Love Story : विहान और लता की शादी को कई साल हो गए थे मगर दोनों संतानसुख से विमुख थे. घरपरिवार और रिश्तेदारों से लता को ताने मिलने लगे. विहान और लता ने हर किस्म की इलाज करवाई. आईवीएफ प्रोसेस से भी गुजरे मगर कोई फायदा नहीं हुआ. जब हर दवा नाकामयाब होने लगी तो दोनों ने थकहार कर एक फैसला किया और फिर…
एक बच्चे की चाह में लता ने विहान को कितना गलत समझ लिया था. कैसे उस का विहान पर से भरोसा उठ गया था, वह भी बिना असलियत का आईना देखे. अब क्या करे वह, कहां जाए…
अगले दिन, अगली सुबह लता के लिए अभी भी अमावस की रात समान ही थी. विहान जो उस की जीने की वजह था उसी ने लता को जीतेजागते मौत के मुंह तक पहुंचा दिया. लता के जिस्म का पोरपोर दुख रहा था. वह चीखना चाहती थी, चिल्लाना चाहती थी, बेतहाशा रोना चाहती थी पर उस के तो जैसे आंसू ही सूख गए हों.
पूरी ताकत के साथ लता ने खुद को बेड से उठाया. शौवर के नीचे अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया. न जाने कितनी ही देर पानी की बौछारें उस पर गिरती रहीं पर एक प्रतिशत भी उस के भीतर उठने वाली अग्नि को बुझा ना सकीं.
बड़ी मुश्किल से वो सामान्य दिखने का प्रयास कर रही थी. जैसे ही विहान फैक्टरी के लिए निकला उस के थोड़ी ही देर बाद वह भी कार ले कर निकल गई. आज कार वह खुद ही ड्राइव कर रही थी.
लगभग घंटेभर बाद लता उसी घर के आगे खड़ी थी जहां कल उस की दुनिया वीरान होते लगी थी. वह डोरबैल बजाना चाह रही थी पर उस की हिम्मत नहीं पड़ रही थी. उस का दिल इतनी जोर से धड़क रहा था जैसे पसलियां तोड़ कर बाहर आ जाएगा. उस के पांव जैसे उस का साथ छोड़ चुके थे. फिर भी उस ने एक कदम आगे बढ़ाया तो ऐसा लगा जैसे उस का वह कदम मनों भारी हो गया हो. उस ने डोरबैल बजाने की पूरी कोशिश की पर उस का हाथ ही नहीं उठा.
कौन दरवाजा खोलेगा, कैसे सामना कर पाएगी वह उस औरत का उस बच्चे का.
‘‘नहीं… नहीं… मैं नहीं देख पाऊंगी, उफ यह कैसी दुविधा है.’’
अंत में लता जल्दी से उलटे पांव वापस अपनी कार में आ बैठी. उस की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं. कुछ देर बाद उस की रुलाई फूट ही पड़ी. उस ने अपना चेहरा स्टेयरिंग पर टिका दिया.
‘‘उफ, विहान, यह कौन से मोड़ पर खड़ी हूं मैं आज, तुम्हारी वजह से सिर्फ तुम्हारी वजह से, मेरी सांसें घुट रहीं हैं, यह क्या किया तुम ने? ऐसा क्यों किया?’’
कुछ संभली लता तो एक बार फिर उस ने घर के दरवाजे की ओर देखा और एक ठंडी सांस भर कर कार स्टार्ट कर दी.
घर वापस आने पर लता ने अपने कमरे में विहान की अलमारी को बुरी तरह खंगाल डाला. हरेक दराज का 1-1 कोना उस ने बारीकी से छाना. तभी अलमारी के सब से ऊपर वाले खाने के एक कोने में उसे एक वालेट नजर आया. उस ने वालेट को उठा कर अच्छी तरह से देखा तो उसे याद आया कि यह तो वही वालेट है जो विहान के लंदन से छुट्टियों में आने पर मौल में शौपिंग के दौरान लता ने विहान के लिए खरीदा था और पैकिंग करते हुए उस के एक प्यारे से लव नोट के साथ उस के बैग में रख दिया था.
लता ने धीरे से वालेट खोला. उस में उस का लिखा हुआ नोट आज भी रखा हुआ था. लता ने उसे दोबारा खोल कर पढ़ा. नोट में लिखा था, ‘‘सरप्राइज इसे कहते हैं और कभीकभी ऐसे भी दिए जाते हैं, तुम्हारी मैडम लता.’’
विहान तो अकसर मैडम कहता आया था प्यार से लता को और लता को भी उस के मुंह से यह सुनना अच्छा लगता था. पूर्व के वे हंसतेखिलखिलाते पल उस की यादों की पगडंडी से गुजरे तो उस हालत में भी लता के चेहरे पर फीकी सी मुसकान खेल गई.
लता ने फिर वालेट को और खोला तो उस के अंदर कुछ पाउंड्स, एक बिल जो किसी हौस्पिटल का था, 3-4 शौपिंग बिल्स और वालेट के सीक्रेट कंपार्टमैंट में से एक तसवीर मिली जिस ने लता के वजूद को हिला कर रख दिया.
एक तसवीर जिस में विहान एक लड़की के साथ है और लता को पहचानने में एक पल का वक्त नहीं लगा कि यह वही लड़की जो कल विहान के साथ थी. दोनों किसी चर्च के बाहर खड़े थे. वह लड़की आगे खड़ी थी और सफेद गाउन में थी. विहान एकदम उस के पीछे था और उस ने उस लड़की के कंधे पर हाथ रखा हुआ था. अचानक लता ने तसवीर पलटी तो पीछे दोनों के नाम लिखे थे, ‘‘विहान ऐंड तारा.’’
लड़की का नाम तारा था और इसी के साथ एक तारीख लिखी थी और लिखा था, ‘‘वैडिंग डे,’’ पर इस शब्द पर बुरी तरह से पैन चलाया हुआ दिख रहा था.
