तो मुझ से भी ठीक से बात नहीं करती. फोन करो तो एक छोटा सा मैसेज छोड़ देती है ‘कुछ अरर्जैंट है?’
अरे, अब अरजैंट होगा तभी कोई किसी से बात करेगा क्या? इसलिए फिर मैं ने भी उसे फोन करना छोड़ दिया. तब एक दिन उस ने खुद ही मुझे कौल की और सौरी बोल कर रोने लगी. दया भी आई उस पर. कहने लगी कि उस के मम्मीपापा भी उस से ठीक से बात नहीं करते. कोई नहीं समझता उसे. कम से कम मैं तो उसे समझूं. लेकिन बहन तूने ही तो किनारा कर लिया हम से, तो कैसे समझूं और समझाऊं तु, मन किया बोल दे. पर लगा जब इंसान का मूड अच्छा नहीं होता है तो अच्छी बातें भी बुरी लगती हैं. इसलिए कुछ नहीं बोला और उस की ही सुनती रही. अरे, वही सब बातें और क्या कि उस ने मेरे साथ ऐसा किया, वैसा किया वगैरहवगैरह.
और क्या मैं आर्या के मम्मीपापा को नहीं जानती? बहुत अच्छे इंसान हैं वे लोग. देखा है मैं ने वे अपनी बेटी को कितना प्यार करते हैं. लेकिन उसे लगता है कि उस के मम्मीपापा भी उसे नहीं समझते. उस का कोई दोस्त भी उसे नहीं समझाता. अरे, पहले तुम खुद को तो समझ लो, खुद से प्यार करो, खुश रहने की कोशिश करो तो खुशियां अपनेआप तुम्हारे दामन में भर जाएंगी. मगर मेरी बात समझाने के बजाय उलटे कहेगी कि लोगों के लिए फिलौसपी झड़ना बहुत आसान है. लेकिन जिस पर गुजरती है वही जानता है.
वैसे कह तो सही ही रही है वह कि जिस पर गुजरती है वही जानता है. बेचारी का समय ही खराब चल रहा है. पहले तो बौयफ्रैंड से उस का ब्रेकअप हो गया और उस के बाद उस की जौब पर भी आफत आ गई. खैर, जौब तो दूसरी लग गई, लेकिन बौयफ्रैंड से ब्रेकअप का दर्द वह भुला नहीं पा रही है. कहती है, बहुत अकेलापन महसूस होता है. कुछ अच्छा नहीं लगता. लगता है मर जाऊं.
‘‘पागल, ऐसे क्यों बोल रही है तू?’’ मैं ने उसे समझने की कोशिश की, ‘‘एक ब्रेकअप ही तो हुआ है. ऐसा कौन सा तूफान आ गया तेरे जीवन में जो तू अपनी जान देने की बात कर रही है? अपने मांपापा के बारे में तो सोच कि तुम्हारे बिना उन का क्या होगा?’’
मेरी बात पर आर्या सिसकने लगी फिर कहने लगी, ‘‘मेरी क्या गलती थी? यही न की मैं ने उस लड़के से प्यार किया? लेकिन उस ने मेरे प्यार के बदले धोखा दिया.’’
‘‘अरे तो अच्छा ही हुआ न जो समय रहते तुझे उस की असलियत मालूम पड़ गई? चल, अब अपने आंसू पोंछ और हंस दे एक बार,’’ लेकिन उस ने तो मेरा फोन ही काट दिया. मैं ने भी फिर उसे यह सोच कर फोन नहीं किया कि रो लेने देते हैं उसे. मन हलका हो जाएगा तो खुद ही फोन करेगी.
