अगली किट्टी पार्टी का दिन आ गया. पार्टी सुरेखा के यहां थी. इस बार नेहा सब को उत्साहित हो कर बता रही थी, ‘‘मामा की शादी के 1 साल बाद ही उन का डाइवोर्स हो गया था. मामी अपने किसी प्रेमी के साथ शादी करना चाहती थी.
वह मामा के साथ एक दिन भी नहीं चाहती थी, मामा को उन्होंने बहुत तंग किया. मामी की इच्छा को देखते हुए मामा ने उन्हें चुपचाप डाइवोर्स दे दिया, उन्होंने तो अपने प्रेमी से शादी कर ली, लेकिन मामा ने उस के बाद गृहस्थी नहीं बसाई. मामा एक मल्टीनैशनल कंपनी में अच्छी पोस्ट पर हैं. बस, उन्होंने काम में ही हमेशा खुद को व्यस्त रखा.’’
सुनंदा चुपचाप देव की कहानी सुन रही थी. नेहा ने अचानक पूछा, ‘‘सुनंदाजी, आप की और मामा की शौपिंग कैसी रही?’’
‘‘बहुत अच्छी,’’ कह कर सुनंदा और बाकी महिलाएं बातों में व्यस्त हो गईं.
अगले दिन औफिस से लौट कर देव सुनंदा के घर आए, उन्हें कार की चाबी दी. कहा, ‘‘आप की गाड़ी ले आया हूं.’’
सुनंदा ने कहा, ‘‘थैंक्स, आप बैठिए. मैं चाय लाती हूं.’’
थोड़ी देर में सुनंदा चाय ले आई. बातों के दौरान पूछा, ‘‘आप कैसे जाएंगे अब?’’
देव हंसे, ‘‘आप छोड़ आइए.’’
सुनंदा ने भी कहा, ‘‘ठीक है,’’ और खिलखिला दी.
तभी सुनंदा के मोबाइल की घंटी बजी. अलका थी. हालचाल पूछने के बाद वह कह रही थी, ‘‘सुनंदा, तुम फ्री हो न?’’
सुनंदा के कान खड़े हुए, ‘‘क्यों, कुछ काम है क्या?’’
‘‘अभी से बता रही हूं, मेरी सहेली ने घर पर कीर्तन रखा है. उस ने तुम्हें भी बुलाया है. कल आ जाना, साथ चलेंगे.’’