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‘‘विभोर, कुछ खाओगे?’’

‘‘नहीं, मुझे सोने दो.’’

सुबह जब वह सो कर उठी तो उसे किचन में आमलेट बनाता देख बोली, ‘‘बबिता आ रही होगी.’’

‘‘प से प्यारी परिधि आज बबिता नहीं आएगी, अपने फोन पर मैसेज बौक्स में देखो… डौंट वरी माई लव योर फैवरिट आमलेट इज रैडी.’’

परिधि विभोर के संग मन ही मन सुखद भविष्य के मीठे सपने बुनती रहती.

‘‘परिधि मैं तो बिलकुल मध्य परिवार से ताल्लुक रखता हूं, मेरी एक बहन भी है, जिस की शादी पापा ने अपने खेत गिरवी रख कर की थी. छोड़ो मैं भी बेकार में अपना दुखड़ा तुम्हें सुनाने बैठ गया. समय को साथ सब ठीक हो जाएगा, कुछ महीनों की बात है.’’

परिधि ने संवेदना जताते हुए कहा, ‘‘तुम  परेशान मत हो, अपने पापा के पास पैसे भेज दो. उन के खेत छूट जाएं. अब हम दोनों मिल कर कमाएंगे तो घर की सारी समस्या दूर हो जाएगी,’’ कहते हुए परिधि ने प्यार से उसे अपनी बांहों में लिपटा कर चूम लिया. फिर दोनों जीवन की रंगीनियों में डूब गए.

परिधि घर का पूरा खर्च खुशीखुशी उठा रही थी. किसी महीने में तो उसे सेविंग अकाउंट से भी पैसे निकालने पड़ते थे, लेकिन वह अंतरंग रिश्तों के आनंद में आकंठ डूबी हुई अपने सुनहरे भविष्य के सपने देख रही थी.

सैटरडे औफ था, उस की प्रोमोशन हुई थी. वह मैनेजर बन गई थी. उस के टीम मैंबर्स पार्टी मांग रहे थे. उस ने अपने टीम मैंबर्स के लिए कौकटेल पार्टी अरेंज की. वह विभोर को ले कर पार्टी में गई तो अपनी शादी की पार्टी के सपनों में खोई हुई सब के साथ उस ने भी एक पैग ले लिया. वहां डांस फ्लोर पर बांहों में डाल कर दोनों बहुत देर तक डांस करते रहे. यहां तक कि प्रीशा ने तो उसे चुपचाप विभोर जैसे बौयफ्रैंड के लिए मुबारकवाद भी दी. वह खिलखिला कर हंसते हुए थैंक्यू बोली.

तभी विभोर ने आ कर उस की हथेलियों पर चुंबन ले कर उसे प्यार से अपने सीने से लगा लिया.

परिधि तो ऐसा प्रेमी पा कर अभिभूत हो उठी थी. जब विभोर ने अपने घुटनों पर बैठ कर उस की हथेलियां पकड़ कर कहा, ‘‘मेरी जीवनसंगिनी बनोगी?’’

पूरा हौल तालियों से गूंज उठा. वह विश्वास नहीं कर पा रही थी कि विभोर जैसा परफैक्ट जीवनसाथी इतनी आसानी से उसे हासिल हो सकता है.

वह विभोर के सीने से लग गई. पूरा हौल तालियों से गूंज रहा था. वह खुशी से अभिभूत हो रही थी. पार्टी समाप्त हो गई थी. वह गहरी नींद के आगोश में चली गई थी.

कुछ नशे की खुमारी, सपने सच होने का एहसास होने की खुशी में डूबी वह सपनों की दुनिया में खोई हुई थी.

वह और विभोर बहुत ऊंचे पहाड़ पर गए हुए हैं और विभोर उसे अकेला छोड़ कर कहीं चला जा रहा है… वह जोरजोर से चीख रही है. विभोर… विभोर… मुझे अकेला छोड़ कर मत जाओ… प्लीज… विभोर…

तभी विभोर ने उसे जगा दिया, परिधि कोई बुरा सपना देख रही थीं?

‘‘हां विभोर मुझे छोड़ कर तुम कभी मत जाना,’’ कहते हुए उस ने उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया.

‘‘कैसी बात करती हो? मैं भी तुम्हारे बिना नहीं रह सकता. तुम तो मेरी जान हो मेरा लव हो,’’ कहते हुए उस पर चुंबनों की बौछार कर दी.

प्यार में डूबी परिधि की आंखें छलछला उठीं. दोनों को साथ रहते लगभग 6 महीने हो गए थे. परिधि अब विभोर से शादी कर सैटल होना चाहती थी.