मैं खुशी उस के बचपन की दोस्त. हम ने एक ही स्कूल से पढ़ाई पूरी की है और कालेज भी साथ ही कंप्लीट किया. जहां उस ने आर्किट्रैक्चर बनना चुना, वहीं मैं ने ग्रैजुएशन के बाद एमबीए कर एक बड़ी कंपनी में जौब ले ली. आर्या और मेरी दोस्ती इतनी पक्की है कि हम कहीं पर भी रहें पर एकदूसरी के टच में होती हैं. आज भी हम एकदूसरे से अपनी छोटी से छोटी बात भी शेयर करती हैं.
आर्या के प्यार के बारे में भी मुझे 1-1 बात पता है कि वह और उस का बौयफ्रैंड धु्रव कब और कैसे मिले, कैसे उन की दोस्ती हुई और फिर कैसे उन की दोस्ती प्यार में बदल गई. यह भी बताया था आर्या ने कि उस ने नहीं बल्कि ध्रुव ने ही उसे प्रपोज किया था. वैसे इस बात से क्या फर्क पड़ता है कि किस ने किसे पहले प्रपोज किया. धु्रव कोडिंग में है. महीने के वह डेढ़ से 2 लाख रुपए कमाता है. ऊपर से वह अपने मातापिता का एकलौता बेटा है. बहुत ही अमीर परिवार से है. पैसों की कोई कमी नहीं है उस के पास.यह सब आर्या ने ही मुझे बताया था. वैसे आर्या भी कोई ऐसेवैसे परिवार से नहीं है. उस के पापा एक सफल बिजनैसमैन हैं. आर्या खुद आर्किटैक्ट है. महीने के वह भी लाख रुपए से कम नहीं कमाती है. उस का एक छोटा भाई भी है जो बैंगलुरु में मैडिकल की पढ़ाई कर रहा है.
आर्या मुझे फोन पर बताती रहती कि उस की और धु्रव की लवलाइफ कितने मजे से चल रही है. कैसे दोनों छुट्टियों में लौंग ड्राइव पर निकल पड़ते हैं. धु्रव उसे खूब शौपिंग करवाता है. महंगेमहंगे गिफ्ट देता है. वह अपने और धु्रव के फोटो भी शेयर करती मुझ से और मैं ध्रुव को ले कर उसे छेड़ती तो वह शरमा कर ‘धत’ बोल कर फोन रख देती थी. यह भी बताती कि जब कभी उस में और धु्रव में किसी बात को ले कर बहस हो जाती है और वह रूठ कर बैठ जाती है तो धु्रव ही उसे मनाने आता है भले ही गलती आर्या की हो. दीवानों की तरह वह उस के आगेपीछे तब तक डोलता जब तक आर्या उसे माफ नहीं कर देती.
सच कहूं तो कभीकभी तो मुझे आर्या से जलन होने लगती थी कि उसे धु्रव जैसा प्यार करने वाला इतना अच्छा जीवनसाथी मिला. इतने अच्छे पेरैंट्स, जिन्होंने धु्रव और उस के रिश्ते पर अपनी मुहर लगा दी. और क्या चाहिए उसे जीवन में? सबकुछ तो मिल गया उसे.
दिन इसी प्रकार हंसीखुशी बीत रहे थे हमारे. रोज हम फोन पर कुछ देर बात करते और फिर फोन करने का वादा कर अपनीअपनी दिनचर्या में व्यस्त हो जाते थे. एक रोज रात के 2 बजे आर्या का फोन आया. बहुत परेशान लग रही थी. पूछने पर कहने लगी, ‘‘अब धु्रव उसे पहले जैसा प्यार नहीं करता.’’
‘‘क्यों, क्या हुआ? लड़ाई हुई क्या तुम दोनों के बीच?’’
मेरी बात पर वह बोली, ‘‘नहीं, कोई लड़ाई नहीं हुई. लेकिन इधर कुछ दिनों से बेवजह ही धु्रव मुझ से खीजने, ऊबने लगा है. मेरी जिन अदाओं पर वह कभी री?ा उठता था, वही अब उसे बोरिंग लगने लगी हैं. एक दिन में 20 बार फोन करने वाला धु्रव अब मुझे 2-2 दिनों तक फोन नहीं करता. पूछने पर दोटूक जबाव देता है कि उसे और कोई काम नहीं है क्या? बातबात पर अब मुझे झिड़कने लगा है.’’
