रविवारकी सुबह मेरी नींद मां व अंजु के ?ागड़ने की आवाजें सुन कर टूटी. मेरे छोटे भाई संजय की पत्नी से मां का अब लगभग पूरा दिन ?ागड़ा होता है. सिर्फ 1 साल के अंदर इन दोनों के संबंध बहुत खराब हो गए हैं. कुछ देर बाद मु?ो चाय का कप देते हुए मां ने रोआंसी आवाज में कहा, ‘‘समीर, मैं अंजु के साथ नहीं रह सकती हूं. तू शादी क्यों नहीं कर लेता. मैं तेरे घर में नौकरानी बन कर भी रहूंगी तो मु?ो यहां से ज्यादा इज्जत मिलेगी.’’ ‘तुम चुप रहोगी तो क्लेश नहीं होगा. तुम फालतू की बहस में उस के साथ क्यों उल?ाती हो?’’ उन के आंसुओं ने मु?ो दुखी किया तो मेरी आवाज में चिड़चिड़ाहट पैदा हो गई. ‘‘देख, सीमा अच्छी लड़की है. तू इस रिश्ते के लिए ‘हां’ कह दे,’’ मां ने आंखों में आंसू ला कर वार्त्तालाप को इच्छित दिशा में मोड़ दिया. ‘‘यों आंसू वहां कर मु?ा से जबरदस्ती हां कहलाने की कोशिश मत करो,’’ मैं चाय का कप लिए ही उठ कर बाथरूम में घुस गया.
जिस सीमा का रिश्ता मेरे लिए आया है, उस से मैं पिछले रविवार को अपनी बूआ के घर मिला था. वह अपने मम्मीपापा के साथ वहां आई थी. बूआ ने अगर मु?ो पहले बता दिया होता तो मैं शायद उन के यहां जाना ही टाल देता क्योंकि किसी लड़की से मैं उसे धोखे में रख शादी नहीं कर सकता था. बूआ की जिद के सामने मजबूर हो कर मैं ने सीमा से कुछ इधरउधर की बातें करने के बाद पूछा, ‘‘तुम ने अब तक शादी क्यों नहीं करी है?’’ मेरे इस सवाल को सुन उस ने गंभीर स्वर में मु?ो जानकारी दी, ‘‘मेरे बड़े भाई और मंगेतर की अब से 5 साल पहले सड़क हादसे में एकसाथ मौत हो गई थी. अब मेरे अलावा मम्मीपापा की देखभाल करने वाला और कोई नहीं है. मां का सूजा हुआ बांया घुटना तो अब बहुत तकलीफ देने लगा है.
‘‘अभी तक मैं ने शादी इसलिए नहीं करी है क्योंकि अपने मंगेतर से जुड़ी यादों के धूमिल होने में काफी वक्त लगा है. दूसरी बात यह कि अभी तक ऐसा कोई युवक नहीं मिला जो मेरे मातापिता की आजीवन देखभाल करने में मेरा हाथ बंटाने को खुशीखुशी राजी हो.’’
‘‘कोई न कोई ऐसा सम?ादार और संवेदनशील इंसान तुम्हें जरूर मिल जाएगा,’’ मैं ने उस का हौसला बढ़ाने को जवाब दिया.
‘‘मै ने भी उम्मीद नहीं छोड़ी है,’’ उस की मुसकराती आंखों में मु?ो जिंदगी के प्रति किसी तरह की कड़वाहट या शिकायत नजर नहीं आई.
‘‘तुम चाहो तो अपनी मम्मी को मेरे दोस्त रवि के पिताजी को दिखा सकती हो. वह बहुत अच्छे और जानेमाने और्थोपैडिक सर्जन हैं.’’ ‘क्या तुम उन के साथ हमारी मुलाकात का समय तय करा दोगे?’’
‘‘श्योर. मैं रवि से बात करने के बाद तुम्हें फोन करता हूं.’’
मेरी बात सुन कर वह धन्यवाद देने वाले अंदाज में मुसकराई और फिर उस ने अपना मोबाइल नंबर मु?ो नोट करा दिया.