एक दिन विभोर अनमना सा औफिस से लौट कर आया और अपना सामान समेटने लगा. उस की आंखें छलछला रही थीं. उस ने डिनर तैयार किया और परिधि का इंतजार करने लगा. जब से वह मैनेजर बनी थी, वह शाम को लेट आने लगी थी.

परिधि जब लौट कर आई तो अचानक विभोर को पैक सामान के साथ देख वह चौंक पड़ी. सुबह तो सब ठीक था. पूछा, ‘‘क्या हुआ?’’

‘‘मैं अपने घर जा रहा हूं, मेरी मां को कैंसर का शक है, इसलिए उन्हें ले कर टाटा कैंसर हौस्पिटल जाना पड़ेगा… परिधि जिस स्टार्टअप के लिए मैं रातदिन मेहनत कर रहा था. उस के फाइनैंसर ने हाथ खड़े कर दिए. हम लोगों की सैलरी भी मारी गई. ऐसा मन कर रहा है कि पंखें से लटक जाऊं,’’ कहते हुए अपना मुंह फेर लिया. शायद वह अपने आंसू छिपाना चाहता था, ‘‘मैं पापा के सामने किस मुंह से जाऊंगा. मेरे पास तो कुछ भी नहीं है.

‘‘मैं तुम्हारे पैसे भी नहीं लौटा पाया. मैं बहुत नालायक हूं… पापा आस लगाए बैठे  हैं कि बेटा कमा कर पैसा ले कर आएगा तो मां का इलाज बड़े हौस्पिटल में करवाएंगे.’’

‘‘परिधि, यदि मैं जीवित रहा तो तुम्हारे पैसे जरूर लौटाऊंगा नहीं तो अगले जन्म में,’’ यह कहते हुए वह तेजी से उठ खड़ा हुआ.

परिधि असमंजस की स्थिति में विभोर की बातों पर सहसा विश्वास नहीं कर पा रही थी. यह कैसी दुविधा की घड़ी उस के जीवन में आ खड़ी हुई है. विभोर के लिए उस के दिल में अप्रतिम प्यार था. वह उस के प्यार में आकंठ डूबी हुई थी. उस के बिना अपने जीवन की कल्पना करते ही घबरा उठी.

कुछ क्षणों तक सोचने के बाद बोली, ‘‘विभोर, तुम पैसे के लिए मेरातेरा क्यों कर रहे हो? तुम्हारी मां आखिर मेरी भी तो मां हुईं. जो कुछ भी मेरा है. वह हम दोनों का ही है… मां बीमार हैं तो मेरा भी तो तुम्हारे साथ चलना बनता है. मैं छुट्टी के लिए अप्लाई करती हूं.’’

विभोर घबरा कर बोला, ‘‘इस समय तुम्हारा जाना क्या उचित होगा? सब लोग वैसे ही परेशान हैं, तुम नई मुसीबत खड़ी करने की बात कर रही हो… मेरी जान तो वैसे ही हलक में अटकी हुई है. एक हफ्ते से अपने पैसे मिलने के लिए हर तरह से कोशिश कर रहा था लेकिन सारी मेहनत बेकार हो गई. 3 महीने से एक पैसा नहीं मिला परंतु मिलने की आस तो बनी हुई थी. आज तो वह आस भी टूट गई,’’ विभोर के चेहरे पर निराशा, हताशा और मायूसी छाई हुई थी, ‘‘परिधि, मैं ने तुम्हारे लिए डिनर बना दिया है,’’ कहते हुए अपना बैग उठाते वह रोंआसा हो उठा.

‘‘बाय…’’ कहते हुए बैग उठा कर चलने लगा तो परिधि को लगा कि जैसे उस का सबकुछ लुटता जा रहा है. वह दौड़ती हुई आई और उस के गले में अपनी बांहें डाल कर उस के सीने से लिपट कर बोली, ‘‘मेरे अकाउंट में केवल 1 लाख रुपए हैं. मैं ट्रांसफर कर देती हूं. तुम मां के इलाज के लिए पैसे भेज दो. मैं आज अपने यहां हायरिंग के लिए तुम्हारे नाम को रिकमैंड कर दूंगी.’’

‘‘मेरा जाना जरूरी है परिधि… मैं तुम्हारा यह एहसान सारी जिंदगी नहीं भूल सकता,’’ कहते हुए उसे अपने आलिंगन में समेट कर उस के होंठों पर अपने होंठ रख दिए फिर बैग उठा कर डबडबाई आंखों से तेजी से बाहर चला गया.

परिधि ने निया को फोन मिलाया और काफी देर तक बात करती रही? लेकिन विभोर के जाने की बात नहीं बताई. उस की आंखों की नींद उड़ गई थी. एक ओर विभोर चला गया था तो दूसरी ओर उस ने भावुकता में आ कर अपनी बचत के सारे पैसे भी उसे दे दिए थे.