‘‘तो तू पूछती क्यों नहीं कि वह ऐसा क्यों कर रहा है?’’
मेरी बात पर वह बोली, ‘‘पूछा तो उस ने सारी बातें खोल कर रख दी और कहा कि उस के औफिस में उस के साथ काम करने वाली एक लड़की कनक से उसे प्यार हो गया और वह उस से शादी करना चाहता है.’’
‘‘क्या ऐसा कहा उस ने तुम से? नहींनहीं यह नहीं हो सकता है वह तुम से मजाक कर रहा होगा.’’
मेरी बात पर वह सिसक पड़ी और कहने लगी, ‘‘नहीं यह कोई मजाक नहीं है. सच में धु्रव की जिंदगी में कोई और लड़की आ गई है और वह उस से शादी करना चाहता है.’’
‘‘अरे, बड़ा ही दोगला इंसान निकला वह,’’ गुस्सा आ गया मुझे कि प्यार किसी और से और शादी किसी और से.
आर्या फिर कहने लगी, ‘‘यह बात सुन कर उसे लगा जैसे किसी ने मेरे दिल पर हजारों मन का पत्थर रख दिया हो. मुझे लगा मैं चक्कर खा कर वहीं पर गिर पड़ूंगी. लेकिन मैं ने खुद को संभाला और सवाल किया कि उसे शादी के सपने दिखाने के बाद आज वह ऐसा कैसे कह सकता है कि उसे किसी और लड़की से प्यार हो गया और वह उस से शादी करना चाहता है? अब मैं ने अपने मांपापा को क्या जबाव दूंगी? क्या कहेगी कि जिस लड़के पर मैं ने खुद से ज्यादा भरोसा किया, उस ने ही मुझे धोखा दे दिया? उस पर ध्रुव ने पता है क्या कहा? कहा कि वह उसे भी साथ रखना चाहता है, प्रेमिका बना कर. ‘‘प्रेमिका या रखैल?’’ चीख पड़ी थी मैं. उस रोज घिन्न हो आई थी मुझे ध्रुव से. उस के दिए सारे उपहार, कार्ड्स, जला दिए और उस का फोन नंबर भी अपने फोन से डिलीट कर दिया. अपना ट्रांसफर भी दूसरे शहर में करवा लिया ताकि कभी धु्रव का मुंह न देखना पड़े.’’
ब्रेकअप के बाद आर्या बिलकुल ही बदल गई. वह पहले जैसी रही ही नहीं क्योंकि लोगों पर से उस का विश्वास जो उठ गया. सारे रिश्तेनाते, दोस्त उसे छलावा लगने लगे. इसलिए उस ने सब से बात करना ही छोड़ दिया. चिड़चिड़ी और उदास रहने लगी थी वह. कभी चीखतीचिल्लाती, तो कभी रो कर शांत पड़ जाती. सोचती हूं, अगर मैं आर्या की जगह होती न तो बताती उस धु्रव के बच्चे को. ऐसा मजा चखाती उसे कि फिर किसी से प्यार करना ही भूल जाता. ऐसे लोग आखिर समझाते क्या है लड़कियों को? हाथ का खिलौना? जब मन किया खेल लिया वरना फेंक दिया. प्यार का नाटक करता रहा आर्या से और सगाई कर ली किसी और से. ऐसा कैसे कर सकता है कोई किसी के साथ? और यह बेचारी आर्या… उस के साथ शादी के सपने ही देखती रह गई.
