पर डाक्टर आनंद ने कभी उस का प्रेमी बनने की कोशिश नहीं की.डाक्टर आनंद ने जब अपनी शादी की25वीं सालगिरह मनाई तब लगभग पूरे अस्पताल को अपनी कोठी पर दावत में बुलाया. वहांजब अनिता नहीं पहुंची, तो सब को बहुतहैरानी हुई.
अनिता ने अपने न आने की बात डाक्टर आनंद को पहले ही बता दी थी.‘‘तुम पार्टी में क्यों नहीं आओगी?’’ डाक्टर आनंद उस की बात सुन कर उलझन का शिकार बन गए थे.‘‘सर, मेरी और आप की दोस्ती अस्पताल के अंदर ही ठीक है. यहां आप के सब से ज्यादा नजदीक मैं ही हूं.
आप के घर में बात अलग होगी. वहां आप के ऊपर मुझ से ज्यादा अधिकार रखने वाले बहुत लोग होंगे और यह बात मेरा दिल सहन नहीं कर पाएगा,’’ अनिता ने अपने मन की बात साफसाफ बता दी.‘‘यह तो समझदारी वाली बात नहीं हुई,’’ डाक्टर आनंद ने सिर्फ इतना ही कहा औरफिर उस पर पार्टी में शामिल होने को जोरनहीं डाला.
‘‘मैं सिरफिरी लड़की हूं, इतना तो आप मेरे बारे में समझ ही लीजिए,’’ खुल कर मुसकरा रही अनिता की नजरों का सामना नहीं कर पाए थे उस शाम डाक्टर आनंद और सोच में डूबे से वार्ड का राउंड लेने निकल गए.
उन के एक मरीज योगेशजी ने अपने बेटे की शादी में डाक्टर आनंद और अनिता दोनों को बहुत जोर दे कर बुलाया था. वहां से लौटते हुए देर हो गई तो दोनों को अपने घर ले आए थे. उन के रुकने की व्यवस्था उन्होंने 2 गैस्टरूमों में करवा दी थी.
उस रात अनिता उन के कमरे में चलीआई. बोली, ‘‘मैं आज आप से दूरनहीं सोना चाहती हूं,’’ और फिर उन की छाती से जा लगी.डाक्टर आनंद कुछ पलों तक पत्थर की मूर्ति से खड़े रहे. फिर जब अनिता ने उन की आंखों में प्यार से झंका तो उन्होंने उसे अपनी बांहों के मजबूत बंधन में कैद कर लिया.डाक्टर आनंद उस की जिंदगी में आने वाले पहले पुरुष थे.