कालेज की सहेली अनिता से करीब 8 साल बाद अचानक बाजार में मुलाकात हुई तो हम दोनों ही एकदूसरे को देख कर चौंकीं.

‘‘अंजु, तू कितनी मोटी हो गई है,’’ अनिता ने मेरे मोटे पेट में उंगली घुसा कर मुझे छेड़ा.

‘‘और तुम क्या मौडलिंग करती हो? बड़ी शानदार फिगर मैंटेन कर रखी है तुम ने, यार?’’ मैं ने दिल से उस के आकर्षक व्यक्तित्व की प्रशंसा की.

‘‘थैंक्यू, पर तुम ने अपना वजन इतना ज्यादा...’’

‘‘अरे, अब 2 बच्चों की मां बन चुकी हूं मोटापा तो बढ़ेगा ही. अच्छा, यह बता कि तुम दिल्ली में क्या कर रही हो?’’ मैं ने विषय बदला.

‘‘मैं ने कुछ हफ्ते पहले ही नई कंपनी में नौकरी शुरू की है. मेरे पति का यहां ट्रांसफर हो जाने के कारण मुझे भी अपनी अच्छीखासी नौकरी छोड़ कर मुंबई से दिल्ली आना पड़ा. अभी तक यहां बड़ा अकेलापन महसूस हो रहा था पर अब तुम मिल गई हो तो मन लग जाएगा.’’

‘‘मेरा घर पास ही है. चल, वहीं बैठ कर गपशप करती हैं.’’

‘‘आज एक जरूरी काम है, पर बहुत जल्दी तुम्हारे घर पति व बेटे के साथ आऊंगी. मेरा कार्ड रख लो और तुम्हारा फोन नंबर मैं सेव कर लेती हूं,’’ और फिर उस ने अपने पर्स से कार्ड निकाल कर मुझे पकड़ा दिया. मैं ने सरसरी निगाह कार्ड पर डाली तो उस की कंपनी का नाम पढ़ कर चौंक उठी, ‘‘अरे, तुम तो उसी कंपनी में काम करती हो जिस में मेरे पति आलोक करते हैं.’’

‘‘कहीं वे आलोक तो तेरे पति नहीं जो सीनियर सेल्स मैनेजर हैं?’’

‘‘वही मेरे पति हैं...क्या तुम उन से परिचित हो?’’

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