अभी परसों जब उस ने मुझ से वीडियो कौल पर बात की, तो उसे देख कर मैं शौक्ड रह गई. उस के चेहरे पर जगहजगह रिंकल्स दिखाई देने लगी थीं. उस का गोरा रंग मलिन पड़ गया था. अभी इतनी तो उम्र नहीं हुई है उस की जो चेहरे पर रिंकल्स दिखाई पड़ने लगें. सिर्फ 25 की तो है अभी. लेकिन टैंशन, डिप्रैशन के कारण उस ने खुद को ऐसा बना लिया है. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपनी दोस्त के लिए ऐसा क्या करूं जिस से उस के चेहरे पर खुशी लौट आए?
फिर मेरे दिमाग में एक आइडिया आया. मैं ने उसी वक्त उसे फोन लगाया और फिर अपने स्कूल के सारे पुराने दोस्तों से भी बात की. प्लान बना कि हम सब किसी हिल स्टेशन पर घूमने चलेंगे और सारी पुरानी यादें ताजा करेंगे? सब के टाइम का खयाल रखते हुए हम ने कहीं अच्छी शांत जगह पर एक बढि़या सा ‘होम स्टे’ कौटेज में छुट्टी मनाने का प्लान बनाया. लेकिन यह बात हम ने आर्या को नहीं बताई अभी क्योंकि पता है वह सीधे न कर देगी.
‘‘हैलो, क्या कर रही हो मैडम?’’ मैं बोली.
‘‘कुछ नहीं, तू बता?’’ अनमने ढंग से आर्या ने जबाव दिया.
‘‘कैसी मरीमरी सी आवाज निकल रही है तेरी. कुछ खायापीया नहीं है क्या सुबह से? आंटी ने कुछ खाने को नहीं दिया क्या तुझे?’’ बोल कर मैं खिलखिला पड़ी, फिर बोली, ‘‘अच्छा छोड़ ये सब. एक खुशखबरी देनी है तुझे. स्कूल के हम सारे दोस्त एक जगह पर मिल रहे हैं, तू भी आ जा. मजे करेंगे. बचपन की यादें ताजा करेंगे.’’
मेरी बात पर वह चुप रही.
‘‘अच्छा, सुन न, वह मोटा अतुल याद है तुझे? जिसे हम अमूल घी की फैक्टरी कह कर चिढ़ाया करते थे? अरे, जिस का कद्दू सा पेट निकला था? लो, महारानी यह भी भूल गई. अरे, वह हमारे स्कूल का दोस्त. याद आया? जो छिपा कर हमारा भी लंच का डब्बा साफ कर दिया करता था? हां, वही. उस की शादी हो गई.’’
मेरी बात पर वह धीरे से बोली, ‘‘अच्छा, लेकिन किस से?’’
‘‘यह तो नहीं पता. लेकिन अब वह पहले की तरह मोटा नहीं रहा. काफी स्मार्ट हो गया है. देखना, पहचान ही नहीं पाएगी तू तो.’’
मेरी बातें वह गौर सुन भी रही थी और जबाव भी दे रही थी. उसे नौर्मली बात करते देख मुझे राहत मिली वरना तो हमेशा ही तनाव में होती है. हम काफी देर तक फोन पर बातें करते रहें. ‘‘अच्छा तो चल, अब मैं फोन रखती हूं और सुन, दिन और जगह तुम्हें फोन पर बता दूंगी, आ जाना.’’
मगर आर्या कहने लगी, ‘‘मैं नहीं आ पाऊंगी. आप लोग ऐंजौय करें.’’
‘‘नहीं आएगी? तो फिर ठीक है, आज से तेरी और मेरी कुट्टी. दोस्ती खत्म समझ हमारी. दोस्त की कोई वैल्यू ही नहीं रह गई तेरी नजर में अब तो.’’
मेरी बात पर वह घबरा उठी. उसे लगा कहीं मैं सच में उस से कुट्टीन कर लूं.
‘‘खुशी, सुन न, गुस्सा मत हो यार. अच्छा मैं आऊंगी. बता कहां और कब आना है?’’