लता के चेहरे पर कोई भाव नहीं आया बस आंखों से निरंतर आंसुओं की धारा बहती रही. कुछ देर वह तसवीर को देखती रही फिर उस ने आंसू पोंछे और तसवीर वालेट में वापस रख दी पर इस बार सीक्रेट कंपार्टमैंट में नहीं रखी और वालेट को अलमारी में यथास्थान रख दिया.
‘‘यह कैसी पहेली है? विहान और तारा, क्या दोनों ने लंदन में शादी? नहींनहीं, ये मैं क्या सोचने लग गई पर इस में गलत क्या है. वह तारा का ही बच्चा था और विहान को डैड पुकार रहा था तो ज़ाहिर है कि विहान ही उस का पिता है. उफ, इतना बड़ा धोखा, अगर विहान अपना अलग ही परिवार बसा चुका था तो मु?ा से इस शादी के क्या माने हैं? क्या इसलिए ही वह पिता बनने को इतना आतुर नहीं दिखता क्योंकि संतान सुख से तो केवल मैं वंचित हूं, वह तो पिता होने का सुख भोग ही रहा है.’’
विहान के भोलेभाले से चेहरे के नकाब के पीछे यह घिनौना रूप होगा, यह तो लता सोच भी नहीं सकती थी पर विहान ने ऐसा क्यों किया, बहुत सोचने के बाद भी लता इस सवाल का जवाब नहीं खोज पा रही थी.
तभी लता का मोबाइल बज उठा. उस ने अलमारी बंद की और मोबाइल उठाया. विहान की कॉल थी. उस का उस वक्त बिलकुल दिल नहीं चाह रहा था विहान से बात करने का. उस ने मोबाइल पलंग की साइड टेबल पर रख दिया.
थोड़ी देर बाद मोबाइल फिर बज उठा. इस बार लता ने कुछ पल मोबाइल की स्क्रीन पर अपनी और विहान की हंसती हुई तसवीर को देखा और कौल अटैंड कर ही ली.
‘‘लता, क्या हुआ, तुम कौल क्यों नहीं पिक कर रही थीं?’’
विहान की आवाज सुन कर लता का दिल जैसे एकदम से पिघल गया हो. उस ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था कि उस की और तारा की वह तसवीर उस की आंखों के आगे घूम गई. वह कुछ कहतेकहते खामोश हो गई.
‘‘लता, क्या हुआ? कुछ बोल नहीं रहीं. तबीयत तो ठीक है?’’ विहान का स्वर अब चिंतित हो उठा था.
‘‘कुछ नहीं विहान, मैं ठीक हूं, हां बोलो, कैसे कौल की?’’ लता ने जैसे समूची ताकत जुटा कर जवाब दिया हो.
‘‘दरअसल, मुझे औफिस से ही मुंबई के लिए निकलना होगा, बहुत जरूरी मीटिंग है, 3-4 दिन लग जाएंगे, सूटकेस पैक कर के यहीं भिजवा देना.’’
लता के होंठों पर व्यंग्यभरी मुसकान फैल गई पर ऊपरी तौर पर उस ने कुछ जाहिर नहीं किया. विहान की जरूरी मीटिंग अब वह समझ रही थी.
‘‘ठीक है विहान,’’ उस ने ठंडे से स्वर में कहा.
‘‘हैं, बस ठीक है, कहां तो इतना शोर मचा देती हो मेरे कहीं जाने पर कि वहां से यह लाना, वह लाना, न हो तो मैं भी साथ ही चलती हूं, तुम फाइलें देखना, मैं तुम्हें देखूंगी और आज यह सूखा सूखा सा ठीक है, क्या बात है भई…’’ विहान ने तो प्यारभरी शिकायतों की झड़ी सी लगा दी थी.
इस वक्त लता बिलकुल कमजोर पड़ कर रोना नहीं चाहती थी पर उस का दिल उस का साथ नहीं दे रहा था. उस ने बहुत मुश्किल से अपनेआप को कुछ संभाला और बोली, ‘‘ऐसी तो कोई बात नहीं, बस जरा सा सिर में दर्द था.’’
‘‘सिरदर्द, बुखार तो नहीं? मांजी और मम्मीपापा भी यहां नहीं, तबीयत ज्यादा खराब हो तो कहो, जाना कैंसल कर दूं?’’
‘‘अरे नहीं, बस सिरदर्द है और कुछ नहीं, मैं सूटकेस भिजवाती हूं, तुम बेफिक्र हो कर जाओ, मैं बिलकुल ठीक हूं.’’
‘‘चलो, ठीक है फिर,’’ इस के साथ ही उधर से कौल कट गई.
विहान मुंबई चला गया तो रात को खाली बैडरूम लता को चुभने लगा. इस वक्त विहान कहां होगा वह इस की कल्पना भी नहीं करना चाहती थी. उस ने पूरी रात आंखोंआंखों में ही काट दी.
सवेरे उठी तो उस दिन काफी हद तक लता खुद को मानसिक तौर पर तारा से मिलने के लिए तैयार कर चुकी थी. दोपहर होतेहोते लता एक बार फिर उसी घर के आगे खड़ी थी जहां इन दिनों तारा रह रही थी और इस वक्त शायद अंदर विहान भी हो.
लता सधे कदमों से उतरी और धीमे से चलते हुए घर के दरवाजे के सामने पहुंची और डोरबैल बजा दी.
दरवाजा खुलने में लगने वाले कुछ पल भी लता को सदियों समान लग रहे थे. उस ने दोबारा बैल बजानी चाही पर उसी वक्त दरवाजा खुला. सामने वही वृद्ध महिला खड़ी थीं.
‘‘यस, हू आर यू? कौन हो तुम?’’ महिला ने धीरे से पूछा.
‘‘क्या विहानजी यहीं रहते हैं?’’ लता ने कुछ सकुचाते हुए पूछा.
‘‘हाउ डू यू नो विहान? तुम विहान को कैसे जानती हो?’’ महिला अब कुछ परेशान सी नजर आने लगी थी.
लता का दिल तो चाहा अभी उन्हें बता दे कि वह कौन है पर वह शांत ही रही.
