भले ही आकाश के दिल में उस के लिए कोई जगह नहीं थी, सिर्फ अट्रैक्शन था, पर वह नादान तो आकाश की नशीली बातों को प्यार समझ बैठी थी.
अब वह भी चाशनी में भीगे हुए दुनिया के सब से मीठे अल्फाज… मुहब्बत का स्वाद चख लेना चाहती थी. अपने दिल के कोरे पेपर पर किसी का नाम लिख देना चाहती थी. इसलिए उस ने भी आकाश का नाम अपने दिलोदिमाग और लैपटौप से झटक कर अलग कर दिया और फिर से अपना टिंडर अकाउंट खोल कर बैठ गई.
उस की नजर फ्रेंड सजेशन पर गई. उस ने तुरंत वह प्रोफाइल खोली. नाम था क्रिश और वह एमबीए का छात्र था.
इस बार वह कोई गलती नहीं करना चाहती थी. वो कहते हैं ना, दूध का जला छाछ भी फूंकफूंक कर पीता है. उस ने अपनी समझदारी का परिचय देते हुए क्रिश का फेसबुक और इंस्टा अकाउंट भी खंगाल डाला. इस तहकीकात के दौरान उस ने जाना कि वो एक पढ़ाकू किस्म का लड़का है, जिस ने ओलिंपियाड जैसी कई कंपटीशन का प्रथम खिताब अपने नाम कर रखा था. इस के सिवा वह भी मुसकान की तरह साहित्यप्रेमी था. कई प्रसिद्ध हिंदी और अंगरेजी साहित्यों के रिव्यू उस की वाल पर थे.
मुसकान ने सोचा कि कला प्रेमी है… वह जरूर ही बहुत डीसेंट होगा और प्यार की रूहानी गहराई को समझता होगा… ना कि सिर्फ जिस्मानी संबंध बनाने को इच्छुक होगा. उस ने राइट स्वाइप कर दिया, क्रिश भी जैसे बरसों से इसी पल की तलाश में था, तुरंत इट्स अ मैच का नोटिफिकेशन मुसकान की स्क्रीन पर आ गया.
“मुसकानजी, हम ने आप को आप के कालेज के एन्यूअल फंक्शन में देखा था, तब से ही आप को दिल दे बैठे हैं. और आप हम पर भरोसा रखिएगा… ये सिर्फ फ्लर्ट नहीं हम आप से सच्चीमुच्ची का प्रेम करते हैं.
“आप यकीन मानिएगा, आप हमारा पहला और आखिरी प्यार हैं. टिंडर और फेसबुक पर कब से आप को रिक्वेस्ट भेज कर आप के जवाब में राहों में फूल बिछा कर बैठे हैं.
“आप को एक सीक्रेट बताएं… आप के दीदार के लिए तो कई दीवाने कालेज छूटने के वक्त कालेज गेट के बाहर मंडराते रहते हैं. उन में से एक हम भी हैं…
“और आप इतनी हसीन हैं कि जब आप पास से गुजरती हैं तो लगता है कि इत्र की शीशी खोल कर किसी ने हमारे बीच रख दी हो, जिस में हम डूबतेउतरते रहते हैं,” क्रिश ने शरमाते हुए कहा था.
उस की इस मासूमियत भरी दरियाफ्त पर मुसकान हंसे बिना नहीं रह पाई थी.
“तो आप बिहार से हैं…?”
“ओ… हो… तो आप भी हम में उतनी ही इंट्रेस्टेड हैं और हमारी पूरी कुंडली भी निकाल चुकी हैं .”
“नहीं क्रिश, ऐसी कोई बात नहीं है. इनसान की भाषा उसे खुद ब खुद बयान कर देती है. बाय द वे… आई लव्ड योर नेम… क्रिश.”
“थैंकयू… वैसे, हमारा गुड नेम तो कृष्णा है, पर यहां मुंबई आ कर अपनेआप क्रिश में तबदील हो गया. हम यहां पोपुलर ही इतने हैं. बचपन से ही मैथ्स विषय में हमारी पकड़ बहुत मजबूत रही है. मुश्किल से मुश्किल सवाल भी हम चुटकियों में सोल्व कर जाते हैं.”
“ओ वाउ… दैट्स वंडरफुल .. मे गौड कंटीन्यू टू शावर ब्लेससिंग्स औन यू.”
“हां मुसकानजी, आप को हम सच बताएं, तो यह सब ऊपर वाले से मांगी मनौती का ही परिणाम है,” कहते हुए उस ने अपने दोनों हाथ जोड़ लिए.
मुसकान ने देखा कि उस ने अपने हाथों में ग्रहों को रिझाने के लिए अलगअलग अंगूठी और गले में भी तावीज पहन रखा था. पर फिर भी क्रिश उसे संस्कारी और एक भला लड़का लगा. देखने में भी वह ठीकठाक था, क्योंकि इस से पहले उस का पाला आकाश से पड़ा था, जो अल्ट्राफास्ट था. धीरेधीरे दोनों के बीच चैटिंग बढ़ने लगी. दोनों एकदूसरे के साथ अधिक समय व्यतीत करने लगे.
“अच्छा मुसकानजी बाय… मैं आप से शाम को बात करूंगा,” एक दिन चैट के दरमियान क्रिश ने मुसकान से कहा.
“अरे, अचानक ऐसे क्यों बाय…?” मुसकान ने पूछा.