‘‘यह हुई न बात. मेरी क्यूटी पाई,’’ मैं ने फोन पर ही उसे एक प्यारा सा मीठा सा चुम्मा दिया और फोन रख कर सोचने लगी कि इसे क्या पता, मैं ने इस के लिए कितना बड़ा सरप्राइज रखा है. खुश नहीं हो गई, तो कहना. वैसे आप को तो बता ही सकती हूं क्या सरप्राइज है? वह सरप्राइज है शिखर हां वही शिखर, जिस से कभी आर्या प्यार करती थी और दोनों जुदा हो गए.
याद है मुझे. शिखर जब स्कूल से चला गया था तब आया कितना रोई थी. कई दिनों तक स्कूल नहीं आई थी क्योंकि उस स्कूल में अब रखा ही क्या था उस के लिए? शिखर भी उसी स्कूल में पढ़ता था, जिस में मैं और आर्या. वह भी उसी वैन से स्कूल आताजाता था जिस में मैं और आर्या. बहुत नजदीक से देखा है मैं ने आर्या की आंखों में शिखर के लिए प्यार. आर्या मेरी जितनी ही थी, 15-16 साल की. सपनों और उमंगों के पंख लगा कर इस डाल से उस डाल उड़ती हुई उम्र. जिसे पहली नजर में प्यार हो जाना कहते हैं. वैसा ही प्यार हो गया था आर्या को शिखर से.
पूरे स्कूल में आर्या की आंखें शिखर के पीछेपीछे ही घूमती थीं. शिखर को भी मालूम था कि आर्या की आंखें उस का ही पीछा कर रही हैं क्योंकि उस ने आर्या की आंखों के रास्ते उस के मन की आकुलता को पढ़ लिया था. जैसे ही आर्या से उस की आंखें मिलतीं, वह नजरें झुका लेता और आगे बढ़ जाता. आर्या के लिए कसक तो उस के दिल में भी थी. महसूस किया मैं ने और सिर्फ मैं ने ही क्यों बल्कि क्लास के सारे बच्चों को पता थी उन दोनों की लवस्टोरी. तभी तो पूरे स्कूल में सब उन्हें लैलामजनूं कह कर चिढ़ाते थे. उन का वह मासूम प्यार आज भी याद है मुझे, जब हमारे स्कूल में ड्रामा कंपीटिशन हुआ था. तब आर्या और शिखर हीररांझा बने थे और उस वक्त उन दोनों ने आंखों ही आंखों में अपने दिल की सारी बातें कह डाली थीं एकदूसरे से.
आर्य जब शिखर को ले कर अपनी फिलिंग्स शेयर करती तो मैं उसे सम?ाती, ‘‘देख, यह प्यार नहीं आकर्षण है केवल और यह बात मेरी मम्मी ने मुझे समझाई है. इसलिए कह रही हूं, तू अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे नहीं तो फेल हो जाएगी और फिर तेरे मम्मीपापा से तुझे डांट पड़ेगी.’’
मेरी बात पर वह मुंह बिचकाती हुए कहती, ‘‘ज्यादा मेरी दादी बनने की कोशिश मत कर समझ ? बड़ी आई मम्मी वाली. सुना नहीं क्या, प्यार पर किसी का जोर नहीं चलता.’’
इतनी छोटी सी उम्र में आर्या बड़ीबड़ी बातें करने लगी थी, प्यार, मुहब्बत की बातें.