‘‘आंटीजी, कल विहानजी का यह पर्स हमारी कैब में छूट गया था,’’ लता ने विहान का वालेट वृद्ध महिला के सामने करते हुए कहा.
महिला कुछ भी न समझने वाली निगाहों से लता को देखती रही.
‘‘दरअसल, आंटी कल विहानजी जिस कैब में आए थे उसे मेरा भाई चलाता है, कल शायद गलती से विहानजी का यह पर्स कैब में ही रह गया. कल मेरे भाई की तबीयत अचानक कुछ खराब हुई तो यहां से सीधा घर ही आ गया और कैब से उतरते समय उस की नजर इस पर्स पर पड़ी तो उस ने इसे उठा कर खोल कर देखा.
अंदर विहानजी का फोटो देख कर वह समझ गया कि उन का पर्स गलती से गिर गया है, उस ने मुझे पता बताया और जिद कि मैं आज ही यह पर्स विहानजी तक पहुंचा दूं. फोटो के पीछे नाम लिखे हुए हैं, उसी से विहानजी का नाम पता चला. आप पर्स देख लीजिए. सब ठीक है न…’’ लता खुद न जान सकी कि वह इतना सब कैसे कह गई.
महिला ने लता के हाथ से वालेट लिया और खोल कर देखा. अंदर विहान और तारा की तसवीर देख कर उन्हें कुछ संतुष्टि सी हुई और उन्होंने लता से अंदर आने के लिए कहा.
लता कुछ झिझकती सी उन के पीछे अंदर चली गई. अंदर पहुंचने पर देखा कि एक बड़ा कमरा है जिस में सामने दीवार पर टीवी स्क्रीन लगी है और एक सोफासैट है और एक कोने में एक टेबलकुरसी रखी थी. एक तरफ परदा था जो उस के पीछे एक और कमरे के होने का एहसास करवा रहा था. इसी बड़े कमरे के एक तरफ झने से हलके हरे रंग के परदे के पीछे से छोटी सी रसोई बनी हुई दिख रही थी.
लता ने चारों तरफ अच्छे से निगाहें घुमा कर देखा पर उसे किसी कोने में विहान और तारा की कोई तसवीर न दिखाई दी.
तभी महिला ने उस की आगे रखी छोटी सी सैंटर टेबल पर पानी का गिलास रखते हुए कहा, ‘‘थैंक यू बेटा, तुमने यह ईमानदारी दिखाई, आजकल तो धोखे का ही टाइम है, किसी से कोई होप नहीं है,’’ यह कहते हुए महिला ने एक गहरी सांस ली फिर लता की ओर देखते हुए बोलीं, ‘‘मेरा नाम शरन है, सौरी, मैं भूल गई, तुम ने क्या नाम बताया बेटा अपना?’’
लता को याद आया कि अभी तक उस ने अपना नाम तो बताया ही नहीं. अत: उस ने जल्दी से कहा, ‘‘रश्मि.’’
लता ने बात आगे बढ़ाने की कोशिश की. उस ने शरन से पूछा, ‘‘आंटी, आप यहां की लगती नहीं, मेरा मतलब है कि आप लोग क्या कहीं भारत के बाहर से…?’’
‘‘लंदन से आए हैं हम लोग,’’ उन्होंने धीमे से जवाब दिया.
इस से पहले कि लता कुछ और पूछती उसे परदे के पीछे वाले कमरे से ग्रैंडमां पुकारते हुए किसी बच्चे की आवाज सुनाई दी. यह शायद उसी बच्चे की आवाज थी जो उस दिन विहान को डैड पुकार रहा था. लता के दिल की धड़कनें तेज हो गईं थीं.
शरन जल्दी अंदर जाना चाह रही थीं कि तभी उन्हें ध्यान आया कि लता उन के सामने बैठी है. वे उठीं और जल्दी से अंदर के कमरे में जाने की कोशिश में लड़खड़ा सी गईं तो लता ने ?ाट से उन्हें सहारा दिया. वे मुसकरा कर रह गईं और उन्होंने लता को बैठने के लिए कहा. वे अंदर गईं और कुछ ही पलों में बाहर आ गईं. लता ने देखा तो उन के हाथ में कुछ नोट थे.
‘‘बेटा, आप का बहुतबहुत थैंक यू, यह बस मेरी तरफ से,’’ उन्होंने लता को वे नोट थमाने चाहे.
‘‘अरे आंटी, यह क्या कर रही है,’’ लता ने उन का हाथ थाम लिया.
तभी अंदर से दोबारा आवाज आई. अब की बार शरन को अंदर जाना ही पड़ा.
लता का दिल चाह रहा था कि अगले ही पल वह भी अंदर पहुंच जाए पर उस के पांव तो जैसे जमीन से जुड़ गए थे. कुछ मिनट बाद शरन बाहर आईं तो लता ने उन से जाने की इजाजत मांगी.
शरन ने एक बार फिर नोट वाला हाथ आगे बढ़ाया तो लता ने न में सिर हिला दिया और तेजी से कमरे के दरवाजे से बाहर चली गई.
घर वापस आई तो उस का सिर फटने को हो रहा था. तेज दर्द उसे बेचैन कर रहा था. सिरदर्द की गोली खा कर उस ने खुद को बैड पर पटक दिया. उसे पता ही नहीं चला कि कब उस की आंखें मुंदती चली गईं.
लता जिस वक्त उठी उस वक्त रात के 9 बज रहे थे. उस ने मोबाइल देखा तो विहान की 3 मिस्ड कौल्स आई थीं. वह उन्हें अनदेखा करती हुई बालकनी में आ खड़ी हुई. ठंडी हवाओं ने उस के चेहरे को सहलाया तो लता ने आंखें बंद कर लीं. कुछ देर वह वहीं खड़ी रही.
वापस अंदर कमरे में आई तो कपड़े बदल कर फिर लेट गई. यह पहेली वह सुल?ा नहीं पा रही थी पर आज उस घर तारा को न पा कर उसे दुख भी बहुत हुआ. उसे उस का शक यकीन में बदलता दिख रहा था. हो सकता था कि आज की तारीख में विहान और तारा एकसाथ ही हों.