“वो क्या है ना, मुझे एग्जाम का फार्म भरना है. सवा 6 बजे का समय बहुत अच्छा है और 6 बज कर 10 बज चुके हैं, वरना शुभ समय टल जाएगा.”
डिसकनेक्ट होने के बाद मुसकान सोचने पर मजबूर हो गई थी. अपने कैरियर के लिए सजग होना अच्छी बात है… पर क्रिश का इतना अंधविश्वासी होना उसे रास नहीं आया. उसे लगने लगा कि क्रिश एक नेकदिल लड़का है और दोस्ती के लिए विश्वसनीय भी है, पर उस के सपनों का राजकुमार तो हरगिज नहीं है. अब वह काफी मायूस थी और शायद सीरियस भी…
पर, अब वह हार मानने वाली नहीं थी, वह भी अन्य लड़कियों की तरह अपने कालेज की ऐक्साइटिंग लाइफ जीना चाहती थी, जिस से वह अब तक महरूम थी. बायजू उस के फोन के ऐपस्टोर की लिस्ट में सब से नीचे चला गया था और उस की जगह कुछ महीनों से टिंडर ने ले ली थी.
वह कुछ सोच पाती, तभी उस की नजर अपने मेल बौक्स पर गई. उस में अरविंद के कई मेल्स थे, वह श्रीराम कालेज में पढ़ता था. वैसे तो उस का नाम अरविंद था, पर सब प्यार से उसे अवि बुलाते थे.
“उफ्फ,” उस ने पिछले कई दिनों से अपना मेल बौक्स ही चैक नहीं किया था. अवि ने उसे पोयट्री के सारे चैप्टर्स के नोट्स भेजे थे, जो अगले महीने होने वाले एग्जाम में आने वाले थे.
अवि और उस की पहचान ‘थौट बबल’ नाम के एक फेसबुक ग्रुप, जो लिटरेचर के स्टूडेंट्स द्वारा बनाया गया था, के जरीए हुई थी. वह एमए करने के बाद पीएचडी कर रहा था, इसलिए उस की अन्य स्टूडेंट्स और प्रोफैसर्स से काफी पहचान थी. वह मुसकान के लिए टौपर्स द्वारा बनाए नोट्स मेल कर दिया करता था. वह दूसरे लड़कों से बिलकुल अलग था. जहां दूसरे लड़के सोशल मीडिया पर नईनई गर्लफ्रैंड्स बनाने और आभासी रिश्ते निभाने में व्यस्त रहते थे, वहीं वो पार्टटाइम जौब कर अपना खर्च खुद निकालता था और अपना बचा हुआ समय लाइब्रेरी में बिताता था.
गोराचिट्टा, लंबा, स्मार्ट और बिलकुल स्ट्रेटफोर्वर्ड. पहली बार में ही वह चौकलेटी लगा था मुसकान को. इसलिए वह दिन में कई बार अवि का फेसबुक अकाउंट खोलती थी.
एक साल से ऊपर हो गए थे फेसबुक पर दोनों की दोस्ती हुए, वह मुसकान का कितना खयाल रखता था और मुसकान भी तो उस के मैसेज का, उस के काल्स का कितनी बेसब्री से इंतजार करती थी. यह प्यार नहीं तो और क्या था.
अवि ने लफ्जों से शायद कुछ ना कहा हो, पर वह बिना कहे उस की जरूरतों को, उस की परेशानियों को समझ जाता था. कितनी नासमझ निकली वो, जो उस की फिक्र में छिपे प्यार के कंपन को महसूस ही नहीं कर पाई थी. अकसर हम वही सुनते हैं, जो बात हमारे कान सुन पाते हैं, पर किसी के मौन में छिपे… अनकहे शब्दों को महसूस ही नहीं कर पाते, जो शब्दों से भी अधिक संजीदा होते हैं. उस का बुक कैबिनेट तो रोमांटिक साहित्य का दरिया था, जहां से सिर्फ मुहब्बत के अलगअलग एहसासों की लहरें उठा करती थीं. कैबिनेट में सब से ऊपर रखी किताब, जो उस ने हाल ही में पढ़ी थी, से कुछ पंक्तियां बहती हुई सी आईं और उसे झकझोर गईं…
“राज खोल देते हैं
नाजुक से इशारे अकसर,
कितनी खामोश
मुहब्बत की जबान होती है…”
उसे लगा, उस का साहित्य प्रेम बेकार ही गया… जब वह खुद के दिल में दस्तक दे रही प्यार की आहट को महसूस नहीं कर पाई.
अभी फेयरवैल पार्टी की तो बात है. उस ने अवि को खुद की तरफ अपलक निहारते हुए पकड़ लिया था. वह समझ गई थी कि अवि की पलकों में भी एक नया ख्वाब जन्म ले रहा है. उस के पूरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ गई.
“चलो मुसकान, एक सेल्फी हो जाए,” कहते हुए अवि उस का हाथ पकड़ते हुए गार्डन में ले आया. उस के स्पर्श ने मुसकान की रूह को अंदर तक भिगो दिया था. वो दोनो पार्टी के बाद भी कैफे में बैठ कर घंटों बातें करते रहे.
“क्या हम हर संडे यहां कैफे में मिल सकते हैं?” उस के प्रणय निवेदन के साथ ही मुसकान के दिल में भी नई ख्वाहिशें मचलने लगी थीं.