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एकदूसरे की बांहों में बांहें डाले वे दोनों मस्ती में थिरकते रहे. कुछ नशे का सुरूर और कुछ खुशी की मस्ती... दोनों होश खो बैठे थे. उस खास दिन के लिए परिधि ने होटल में हनीमून सूट बुक किया हुआ था. आज की रात को वह अपने जीवन की मधुरयामिनी की तरह जी लेना चाहती थी.रूम के बाहर डू नौट डिस्टर्ब का कार्ड लगा दिया था.

परिधि की जब आंख खुली तो दोपहर के 11 बज गए थे. उस ने अपने चारों

तरफ नजरें दौड़ाईं तो विभोर कहीं नहीं दिखाई पड़ा, उस का सिर दर्द से फट रहा था. परंतु रात के सुखद पलों को याद कर के उस के चेहरे पर मुसकान की रेखा खिंच गई. वाशरूम देखा खाली था.  उस के कपड़े भी कहीं नहीं दिखे तो जल्दी से वह अपने कपडे़ पहन तैयार हुई, इस बीच वह बारबार विभोर का नंबर मिलाती रही लेकिन नंबर नहीं मिला. वह परेशान हो उठी. कमरे में आई तो वहां विभोर का बैग न देख कर मन आशंकाओं से घिर गया. उस ने विभोर के फ्रैंड कार्तिक को फोन लगाया तो असलियत सुनते ही वह गश खा कर गिर गई.

‘‘विभोर तो आस्ट्रेलिया की फ्लाइट में बैठ चुका होगा,’’ यह सुनते ही सहसा विश्वास ही नहीं कर पाई. कार्तिक ने बताया कि उस का वीजा बन कर आ चुका था. यह सारा प्रोसैस तो काफी दिनों से चल रहा था. क्या विभोर ने तुम्हें कुछ भी नहीं बताया था?

ये सब सुन कर उस के हाथ से मोबाइल गिर गया. वह क्रोधित हो कर अपना सामान उठाउठा कर फेंकने लगी थी. फिर निराश हो कर अपने बैड पर बदहवास गिर और फूटफूट कर रोने लगी. लेकिन क्षणभर में ही वह क्रोधित हो कर चीखने लगी.

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