यह विहान ने उसे जीवन के किस मोड़ पर ला कर खड़ा कर दिया है जो वह इस तरह अपने ही पति की जासूसी जैसा काम करने को मजबूर हो गई है. वह बिलकुल उस घर में दोबारा जाना नहीं चाहती थी पर विहान की इस सचाई से परदा कौन उठाएगा? कौन बताएगा उसे कि जिस जाल में वह खुद को फंसा पा रही है आखिर वह किस ने बुना है?
अगली सुबह गरम चाय का घूंट उस के गले से नीचे उतरा तो उसे लगा जैसे उसे उबकाई आ जाएगी. वह बाथरूम की ओर भागी. बाहर आई तो उसे अपनी तबीयत बिलकुल सही महसूस नहीं हो रही थी. जिस्म निढाल हुआ जा रहा था. उस ने न चाहते हुए भी वर्षा को कौल कर दी.
वर्षा ने उसे आराम करने की हिदायत देने के साथ जल्द ही उस के पास पहुंचने की बात की. दोपहर में कबीर के साथ वर्षा लता के पास आई तो लता ने झट से कबीर को गोद में खींच लिया.
‘‘अरे, क्या कर रही हो भाभी, लेटी रहो न और यह क्या हुआ तुम्हें. चेहरा कैसे पीला पड़ा हुआ है. बुखार है क्या?’’ वर्षा लता को देख कर घबरा सी गई.
‘‘ऐसा कुछ नहीं है बस बहुत कमजोरी महसूस हो रही है, आराम करूंगी तो बिलकुल ठीक हो जाऊंगी.’’
‘‘अच्छा, फिर मुझे क्यों बुलाया, जानती हूं तुम्हें मैं,जब भी तबीयत खराब होती है ऐसी ही बातें करती हो, डाक्टर के पास जाने के नाम से ही तुम्हारी तबीयत आधी ठीक हो जाती है पर आधी या पूरी, तबीयत जैसी भी हो रही हो, डाक्टर को तो दिखाना ही है, चलो उठो, भैया को फोन करती हूं अभी.’’
‘‘नहींनहीं, विहान को फोन मत करना, आज उन की बहुत जरूरी मीटिंग है, मैं चल रही हूं,’’ लता जल्दी से बोली. वह अभी भी विहान से बात करने के लिए खुद को तैयार नहीं कर पा रही थी.
‘‘उफ, भैया की इतनी फिक्र, थोड़ा खुद पर भी ध्यान दे लो, चलो जल्दी कपड़े बदलो,’’ वर्षा ने पूरे अधिकार से कहा.
उस का ऐसा प्यार देख कर लता फिर रोने को हो आई. वर्षा, मांजी, सब कितना चाहते हैं उसे. इन लोगों से तो वह अलग होने के बारे में सोच भी नहीं सकती है.
लता को सम?ा नहीं आ रहा था कि क्या होगा जब सब को विहान की असलियत पता लगेगी. सब के सामने तो वह एक आदर्श बेटा, भाई और पति के रूप में दिखाई देता है. ये लोग तो उस के इस कर्म से बिलकुल अनजान हैं.
‘‘अरे, कहां खो गई, आ जाएंगे भैया भी बस 1-2 दिन की बात तो है,’’ वर्षा ने लता को शून्य में गुम होते देख कहा.
डाक्टर के पास से वापस आने पर लता जहां पहले से ज्यादा खामोश हो गई थी वहीं वर्षा के तो जैसे खुशी से पांव ही जमीन पर न थे.
‘‘भाभी, भाभी, भाभी, यह क्या किया तुम ने, न मुझे मांजी को फोन करने दिया, न भैया को, आखिर इस खबर का हम सभी को कितनी बेचैनी से इंतजार था.’’
लता बस खामोशी से वर्षा को देखे जा रही थी.
‘‘कबीर, अब जल्दी से कबीर का भाईबहन आएगा, वाह, कितना मज़ा आएगा कबीर को अब यहां. है न बोलो, बोलो?’’ वर्षा कबीर को गोद में उठा कर बहुत ज्यादा खुश थी.
लता अब तो जैसे बिलकुल ही सोचनेसमझने की हालत में नहीं थी. जिस घड़ी का उसे और विहान को न जाने कब से इंतजार था वह खुशी की खबर देने का वक्त आया भी तो तब जब लता विहान को खुद से अलग मानने लगी थी. आज अगर सब पहले सा होता तो वह और विहान खुशी से पागल हो गए होते.
तभी वर्षा ने विहान को फोन लगा दिया, ‘‘और भैया, कब वापस आ रहे हो… हांहां, भाभी की तबीयत बिलकुल ठीक है, मैं तो बस ऐसे ही मिलने चली आई थी, क्या आप को अभी 3-4 दिन और लग सकते हैं? ठीक है, लो भाभी से बात करो,’’ वर्षा ने मोबाइल लता के कान से सटा दिया.
मजबूरन लता को भी फीकी मुसकराहट के साथ मोबाइल पकड़ना पड़ा.
वर्षा कबीर के साथ खेलतेखेलते बाहर चली गई.
‘‘हां विहान, कैसे हो? हां तबीयत बिलकुल सही है मेरी, हां अब वर्षा रहेगी मेरे पास, जब तक तुम लौट नहीं आते, ओके बाय,’’ लता ने कौल काट दी और मोबाइल ले कर बाहर आ गई.
‘‘हां भाभी, हो गई बात? क्लीनिक से तो तुम ने बताने नहीं दिया तो यहां से फोन लगा दिया मैं ने. अब तो बता दिया, भैया तो खुशी से झूम गए होंगे, बताओ न?’’
‘‘अभी नहीं बताया,’’ लता उसे मोबाइल देती हुई बोली.
‘‘हैं… अच्छा, सामने ही बताओगी, यह भी सही है. अच्छा देखो, यह अमोल के दोस्त की शादी थी, वहां की तसवीरें,’’ कह वर्षा बीती रात के फंक्शन की तसवीरें दिखाने लगी. तभी कबीर रोने लगा तो वर्षा झट से उठ कर उस के पास चली गई.