कुछ दिनों पहले जब पापा ने उस से पूछा था कि परिधि तुम्हारी शादी के लिए लड़का

देख रहे हैं तो उस ने बोल दिया था, ‘‘आप को परेशान होने की जरूरत नहीं है, मेरे औफिस में एक लड़का मुझे पसंद है. मैं जल्द ही आप लोगों के पास उसे ले कर आऊंगी.’’

वह फोन मिलाती तो उस का फोन बंद आता. उस की आंखों की नींद उड़ी हुई थी. वह उस के गांवघर के बारे में कुछ नहीं जानती थी. न ही उस का औफिस में मन लगे न ही अपने फ्लैट में. वह रातदिन बिन पानी के मछली की तरह तड़प रही थी. बारबार फोन मिलाती, लेकिन उस का फोन बंद आता.

वह अपनी बेवकूफी पर कभी रोती तो कभी नाराज हो कर अपने पैर पटकती, ‘‘आने दो… इतना सुनाऊंगी कि वह भी याद करेगा कि उस का भी किस से पाला पड़ा है.’’

अब उस के चेहरे पर मुसकराहट छा गई थी. लेकिन तुरंत ही उस के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं.

वह हताशानिराशा के गर्त में डूब गई. ऐसा तो नहीं कि विभोर उसे धोखा दे कर कहीं चला गया है. फिर वह स्वत: कहती नहीं ऐसा नहीं हो सकता. वह उसे बहुत प्यार करता है… धोखा नहीं दे सकता…

पूरे 5 दिनों के बाद रात के 10 बजे उस का फोन आया, ‘‘परिधि, हम लोगों का सपना पूरा होने वाला है.’’

वह छूटते ही बोली, ‘‘पहले यह बताओ तुम्हारा फोन क्यों बंद आ रहा था? मैं बहुत नाराज हूं… मुझे कुछ नहीं सुनना.’’

‘‘मैं कान पकड़ कर माफी मांग रहा हूं. पहले खुशखबरी सुन लो फिर नाराजगी दिखा लेना.’’

‘‘ मां को कैंसर नहीं है. दूसरी खुशखबरी मेरी जौब आस्ट्रेलिया में फाइनल हो गई है अब हम दोनों साथसाथ आस्ट्रेलिया जाएंगे.’’

‘‘मैं कैसे जाऊंगी…’’

‘‘मैं कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं. मैं ने कोर्ट में शादी की एप्लिकेशन लगा रखी है. तुम मेरी पत्नी बन कर मेरे साथ चलोगी.’’

‘‘तुम कब आ रहे हो?’’

‘‘दरवाजा तो खोलो,’’ अंदर आते ही उसने परिधि को अपने आलिंगन में ले कर चुंबनों की बौछार कर दी और फिर दोनों एकदूसरे में समा गए. परिधि के सारे गिलेशिकवे बादल के टुकड़ों की तरह हवा के ?ांके में उड़ गए.

‘‘माई लव, तुम्हारे रुपयों ने मेरी इज्जत बचा ली नहीं तो पापा से मुझे बहुत गालियां मिलतीं…’’

‘‘अरे यार पैसा तो हाथ का मैल है.’’

‘‘आई एम सो लकी माई डियर,’’ कहते हुए अपने बैग से लाल रेशमी कपड़े में बंधे हुए एक जोड़ी कंगन निकाल कर उस की सूनी कलाइयों में पहना दिए, ‘‘ये कंगन चुपके से अम्मां ने अपनी बहू के लिए दिए हैं.’’

परिधि कंगन पहन कर भावुक हो उठी और फिर अपने प्रियतम के गले से लग गई.

‘‘परिधि, माई डियर, डोंट वरी मैं तुम्हारा पूरा पैसा चुका दूंगा.’’

परिधि ने उस के होंठों पर अपनी ऊंगली रख दी. फिर दोनों एकदूसरे में खो गए.

1-2 दिन ही बीते थे वह बोला, ‘‘अच्छी मुसीबत है, सब फ्रैंड्स पार्टी मांग रहे हैं.’’

‘‘सही तो कह रहे हैं… पार्टी तो बनती ही है… चलो तुम भी क्या कहोगे… मैं तुम्हारे लिए पार्टी स्पौंसर कर देती हूं.’’

जल्द ही पार्टी हुई. जम कर धमाल हुआ… पार्टी को यादगार बनाने के लिए परिधि ने जाने मानें सिंगर कृष्णन को बुलाया था. संगीत की धुन पर शोरशराबा, डांस और ड्रिंक की मस्ती में सब डूबे हुए थे. आधी रात तक प्रोग्राम चलता रहा.

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