16 साल की छोटी सी उम्र में ही आर्या छलांग लगा कर शिखर के साथ प्यार का भी मिलों का सफर तय कर लेना चाहती थी. हर बात की जल्दबाजी थी उस में. लेकिन शिखर स्थिर माइंड का था, बहुत ही शांत. शिखर हमारी तरह दिल्ली का रहने वाला नहीं था. चूंकि उस के पापा आर्मी में थे, इसलिए हर 3-4 साल पर उन का तबादला एक से दूसरी जगह होता रहता था. इस बार उस के पापा का तबादला जम्मू हो गया. 10वीं कक्षा के बाद शिखर भी अपने पापा के पास जम्मू चला गया. शिखर के चले जाने से आर्या का दिल टूट गया. उस ने ठीक से खानापीना यहां तक कि दोस्तों से मिलना भी कम कर दिया. हरदम उदास, खोईखोई सी रहती. उस का उतावलापन, शोखियां सब खत्म हो चुकी थीं.
खैर, स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद कालेज की पढ़ाई भी मैं ने और आर्य ने साथ ही कंप्लीट की. जौब भी लग गई हमारी. फिर आर्या की जिंदगी में एक लड़के धु्रव ने ऐंट्री ली. धु्रव के साथ उसे खुश देख कर मु?ो लगा वह शिखर को भूल गई. लेकिन भूली नहीं थी वह. बल्कि अपने जीवन में थोड़ा आगे बढ़ गई थी. और शिखर भी तो अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गया था. उस के जीवन में भी एक लड़की आई जिस से उस की सगाई भी हो गई. अपनी सगाई का फोटो भी भेजा था उस ने मुझे. काफी खुश लग रहा था वह. इधर आर्या भी अपने ध्रुव के साथ खुश थी.
एक रोज शिखर का मन टटोलते हुए मैं ने पूछा भी कि क्या उसे कभी आर्या की याद नहीं आती? प्यार तो उसे भी था आर्या से? मेरी बात पर वह कुछ देर चुप रहा, फिर बोला कि हां, आती है, बहुत आती है. तो फिर तुम ने उसे एक बार भी कौल क्यों नहीं किया? मेरी बात पर वह बोला कि इसलिए उसे कौल नहीं किया क्योंकि वह अपने ध्रुव के साथ खुश थी. लेकिन जब मैं ने उसे आर्या का ध्रुव के साथ हुए ब्रेकअप के बारे में बताया तो वह बहुत दुखी हुआ. मिलना चाहता था वह आर्या से पर डरता था कि पता नहीं वह कैसे रिएक्ट करेगी.
अब अकसर मेरी शिखर से बातें होने लगीं और उस की बातों में केवल और केवल आर्या का ही जिक्र होता था. एक दिन उस ने कहा कि उस ने अपने मम्मीडैडी से आर्या और अपने रिश्ते के बारे में सब बता दिया है और उन्हें उन के रिश्ते पर कोई एतराज नहीं है. वह आर्या से मिलने के लिए बहुत उतावला था. इसलिए ही हम ने केरल घूमने का प्रोग्राम बनाया. लेकिन आर्या को यह नहीं बताया कि वहां शिखर भी आने वाला है.
फोन की घंटी से मैं अतीत की यादों से बाहर आ गई. देखा तो शिखर का फोन था. केरल में कौटेज बुक हो चुका था और उस का नाम था ‘अम्मां होम स्टे’ जिस में 24 घंटे रूम सर्विस, कार किराए पर लेने की सुविधा, कार पार्किंग और वैलेट सेवाओं के साथसाथ केरल का घरेलू भोजन, दक्षिण भारतीय व्यंजन, इंटरनैट की सुविधा, परिवहन और गाइड सेवाएं उपलब्ध थीं.
हम सारे दोस्त और आर्या भी केरल पहुंच चुके थे सिवा शिखर के. डर लग रहा था कि शिखर आएगा भी या नहीं क्योंकि वह कह रहा था न कि छुट्टी की बहुत प्रौब्लम चल रही है. लेकिन वह आया. जैसे ही शिखर से आर्या का सामना हुआ वह शौकड रह गई. उसे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उस के सामने शिखर, उस का प्यार खड़ा है. वह एकटक शिखर को निहार रही थी और शिखर उसे.