मोबाइल की गैलरी खुली हुई थी. लता बेखयाली में तसवीरें स्क्रौल करे जा रही थी. अचानक उस का हाथ जैसे एक तसवीर पर जड़ हो कर रह गया. विहान और तारा की तसवीर. यह तो वही तसवीर है पर यह क्या यह तसवीर पूरी थी. तारा के हाथ में किसी और का हाथ था और वही उस का जीवनसाथी था शायद. तसवीर में वह बहुत प्यार से तारा को देख रहा था और जिस तरह विहान तारा के पीछे था उसी तरह एक और लड़का दूसरी तरफ खड़ा था जिस ने दोनों हाथों से एक खूबसूरत सजा हुआ बोर्ड उठा रखा था. बोर्ड पर लिखा था, ‘‘रिचर्ड वेड्स तारा.’’
वर्षा जैसे ही लता के पास आई, लता ने जल्दी से पूछा, ‘‘वर्षा, यह किस का फोटो है? यह विहान किन लोगों के साथ है?’’ लता बेसब्र हो उठी थी.
‘‘ये, ये लोग तो भैया के दोस्त हैं, यह कैविन, यह रिचर्ड और यह तारा. पता है भाभी तुम्हें रिचर्ड और तारा की लव मैरिज है,’’ वर्षा तसवीर देखती हुई बोली.
उस के बाद वह और भी न जाने कितनी बातें करती रह गई पर लता को जैसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.
तो फिर तारा यहां भारत में क्या कर रही है और रिचर्ड कहां है? अगर यह बच्चा रिचर्ड का है तो फिर वह विहान को डैड क्यों कह रहा था?’’
तभी कबीर पापा पापा कहते हुए उन दोनों के पास चला आया.
‘‘अपने पापा को याद कर रहा है,’’ वर्षा हंसती हुई बोली.
‘‘अरे, बस अभी पापा लेने आ जाएंगे हमारे कबीर को,’’ लता प्यार से बोली.
‘‘अरे नहीं,अमोल आज नहीं आएंगे, अब तो जब भैया आएंगे मैं तभी जाऊंगी, तुम्हारी तबीयत सही नहीं है.’’
‘‘वर्षा रानी, मैं बिलकुल ठीक हूं, क्यों जीजाजी के गुस्से का शिकार हमें बनवा रही हो,’’ लता ने वर्षा से चुहल करते हुए कहा, ‘‘वर्षा, यकीन करो, मेरी तबीयत अब बिलकुल ठीक है.’’
‘‘चली जाऊं, भैया आ रहे हैं क्या?’’ वर्षा उसे छेड़ते हुए बोली.
लता ने भी खुल कर हंसी में उस का साथ दिया.
‘‘अच्छा, वर्षा वह तसवीर सैंड करना जरा मुझे, वह विहान के फ्रैंड्स वाली, विहान ने तो अपना यह ग्रुप कभी मुझे दिखाया ही नहीं, लौटने पर खबर लेती हूं तुम्हारे भैया की,’’ लता ने थोड़े से बनावटी गुस्से से कहा.
अगले दिन सवेरे वर्षा चली गई तो लता एक बार फिर तारा के घर पहुंची.
शरन ने दरवाजा खोला तो लता ने सीधा मोबाइल उन के आगे किया.
शरन ने तारा और रिचर्ड की तस्वीर देखी तो बेहद हैरान हुई.
‘‘यह फोटो तुम्हारे पास कैसे आया? कौन हो तुम?’’ शरन का लहज अब गुस्से में बदल गया था.
‘‘अंदर आ जाइए आंटी, यहां दरवाजे पर खड़े हो कर बात करना सही नहीं है,’’ और लता ही शरन को पकड़ कर धीरेधीरे अंदर ले आई. लता ने उन्हें सोफे पर बैठा दिया.
‘‘अब बताइए आंटी, क्या यह तारा का पति है और अगर यह तारा का पति है तो तारा का बच्चा विहान को डैड क्यों कहता है?’’ लता अब बेझिझक हो कर शरन से सवाल कर रही थी.
‘‘तुम कौन होती हो ये सब जाननेपूछने वाली और सब से पहले यह बताओ कि यह फोटो तुम्हारे पास कैसे आया?’’ शरन अभी भी गुस्से में थी.
‘‘मैं विहान की पत्नी हूं, लता,’’ ये कहने के साथ ही लता भी उन के साथ सोफे पर बैठ गई.
शरन की जैसे समस्त हिम्मत जवाब दे गई हो.
‘‘आंटी, बताइए सच क्या है? अपनी खामोशी तोडि़ए और बताइए कि विहान की जिंदगी में ये सब क्या चल रहा है? वह अकेला नहीं है इस जीवन में, उस के साथ बहुतों की धड़कनें बंधी हैं, उन की मां हैं, उन की बहन और मैं उन की पत्नी. बताइए मु?ो क्या रिश्ता है तारा और विहान का? क्या तारा आप की बेटी है? तारा का बच्चा विहान को डैड क्यों कहता है? मु?ो सारे सवालों के जवाब चाहिए आंटी,’’ लता शरन को देखती हुई बोली.
‘‘हां, तारा मेरी बेटी है,’’ शरन ने गहरी सांस ली और लता को सब बताना शुरू किया.
‘‘विहान जब लंदन आया था तब वह एक अपार्टमैंट में केविन और रिचर्ड के साथ रहता था. रिचर्ड मेरी फ्रैंड का बेटा था और तारा को भी चाहता था. मैं और रिचर्ड के घरवाले तारा और रिचर्ड की शादी करवाने के बारे में भी हम सोचते थे.’’
लता को बताते हुए लंदन का वह अतीत जैसे शरन की आंखों के आगे उतर आया था…
‘‘रीटा, अब जल्द ही तारा और रिचर्ड की मैरिज हो जाए तो अच्छा है. तारा के फादर की डैथ के बाद मैं बहुत अकेली हो गई हूं इसलिए अपनी ये रिस्पौंसिबिलिटी जल्दी पूरा करना चाहती हूं.’’