मु?ो सीमा सम?ादार और आत्मविश्वास से भरी लड़की लगी. उस की इस बात ने मु?ो प्रभावित किया कि वह अपने मातापिता की देखभाल के सवाल को अनदेखा कर अपना घर नहीं बसाना चाहती. अब बूआ और मां इस रिश्ते के लिए हां कहने को मु?ा पर बहुत जोर डाल रहे थे. मु?ो शादी करनी नहीं थी पर फिर भी मैं इन दोनों को न नहीं कर पा रहा था. ‘‘मैं सोच कर जवाब देता हूं,’’ बारबार ऐसा बहाना बना कर मैं फिलहाल अपनी जान बचा रहा था. मैं तैयार हो कर घर से निकला तब सुबह के 10 बज रहे थे. कार से मैं सीधा महक से मिलने उस के घर पहुंचा. महक मेरे बचपन के दोस्त नीरज की पत्नी है. हम तीनों साथसाथ कालेज में पढ़ा करते थे. मैं ने जो अभी तक शादी नहीं करी है, उस का कारण महक है. मैं उस से प्रेम करता हूं और इसी कारण अब तक किसी अन्य लड़की को अपनी जीवनसंगिनी बनाने का कदम नहीं उठाया है. नीरज मु?ा से हाथ मिलाने के बाद नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया. उन का बेटा मयंक टीवी पर कार्टून चैनल देख रहा था. मौके का फायदा उठा कर मैं ने रसोई में काम कर रही महक को अपनी बांहों में भर कर कहा, ‘‘बहुत दिन हो गए हैं तुम्हें जी भर कर प्यार किए हुए और कितने दिनों तक मु?ो प्यासा रखोगी, मेरी जान?’’
‘‘ज्यादा दिन नहीं,’’ उस ने बड़ी अदा से मेरे होंठों पर छोटा सा चुंबन अंकित कर खुद को मेरी बाहों के घेरे से आजाद कर लिया. ‘‘सच कह रही हो?’’
‘‘हां, नीरज 2 दिनों के लिए अपने चचेरे भाई की शादी में शामिल होने कानपुर जा रहे हैं.’’
‘‘कब?’’ ‘‘कल रात को.’’ ‘‘मैं 2 दिन की छुट्टी ले कर सारा समय तुम्हारे साथ यहीं गुजारूंगा,’’ खुशी के मारे मेरा मन नाच उठा. ‘ओके, पर फिलहाल ड्राइंगरूम में जा कर बैठो. नीरज को हमारे ऊपर कभी शक नहीं होना चाहिए,’’ उस ने मु?ो धकेल कर रसोई से बाहर कर दिया. कुछ देर बाद चाय पीते हुए उस ने ?ि?ाकते स्वर में मु?ा से कहा, ‘‘समीर, अगले सोमवार तक हमें 50 हजार रुपए चाहिए होंगे.’’ ‘‘वह किसलिए?’’ मैं ने चैंक कर पूछा. ‘‘मयंक का नए स्कूल में ऐडमिशन होना है. वे लोग डोनेशन मांग रहे हैं.’’ मैं जवाब देने में कुछ ?ि?ाका तो उस ने भावुक हो कर कहा, ‘‘तुम से रुपए मांगने में हमें शर्म आ रही है क्योंकि अभी तक हम ने पिछले 50 हजार ही नहीं लौटाए हैं.’’ नीरज ने मेरे कुछ कहने से पहले ही परेशान लहजे में कहा, ‘‘हम दोनों कमाते हैं पर फिर भी कुछ जुटा नहीं पाते है. छोटी बहन की शादी में लिया कर्जा उतरा नहीं था कि पिताजी के दिल का औपरेशन कराना पड़ा. तुम से 50 हजार रुपए न मिलते तो किसी और के सामने हाथ फैलाना पड़ता. अब मैं इसे कहता हूं कि किसी सस्ते स्कूल में मयंक का दाखिला करा दो, पर यह मानती नहीं है.’’ ‘‘अगर 50 हजार का इंतजाम नहीं हुआ तो करा देंगे उस का एडमिशन किसी घटिया स्कूल में,’’ महक रोआंसी सी हो उठ थी. ‘‘मैं कर देता हूं 50 हजार का इंतजाम. तुम दिल छोटा न करो, महक,’’ मेरी बात सुन कर उन दोनों के चेहरे खुशी से खिल उठे थे. ‘‘तुम्हारे ये सारे एहसान हम जिंदगीभर नहीं भूलेंगे,’’ नीरज बहुत भावुक हो उठा. ‘‘दोस्त हो कर ऐसी घटिया बात मुंह से मत निकालो,’’ मेरा यह उलाहना सुन नीरज ने उठ कर मु?ो अपने गले लगा लिया. महक की आंखों में अपने लिए प्यार के गहरे भाव देख कर मेरा दिल खुश हो गया. उस के दिल में अपने प्रति प्यार की जड़ें मजबूत रखने के लिए मु?ो फिर से उन्हें 50 हजार रुपए देना जरा भी नहीं खल रहा था.