जब शिखर ने अपनी बांहें फैलाईं तो आर्या दौड़ कर उस के सीने से लिपट गई और रो पड़ी. उस के आंखों से ऐसे आंसू बहे जैसे धरती का सीना फोड़ कर अचानक कोई जलस्रोत फूट पड़ा हो. उन के बीच की सारी दूरियां और जो भी गिलेशिकवे थे मिट गए. हम सारे दोस्त भी एकदूसरे से गले मिल कर बहुत खुश हुए. सच कहें तो हम यहां अपना बचपनजी रहे थे. बहुत मजा आ रहा था हमें.
यह कौटेज 2 हिस्सों में बंटा था. आगे के हिस्से में 2 बैडरूम, 1 लिविंगरूम और सामने बरामदा और फूलों से सजा लौन था. पीछे की ओर 1 बैडरूम, 1 लिविंगरूम और छोटा सा बरामदा और सामने लौन था, जिस में फूलों की क्यारियां लगी थीं. और भी बहुत कुछ था जिस का वर्णन करना मुश्किल है. मतलब सुंदरता का खजाना था यहां.
सुबह ब्रेकफास्ट के बाद हम सारे दोस्त एक गाड़ी कर के घूमने निकल पड़े. मुन्नार, वर्कला, फोर्ट कोच्चि, आदि सभी जगहों पर हम घूमें और खूब मस्ती की. मगर आर्या और शिखर ज्यादातर एकदूसरे में ही खोए रहे. हमें तो लग रहा था कि कहीं हम उन्हें कबाब में हड्डी तो नहीं लगने लगे? हम ने मजाक में कहा भी, पर दोनों झेंप गए. खैर, जो भी हो पर हम यहां पर बहुत ऐंजौय कर रहे थे. हम चाय और गरममसाले के बगानों में भी घूमे और वहां से अपनेअपने घर के लिए गरममसाला और तरहतरह की चाय खरीदी. हमारा समय कब बीत गया पता ही नहीं चला. 2 दिन हवा की तरह निकल गए.
कल 12 बजे की हमारी वापसी की फ्लाइट थी, इसलिए रात 2 बजे तक हम सब ने खूब मस्ती की. 1-2 फिल्में देखीं, बातें कीं. पता नहीं क्याक्या खाया भी. मतलब फुल मस्ती की हम ने. मगर इस बात का दुख भी हो रहा था कि कल हम सब फिर बिछड़ जाएंगे. लेकिन हम ने एकदूसरे से यह वादा लिया कि अपने जीवन में हम कितने भी बिजी क्यों न हों, साल में 1 बार इस तरह जरूर मिला करेंगे.
सुबह जब मेरी नींद खुली तो देखा आर्या अपने शिखर के बांहों में लिपटी हुई चैन की नींद सो रही थी और शिखर उसे एकटक निहारे जा रहा था. जुल्फों से झांक रहा उस का गोरा चेहरा जैसे दूध में ईगुर घोल दिया हो किसी ने. नींद में भी दीप्ति से भरा हुआ. उस की बड़ीबड़ी आंखों के बंद पटों पर झालर सी टंकी बरौनियां. छोटी सी प्यारी सी नाक, गुलाब की पंखुडि़यों से लाललाल होंठ और उस के अधखुले कपड़ों से ?झांकते 2 अमृतकलश देख शिखर सम्मोहन में डूब ही रहा था कि मैं जोर से खांसी तो वह अचकचा गया और आर्या भी उठ बैठी. पीछे से सारे दोस्त ‘हो हो’ कर हंसने लगे तो वे दोनों भी मुसकरा उठे.
‘‘भाई, सब अपनाअपना समान समेट लो. निकलना होगा हमें,’’ कह कर जैसे ही मैं पीछे मुड़ी देखा दोनों की आंखें एकदूसरे में डूबी हुई थीं जैसे वे एकदूसरे से कह रहे हों कि वादा रहा प्यार से प्यार का… अब हम न होंगे जुदा.