‘‘रिचर्ड ने तो जबसे तारा को लीना की पार्टी में देखा है तभी से उसे पसंद करने लगा है, अब बस हमें तो मैरिज की डेट फिक्स करनी है.’’
रीटा की बात सुन कर शरन काफी खुश
हों गई.
शाम में रिचर्ड तारा को ले जाने के लिए घर आया. तारा और रिचर्ड का मूवी जाने का प्लान था. उस दिन तारा बहुत सुंदर लग रही थी. दोनों खुशीखुशी घर से गए.
रात को जब तारा वापस आई तो कुछ चुप सी थी. अगले 3-4 दिन रिचर्ड भी घर नहीं आया तो शरन ने तारा से पूछा, ‘‘तारा व्हाट हैपेंड… तुम्हें क्या हुआ है, कुछ दिनों से इतनी उदास क्यों लग रही हो? क्या रिचर्ड से कोई फाइट हुई है?’’
तारा जवाब में खामोश ही रही.
शरन ने दोबारा पूछा तो तारा कुछ अनमनी और रोंआसी सी हो उठी.
‘‘मौम, जिस दिन मैं रिचर्ड के साथ मूवी देखने गई थी उस दिन वह मु?ो एक होटल में ले गया था. वहां पर वह मेरे बहुत पास आने की कोशिश कर रहा था. मैं ने मना किया तो बोला कि अगर यहां रहकर भी तुम्हारे थौट्स इतने बैकवर्ड हैं तो मु तुम में कोई इंट्रैस्ट नहीं है, चलो घर चलें.’’
तारा रिचर्ड की बात सुन कर बहुत हर्ट हुई पर फिर भी उसे सम?ाते हुए बोली, ‘‘फौरन में रहने का यह मतलब तो नहीं न कि हम अपनी लिमिट क्रौस कर दें?’’
‘‘तारा, हमारी मैरिज होने वाली है, क्यों दूर कर रही हो खुद को मु?ा से, देखो खुद को आज कितनी ब्यूटीफुल लग रही हो.’’
रिचर्ड तारा के बहुत करीब आ चुका था. उस ने अपने हाथों में उस का चेहरा थाम लिया. तारा पिघलने लगी.
नदी का बांध टूट गया. बहाव क्षणिक था पर इतना तेज कि कुछ ही पलों में अपने साथ बहुत कुछ बहा कर ले गया.
शरन बहुत दुखी हुई पर तारा का उदास चेहरा देख कर उन्होंने अपने चेहरे के भाव बदले और तारा को अपने सीने से लगा कर प्यार से उसे सम?ाने लगी, ‘‘जो हुआ सो हुआ, मैं आज ही रीटा से तुम दोनों की मैरिज की बात करती हूं, अब तुम दोनों की मैरिज में देर नहीं होनी चाहिए. चलो अब अच्छी सी स्माइल दे दो मम्मी को.’’
अगले महीने ही दोनों की शादी हो गई पर तारा को जल्द ही रिचर्ड की असलियत पता चल गई. वह एक ऐय्याश किस्म का लड़का था. रातों को नशे में लड़खड़ाता हुआ घर पहुंचता था और 1-2 बार तो तारा पर हाथ भी उठा चुका था. तारा उस के इस बिहेवियर से बहुत परेशान हो चुकी थी.
शरन ने रीटा से बात की तो उस ने दो टूक जवाब दे दिया, ‘‘लुक शरन, मुझे तुम से ऐसी होप नहीं थी, तुम्हारे हसबैंड होंगे पुराने विचारों वाले इंडियन पर तुम तो यहीं की हो, यहां ये सब चलता रहता है. एक तो तुम ने बच्चों की मैरिज की इतनी जल्दी मचा दी और अब चाहती हो कि मेरा बेटा हर टाइम तुम्हारी बेटी का सर्वेंट बना रहे. वह क्या कहते हैं तुम्हारे हसबैंड के देश में… हां… जोरू का गुलाम,’’ रीटा व्यंग्यबाण छोड़ती हुई बोली.
‘‘कुछ बातें हर जगह बुरी लगती हैं फिर चाहे वह देश हो या विदेश, अपने बेटे को उस की गलती पर सम?ाने की जगह उस की साइड ले रही हो जबकि तुम ख़ुद भी एक औरत हो,’’ शरन को रीटा से ऐसी उम्मीद नहीं थी.
अगले महीने पता चला कि तारा प्रैगनैंट है. उन्हीं 2-4 दिनों में रिचर्ड ने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दीं. वह घर पर ही किसी लड़की को ले आया और तारा के सामने ही उस लड़की से करीबियां बढ़ाने लगा. तारा ने उस रात उस से बहुत ?ागड़ा किया पर रिचर्ड उस की कोई बात सुनने को तैयार न था बल्कि वह तो तारा को ही घर से बाहर निकालने पर आमादा हो गया.
तारा ने उसे बताया कि वह मां बनने वाली है तो रिचर्ड ने उस से कहा कि यह बच्चा उस का नहीं है, अगर वह शादी से पहले उस के साथ सो सकती है तो किसी और के साथ भी संबंध रख सकती है, ऐसे में वह यह मानने को बिलकुल तैयार नहीं था कि यह बच्चा उस का है.’’
‘‘आज के टाइम में यह पता लगाना कि यह बच्चा तुम्हारा है या नहीं, कोई मुश्किल बात नहीं है पर अब मैं खुद नहीं चाहूंगी कि मेरे बच्चे के बाप तुम कहलाओ,’’ तारा ने एक तमाचा उस के चेहरे पर जड़ दिया और रातोंरात घर छोड़ दिया. जल्द ही दोनों का तलाक हो गया. तारा शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत कमजोर हो चुकी थी. डाक्टरों को कहना पड़ा कि उस का शरीर बच्चे को जन्म देने की ताकत नहीं रखता. पर तारा हर हाल में यह बच्चा चाहती थी पर अपनी कमजोरी के चलते मजबूर थी. उसे 7वें महीने में लेबर पेन उठ गया.