रात मैं उत्तेजना के मारे ढंग से सो नहीं सका. कुछ समय बाद महक को मैं जीभर कर प्यार कर सकूंगा, इस विचार ने मेरी नींद को अनगिनत रंगीन व मादक सपनों से भर दिया. इंसान सोचता कुछ है और होता कुछ और है. महक ने अगले दिन शाम को मु?ो फोन पर जो खबर दी, उसे सुन कर मेरा दिमाग बुरी तरह से भन्ना गया.
‘‘नीरज जिद कर के मु?ो भी अपने साथ शादी में शामिल होने को ले जा रहे हैं. आई एम सौरी,’’ उस की आवाज में अफसोस के भाव साफ ?ालक रहे थे.
‘‘ऐसा मत करो, यार. तुम किसी भी तरह से अपना जाना टालो,’’ अपने रंगीन सपनों की दुनिया को उजड़ते देख मु?ो गुस्सा आ गया था.
‘‘मैं उन की जिद के सामने मजबूर हूं समीर, पर यह पक्का वादा करती हूं कि मैं वापस आते ही तुम से अकेले में मिलने की कोई न कोई तरकीब जरूर निकालूंगी.’’
‘‘मु?ो बहुत जोर से गुस्सा आ रहा है.’’
‘‘गुस्सा मत करो, स्वीटहार्ट. वापस आ कर मैं तुम्हें इतना प्यार करूंगी कि तुम्हारा दिल खुश हो जाएगा.’’
‘‘पक्की बात?’’
‘‘बिलकुल पक्की.’’
उस के इस आश्वासन ने मु?ो जरा सी भी खुशी नहीं दी थी. फोन रखने के बाद मेरा मन बहुत चिड़चिड़ा और अकेला सा हो गया. गुस्से में आ कर मैं ने उसे मन ही मन काफी भलाबुरा कहा.
मैं सारी रात ढंग से सो नहीं पाया. बारबार मन महक के खूबसूरत बदन की महक व स्पर्शसुख की मांग उठाता रहा. उस ने मेरी भावनाओं को आंदोलित करने के बाद मु?ो प्यासा छोड़ कर बिलकुल अच्छा नहीं किया. सुबह औफिस न जा कर मैं सिटी अस्पताल पहुंच गया. मु?ो यह याद था कि सीमा अपनी मम्मी का रवि के चाचाजी से चैकअप कराने के लिए मंगलवार की सुबह वहां आने वाली है. इस मुलाकात का समय मैं ने ही तय कराया था. मु?ो अचानक सामने देख कर सीमा और उस के मातापिता चौंक पड़े. मैं ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘सीमा, तुम्हें अब रुकने की जरूरत नहीं है. मैं यहां सब संभाल लूंगा. तुम्हारा क्लोजिंग टाइम चल रहा है, इसलिए तुम औफिस चली जाओ. कुछ नानुकुर करने के बाद सीमा औफिस चली गई. विदा लेते समय उस की आंखों में मेरे व्यवहार से उपजे अजीब सी उल?ान के भावों को पढ़ कर मैं मन ही मन हंस पड़ा रवि के चाचाजी ने सीमा की मम्मी को अच्छी तरह से देख कर कुछ दवाइयां लिख दीं. उन के मुंह से यह सुन कर कि घुटने के औपरेशन की जरूरत नहीं है, सीमा की मम्मी ने बहुत राहत महसूस करी. मैं ने उन दोनों को अपनी कार से उन के घर छोड़ा. मेरा धन्यवाद करते हुए उन की जबान थक नहीं रही थी. मैं घर लौटा तो पाया कि मां और अंजु के बीच तकरार चल रही है. मां ने मु?ा से अंजु की शिकायत करनी शुरू करी पर मैं उन के पास रुका नहीं.
‘‘सब जल्दी ही ठीक हो जाएगा,’’ बस इतना कह कर मैं अपने कमरे में जाने को सीढि़यां चढ़ने लगा. पलंग पर आराम करते हुए शाम तक मैं ने अपना घर बसाने का महत्त्वपूर्ण फैसला कर लिया. यह बात मु?ो सम?ा में आ गई थी कि अपनी जिंदगी में खुशियां भरने का सब से ज्यादा बड़ा उत्तरदायित्व खुद मेरा ही है. मैं अब ऐसा जीवनसाथी चाहता था जिस की जिंदगी में मैं सब से प्रमुख स्थान रखता हूं, जो मेरे सुख और खुशियों को सर्वोपरि माने और मेरे सुखदुख बांटने को हमेशा मेरे पास रहे. मैं समाज में उस के साथ सिर ऊंचा कर के जीना चाहता था.
