जब राशि की आंखें खुलीं तो उस ने खुद को अस्पताल के बैड पर पाया. उसे शरीर में कमजोरी महसूस हो रही थी. इसलिए उस ने फिर आंखें मूंद लीं. जब उस ने अपने दिमाग पर जोर डाला तो उसे याद आया कि उस ने तो नींद की गोलियां खा कर अपनी जीवनलीला समाप्त करने की कोशिश की थी, लेकिन वह बच कैसे गई. तभी किसी की पदचाप से उस की तंद्रा भंग हुई. उस के सामने डाक्टर रंजना खड़ी थीं.

‘‘अब कैसी हो तुम?’’ वे उस का चैकअप करते हुए उस से पूछ बैठीं.

‘‘ठीक हूं डाक्टर,’’ वह धीमे स्वर में बोली.

फिर डाक्टर रंजना सामने खड़ी नर्स को कुछ हिदायतें दे कर चली गईं. लेकिन राशि न चाहते हुए भी अतीत के सागर में गोते खाने लगी और रोहन को याद कर के फूटफूट कर रो पड़ी. थोड़ी देर रो लेने के बाद उस का जी हलका हुआ और वह न चाहते हुए भी फिर से यादों के मकड़जाल में उलझ कर रह गई. फिर उसे अपने कालेज के मस्ती भरे दिन याद आने लगे जब वह और उस के 2 दोस्त रोहन और कपिल कालेज में मस्ती करते थे. रोहन मध्यवर्गीय परिवार का सुंदर नौजवान था और कपिल रईस परिवार का गोलमटोल युवक था. ‘मुझ से शादी करेगी तो मुनाफे में रहेगी,’ कपिल उसे अकसर छेड़ते हुए कहता, ‘मैं गोलू हूं तो क्या हुआ? पर देख लेना, जिस दिन तूने इस रिश्ते के लिए हामी भर दी, उस दिन से मेरी डाइटिंग चालू हो जाएगी.’

‘यह मुंह और मसूर की दाल,’ राशि कपिल का मजाक उड़ाते हुए कहती, ‘मैं अर्धांगिनी बनूंगी तो सिर्फ रोहन की, क्योंकि मेरे मन में तो उसी की तसवीर बसी हुई है.’ फिर मजाकमजाक में सभी जोर से हंस देते. पर कालेज खत्म होने के बाद राशि और रोहन अपने रिश्ते को ले कर काफी संजीदा हो उठे थे. लेकिन शादी से पहले जरूरी था कि रोहन अपने पैरों पर खड़ा हो जाए ताकि वह राशि का हाथ मांग सके. वैसे रोहन आगे बढ़ने के लिए हाथपांव तो मार रहा था, पर उसे सफलता नहीं मिल पा रही थी. सरकारी जौब पाने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना बहुत जरूरी था. अब 3 बहनों के इकलौते भाई के पास इतनी जमापूंजी तो थी नहीं कि वह प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अच्छी कोचिंग ले पाता. वैसे उस के पापा अपने स्तर पर उस की मदद को तो तत्पर रहते थे, पर बढ़ती महंगाई ने उन के हाथ बांध रखे थे.

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