आधी रात का वक्त था. शरन अकेली तारा को संभाल नहीं पा रही थी और इन हालात में शरन कुछ सू?ा भी नहीं रहा था कि तभी रिचर्ड के अपार्टमैंट के 2 दोस्तों का खयाल आया. तारा की शादी में तो विहान उस का भी बहुत अच्छा दोस्त बन गया था.
शरन ने जल्दी से तारा के मोबाइल से विहान को कौल की. उस के बाद सबकुछ बहुत तेजी से हुआ. विहान केविन के साथ तुरंत तारा के घर पहुंचा और फिर हौस्पिटल ले जाने से ले कर और जौन के जन्म के बाद तारा के डिस्चार्ज होने तक वह साथ ही रहा.
शरन और तारा उस की एहसानमंद हो चुकी थी. इन सब के दौरान विहान और तारा की बहुत अच्छी दोस्ती हो गई थी. शरन ने महसूस किया कि तारा विहान को पसंद करने लगी है. एक दिन विहान घर आया तो प्यार से जौन के साथ खेलने लगा कि तभी तारा ने पीछे से विहान के कंधे पर हाथ रख दिया.
विहान ने मुड़ कर देखा तो तारा की आंखें कुछ अनकहा सा बयां कर रही थीं. तारा विहान की ओर मुसकराती हुई देख रही थी. दोनों खामोश थे पर विहान तारा की आंखों की भाषा समझ चुका था.
‘‘नहीं तारा, यह नहीं हो सकता, मैं किसी और से प्यार करता हूं,’’ कहने के साथ ही विहान वहां से चला गया.
कुछ पलों को तो तारा का चेहरा मुर?ा गया पर जल्द ही उसे विहान का स्पष्ट होना बहुत भाया. उसे गर्व हो आया विहान पर जो उस ने कभी किसी भी तरह तारा का फायदा नहीं उठाना चाहा. अपनी एकतरफा मुहब्बत के बदले विहान की दूरी से तो अच्छा था कि वह उस के जैसे साफ दिल वाले मानस की सच्ची दोस्त बनी रहे. कल ही विहान से मिल कर बात करूंगी और उसे सारी बात सम?ाऊंगी, इसी सोच के साथ रात गुजरते ही अगली सुबह जैसे ही तारा विहान से मिलने पहुंची तो केविन ने उसे बताया कि वह तो बीती रात ही इंडिया चला गया है.
तारा ने उसे काफी बार कौल की पर विहान से बात न हो सकी. कई दिनों बाद तारा ने विहान को मैसेज किया.
‘‘डियर विहान,
‘‘क्या मुP से इतनी बड़ी गलती हुई कि तुम मुेेेेझे बिना बताए इंडिया चले गए? विहान, उस दिन वह बस मेरे दिल के जज्बात थे जो मेरी आंखों से झलक गए थे पर मेरा भरोसा करो, तुम मेरे लिए बहुत रिस्पैक्टेबल इंसान हो और सिर्फ मेरे लिए ही नहीं सभी के साथ तुम्हारा व्यव्हार इतना अपनापन और प्यार लिए होता है कि कोई भी तुम्हारी जादू भरी पर्सनैलिटी से दूर नहीं हो पाएगा और उन में से मैं भी एक हूं पर अब तुम्हारा प्यार मुझे दोस्ती के रूप में मिल जाए तो अपनेआप को बहुत खुश समझूंगी. बिलीव मी, मैं दोस्ती के खूबसूरत रिश्ते में हमेशा अपनी लिमिट का ध्यान रखूंगी.’’
तारा नहीं जानती थी कि इस वक्त विहान यह मैसेज पढ़ रहा था तो वह लंदन वापस जाने के लिए एअरपोर्ट ही पहुंचा था.
तारा वहां शरन से कुछ छिपा न सकी और उस ने शरन से यह भी कहा कि शायद मेरी बातों से विहान हर्ट हुआ हो और अब वह मुझ से दोस्ती भी न रखे.
शरन ने उसे समझाया कि ऐसा नहीं होगा. विहान बहुत बड़े दिल का मालिक है. वह उसे दोस्त के रूप में जरूर मिलेगा और शरन की बात सच साबित हुई.
विहान और तारा अच्छे दोस्त बन चुके थे. विहान ने तो तारा को यह भी बताया कि वह नहीं जानता कि लता भी उस से बहुत प्यार करती है और जब एअरपोर्ट पर उस ने आई लव यू कहा तो विहान तो बस जवाब में उसे देखता ही रह गया. वह जिंदगी का इतना प्यारा सच ऐसे अपने सामने आने की उम्मीद नहीं रखता था. उस वक्त वह लता को अपने दिल की बात भी नहीं बता सका कि वह भी उसे उतना ही चाहता है.
मगर विहान ने वर्षा को जरूर यह बात बताई तो वर्षा ने उस से कहा कि अरे भैया, मैं तो शुरू से ही जानती थी कि आप दोनों एकदूजे से बहुत प्यार करते हैं बस इजहार करने में मेरी सहेली बाजी मार गई.
‘‘मांजी और अंकलआंटी मान जाएंगे?’’ विहान ने वर्षा से पूछा.
‘‘सब ठीक होगा भैया, आप बस दिल लगा कर वहां पढ़ाई कीजिए. पर कैसे दिल लगाएंगे वह तो अब यहां है,’’ वर्षा ने हंसते हुए कहा.
‘‘अच्छा वर्षा,अब जब तक वापस नहीं आ जाता लता से जरा कम ही बात करूंगा. अब वापस लौटने पर ही लता के सामने ही बात करूंगा.’’
‘‘इस के लिए बिना हवाईजहाज के हवाहवाई बन कर मत आ जाइएगा.’’
विहान अकसर तारा और शरन को वर्षा की बातें बताता तो दोनों हंसतीहंसती दोहरी हो जातीं.
तारा अकसर विहान से कहती, ‘‘लता इज सच ए लकी गर्ल.’’
देखते ही देखते विहान के वापस जाने का दिन आ गया. विहान ने दोनों से वादा लिया कि कुछ ही दिनों में वर्षा की शादी है और वे शादी में शामिल होने के लिए इंडिया जरूर आएं.’’
