इतवार का दिन था. रात से ही बादल खूब बरस रहे थे. मौसम सुहावना था. निया ने अपने मनपसंद मूली के परांठे बनाए थे और नाश्ता कर के छुट्टी मनाने के मूड से गहरी नींद में सो गई थी. जब लगभग
3 बजे उस की आंख खुली तो परिधि को तैयार होते देख उस ने पूछा, ‘‘परिधि क्या बात है आज कुछ ज्यादा ही सजधज रही हो? यह डार्क लिपस्टिक, शोल्डर कट ड्रैस किसी के साथ डेट पर जा रही हो क्या?’’
‘‘निया आज तू अपनी फ्रैंड के घर नहीं जा रही है क्या?’’
‘‘नहीं यार, आज तो मैं पूरा दिन सोऊंगी या फिर अपना नौवेल गौन विद द विंड पूरा करूंगी. वैरी इंट्रैस्टिंग नौवेल है.’’
‘‘लेकिन आज तो तुझे रूम से 4 बजे जाना ही पड़ेगा,’’ कहते हुए उस के चेहरे पर मुसकराहट छा गई.
‘‘क्यों किसी के साथ डेट कर रही है?’’
‘‘यस माई डियर.’’
‘‘कौन है?’’
‘‘यह नहीं बताऊंगी.’’
परिधि और निया दिल्ली के आसपास की हैं. एक गाजियाबाद से तो दूसरी मेरठ से है. दोनों ने एमबीए किया है और 1 साल से बैंगलुरु में रह रही हैं. दोनों ही मल्टीनैशनल कंपनी में काम करती हैं. पहले एक वूमंस लाउंज में रहती थीं. वहीं पर दोनों में दोस्ती हो गई थी. डोसा, इडली और सांभर खातेखाते परेशान हो गई थीं. फिर वहां के रूल्स... रूम में खाना ले कर नहीं जा सकतीं... देर हो जाने पर चायनाश्ता नहीं मिलता. फिर प्याजलहसुन की भी समस्या थी. उन लोगों को वहां का खाना अच्छा नहीं लगता था. 6 महीने किसी तरह झेलने के बाद दोनों ने फ्लैट ले कर रहना तय किया.
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