‘शादीशुदा महक के प्यार में पागल हो कर मैं अपने भविष्य की खुशियां और सुरक्षा कभी सुनिश्चित नहीं कर सकता हूं. उस की जिंदगी में मैं नीरज के पीछे हमेशा नंबर 2 पर आऊंगा. उस का दिल दुखाने के ऐवज में मैं 50 हजार का जुरमाना भर दूंगा. उस के साथ जुड़े रह कर मु?ो अपना भविष्य बरबाद नहीं करना है,’ ऐसा फैसला करने के साथ ही मेरे मन का सारा बो?ा व कड़वाहट समाप्त हो गई. मैं शाम को सीमा से मिलने उस के औफिस के बाहर पहुंच गया. यह देख कर मु?ो खुशी हुई कि वह मु?ो देख कर खुश हुई. हम दोनों कौफी पीने के लिए एक रेस्तोरां में आ बैठे. ‘‘मैं तुम्हें एक खास बात बताने के लिए आया हूं,’’ मैं ने गंभीर लहजे में वार्त्तालाप शुरू किया. जवाब में उस ने मुंह से कुछ कहने के बजाय अपना पूरा ध्यान मेरे ऊपर केंद्रित कर लिया था. ‘‘मैं तुम्हारे मातापिता की देखभाल की जिम्मेदारी उठाने में तुम्हारा हाथ बंटाने को तैयार हूं,’’ मैं ने उसे अपना जीवनसाथी बनाने की इच्छा इन शब्दों में जाहिर कर दी.
‘‘क्या तुम मु?ा से शादी करने के इच्छुक हो?’’ उस ने चौंक कर पूछा. ‘हां, मैं यही इरादा मन में ले कर तुम से मिलने आया हूं.’’ ‘‘तुम्हारी बात सुन कर मु?ो हैरानी हुई है,’’ उस की आवाज में अचानक बेचैनी के भाव उभरे.
‘‘क्यों?’’ ‘‘मेरे सुनने में आया है कि महक और तुम्हारे बीच कुछ चक्कर…’’ उस ने अपना वाक्य शायद जानबू?ा कर अधूरा छोड़ दिया. ‘‘हमारे बीच ऐसा चक्कर था, पर अब नहीं है. मैं ने उस की जिंदगी से हमेशा के लिए निकल जाने का फैसला कर लिया है,’’ मैं ने उसे सच्चाई बता दी. ‘‘कब किया है तुम ने यह फैसला.’’
‘‘आज ही किया है.’’ ‘‘और तुम्हारा यह फैसला कितना मजबूत है, समीर.’’ ‘‘मैं तुम से वादा करता हूं कि उस रास्ते पर जिंदगी भर नहीं लौटूंगा.’’ ‘‘तब मु?ो तुम्हारे इस अतीत से कुछ लेनादेना नहीं है. मेरा दिल कहता है कि तुम बहुत अच्छे दिल वाले इंसान हो और मेरे मन में तुम्हारे लिए बहुत इज्जत है. एकदूसरे को सम?ा लेने के बाद अगर हम शादी करने का फैसला करते हैं तो मु?ो बहुत खुशी होगी.’’
‘‘मु?ो बस एक बात और कहनी है. मां हमेशा हमारे साथ रहेंगी. उन की मेरे छोटे भाई की पत्नी से बिलकुल नहीं पटती है.’’
‘‘नो प्रौब्लम.’’
‘‘थैंक यू. अब बताओ कि क्या खाओगी?’’
‘‘हम जीवनसाथी बनना चाहते हैं और यह खुशी की बात है, इसलिए मुंह मीठा कर लेते हैं. अगर तुम्हें ऐतराज न हो तो कौफी पीने के बजाय आइसक्रीम खा लें?’’
‘श्योर,’’ मैं उठ कर खड़ा हुआ और अपना हाथ सीमा की तरफ बढ़ा दिया. सीमा शरमाई सी कुछ पलों तक ?ि?ाकी पर फिर उस ने मेरा हाथ थाम लिया. उस के हाथ का स्पर्श मेरे मन को अंदर तक गुदगुदा गया. इस स्पर्श में महक के स्पर्श से पैदा होने वाली उत्तेजना के नहीं बल्कि दिल को भाने वाली गर्लफ्रैंड के स्पर्श से मिलने वाले रोमांस के भाव मौजूद थे.