उस दिन होली थी. होस्टल की सभी लड़कियां रंगगुलाल में रंगी बाहर शोर मचा रही थीं. दीपा को तेज बुखार था. शिवानी उस के सिरहने बैठी थी. बर्फ की पट्टी उस के माथे पर रखी थी.
‘‘जा दीपा, मैं बिलकुल ठीक हूं, सभी फ्रैंड्स तेरा वेट कर रही होंगी.’’
‘‘दीदी, बिलकुल चुप, मुझे कोई रंगवंग नहीं खेलना. मेरी दीदी यहां बुखार में तप रही और मैं रंग खेलूं.’’
‘‘लेकिन शिवानी...’’
‘‘लेकिनवेकिन कुछ नहीं दीदी. मैं अपनी दीदी को ऐसी हालत में छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगी.’’
‘‘मुझे कुछ नहीं हुआ है, जरा सा बुखार है, थोड़ी देर में उतर जाएगा. तू जा,’’ दीपा ने जोर दे कर कहा.
शिवानी ने उस के मुंह पर हाथ धर दिया था. बोली, ‘‘दीदी, अगर तुम्हारी जगह मैं इस तरह बिस्तर पर पड़ी होती तो क्या आप मुझे छोड़ कर जातीं?’’
दीपा एकटक उस की ओर देखती रही. उस की आंखों में आंसू आ गए और फिर उस ने शिवानी को अपने गले से लगा लिया.
यादों के इस भंवर से निकल कर दीपा ने अब फैसला कर लिया था. वह शिवानी की जिंदगी संवार कर रहेगी.
अब वह विजय से खिंचीखिंची सी रहने लगी. विजय दीपा के इस व्यवहार से
परेशान हो गया कि आखिर दीपा को अचानक यह क्या हो गया और एक दिन विजय ने आखिर दीपा से पूछ ही लिया, ‘‘क्या बात है दीपा, तुम इतनी गुमसुम क्यों रहने लगी हो? मेरे फोन का भी जवाब नहीं देती हो. क्या हो गया है तुम्हें?’’
दीपा चुप थी.
विजय कह रहा था, ‘‘देखो दीपा, मैं जानता हूं कि तुम अपने डैडी को ले कर परेशान हो कि शादी के बाद उन का खयाल कौन रखेगा, लेकिन तुम्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं. मैं ने मम्मीपापा से बात कर ली है, हमारी शादी के बाद अंकल हमारे साथ ही हमारे घर रहेंगे.’’
‘‘शादी, किस की शादी?’’ दीपा के बोल फूटे.
‘‘अरे, हमारी और तुम्हारी और किस की?’’
दीपा जोर से हंस पड़ी और फिर बोली, ‘‘तुम ने यह सोच भी कैसे लिया कि में तुम्हारे साथ शादी करने जा रही हूं?’’
‘‘यह तुम क्या कह रही हो दीपा? हम लोगों ने साथ मिल कर भविष्य के सपने संजोए हैं. अब तुम यह कैसा मजाक कर रही हो?’’
‘‘यह मजाक नहीं, वह मजाक था जो तुम ने सोचा,’’ दीपा ने कहा.
‘‘क्या तुम कह रही हो दीपा?’’
‘‘तुम लड़कों के संग यही प्रौब्लम रहती है. जरा सी जानपहचान हो गई, थोड़ा सा साथ हंसबोल लिए, बस उसे मुहब्बत प्यार का रंग
देने लगे.’’
विजय को यकीन नहीं हो रहा था. वह एकटक दीपा को देख रहा था. बोला, ‘‘नहीं दीपा, ऐसा नहीं हो सकता. तुम ऐसा नहीं कर सकतीं. कह दो यह सब ?ाठ है,’’ विजय ने भावावेश में दीपा के कंधे ?ाक?ोर दिए.
‘‘छोड़ो मुझे, मुझे घर जाना है, पापा की दवा का टाइम हो गया.’’
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