प्यार धर्मजाति की दीवारों से परे पनपता है. अफजल और पूनम इस की गिरफ्त में थे. लेकिन रिश्तेदार व जमाने वाले ऐसे प्यार को धर्म की भट्टी में राख करने को उतारू रहते हैं. यह तो पूनम व अफजल के लिए किसी कड़े इम्तिहान से कम न था, क्या हुआ दोनों का...
कालेज के वार्षिक उत्सव की तैयारियां जोरशोर से चल रही थीं. सभी छात्रछात्राएं अपनीअपनी खूबियों के अनुसार कार्यक्रम में भाग ले रहे थे. अफजल को गजलें लिखने का शौक था. उस की गजल का हर शब्द काबिलेतारीफ होता. पूरा कालेज दीवाना था उस की गजलों का. पूनम को गीतसंगीत बहुत पसंद था. बहुत मीठी आवाज थी उस की. पूरा कालेज उसे ‘स्वर कोकिला’ के नाम से जानता था. दोनों हर कार्यक्रम में एकसाथ ही भाग लेते. और न जाने कब दोनों एकदूसरे को चाहने लगे.
वेलैंटाइन डे पास आ रहा था. कालेज व बाजार में उस का माहौल अपना असर दिखा रहा था. कालेज के कई लड़केलड़कियां कार्ड खरीद कर लाए थे और अफजल से कुछ पंक्तियां लिख कर देने को कह रहे थे ताकि वे कार्ड में लिख अपने प्यार का इजहार कर सकें.
वहीं, कुछ लोगों ने वेलैंटाइन डे पर लाल गुलाब का गुलदस्ता बनवाया था. अफजल आज एक लाल गुलाब ले कर पूनम के पास जा पहुंचा और बोला, ‘‘मैं तुम से प्यार करता हूं, पूनम. क्या तुम स्वीकारोगी मेरा प्यार?’’ यह कह वह अपने प्यार का इजहार कर बैठा. पूनम अफजल को मन ही मन चाहने लगी थी. सो, उस ने फूल हाथ में ले, शरमाते हुए, झुकी पलकों संग उस के प्यार को स्वीकार कर लिया था.