तारा ने कहा कि वह जरूर आएगी वर्षा की शादी में भी और विहान की शादी में भी. जातेजाते तारा ने अपना और विहान का एक फोटो भी विहान को दिया पर शरन की तबीयत सही न होने की वजह से वे लोग शादी में शामिल न हो सके.
विहान और लता शादी के बाद बहुत खुश थे पर बीतते वक्त के साथ संतानसुख न पाने का दर्द लता और विहान को मायूस कर देता था.
एक दिन विहान हैरान रह गया जब तारा ने उसे अपने भारत आने के बारे में बताया. विहान ने महसूस किया कि तारा की आवाज में खुशी का कोई सुर न था. तारा ने उस से कहा कि हो सके तो विहान उस के लिए किसी किराए के घर का इंतजाम कर दे.
‘‘किराए का घर क्यों? किसी होटल में क्यों नहीं?’’ विहान कुछ न समझते हुए बोला.
‘‘मैं आने के बाद तुम्हें सब समझा दूंगी,’’ तारा का स्वर अभी भी उदासी लिए था.
एअरपोर्ट पर जौन ने जब उसे डैड कहा तो विहान ने घोर आश्चर्य के साथ तारा की ओर देखा.
‘‘प्लीज, प्लीज विहान, अभी जौन को कुछ मत कहना, वह वही कह रहा है जो मैं ने उसे बताया है,’’ विहान असमंजस में था.
विहान एक साधारण सा घर किराए पर लिया. वह वहीं सब को ले गया. जौन और शरन को घर छोड़ कर विहान ने तारा से कहा कि वह उस के साथ बाहर चले. तारा बिना किसी सवाल के उसी पल उस के साथ बाहर आ गई.
‘‘तारा, यह सब क्या है? तुम ने जौन को मुझे उस के पिता के रूप में दर्शाया हुआ है… तुम ने ऐसा क्यों किया है… जानती हो इस का रिजल्ट कितना खराब होगा, मेरी फैमिली तबाह हो सकती है…’’ विहान कुछ गुस्से से तारा को यह सब कह रहा था.
‘‘जौन को अपना लो विहान, प्लीज जौन को अपना लो, वह बहुत प्यारा और मासूम है, उसे एक फैमिली की जरूरत है, उसे प्यार की जरूरत है,’’ तारा फूटफूट कर रो पड़ी.
‘‘तारा, क्या हुआ है तुम्हें, क्या बात है, बताओ मुझे?’’ विहान बहुत हैरानपरेशान सा हो रहा था.
‘‘मैं मर रही हूं विहान, मुझे कैंसर है, डाक्टरों ने कहा है कि अब ज्यादा से ज्यादा 3 महीने हैं मेरे पास,’’ तारा बिलकुल खोखले स्वर में बोली.
‘‘तारा, क्या कह रही हो? तुम्हें कैंसर… ये सब कब… कैसे?’’ विहान को अपने कानों पर यकीन नहीं आ रहा था.
‘‘कुछ दिनों से मेरी तबीयत ठीक नहीं थी. हौस्पिटल चैकअप करवाने गई पर बहुत ज्यादा कमजोरी की वजह से मुझे चक्कर आ गया, मैं बेहोश हो गई. होश आया तो मैं हौस्पिटल में ही थी. डाक्टर ने वहीं मेरे कुछ टैस्ट करवाए. अगले कुछ दिनों में रिपोर्ट्स आईं तो पता चला कि मैं कैंसर की गिरफ्त में हूं और अब मेरे पास समय बहुत कम है.’’
‘‘यह सुन कर जौन का चेहरा मेरी आंखों के आगे घूम गया. मुझे अपनी नहीं उस की दुनिया वीरान होती नजर आ रही थी. मौम इस हालत में नहीं कि वह अब जौन की परवरिश कर सके. जौन जिस की लाइफ अभी शुरू हुई है वह कैसे जिंदगी जीएगा. उस ने बाप के प्यार को तो कभी महसूस ही नहीं किया था और अब मां का प्यार भी उस से दूर होने वाला था.
‘‘मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था. मैं तो जैसे अपनी सोचनेसमझने की ताकत खो चुकी थी. दिनरात जैसे हवा बन कर उड़ रहे थे और हाथ से वक्त रेत की तरह फिसल रहा था.
‘‘एक दिन जब तुम्हारा फोन आया तो मैं ने तुम्हारी आवाज में बहुत उदासी महसूस की. ख़ुद से ज्यादा तुम लता के लिए दुखी थे.
‘‘तब मुझे लगा कि अगर आप लोग जौन को अपना लो तो मेरे बच्चे को फैमिली और आप की फैमिली को एक बच्चा मिल जाएगा. विहान, बोलो न विहान, मेरे बच्चे को अपना लो, मुझे पता है मैं स्वार्थी हो रही हूं, पर मैं एक मां हूं, इस वक्त जौन से ज्यादा और उस के आगे कुछ नहीं सोच पा रही हूं. प्लीज विहान, मेरी हालत को समझ,’’ तारा रो रो कर बेहाल हुए जा रही थी.
विहान यह सब सुन कर खुद को बहुत अजीब स्थिति में पा रहा था. तारा के लिए वह बहुत दुखी हुआ पर जो वह चाह रही थी वह किसी भी हालात में किसी के लिए भी आसान परिस्थिति नहीं होने वाली थी. तभी जौन अपने नन्हेनन्हे कदमों से चलता हुआ विहान के पास आया और उस की टांगों को पकड़ लिया.
विहान ने उसे धीरे से अपनी गोद में उठा लिया. जौन का मासूम चेहरा उस का दिल पिघला रहा था कि तभी जौन के मुंह से निकला, ‘‘डैड.’’
विहान का मन जैसे भीग गया. उस ने जौन को गले से लगा लिया. यह देख कर तारा को ऐसा लगा जैसे तपती धूप में उसे किसी पेड़ की छाया मिल गई हो.
शरन खिड़की के एक कोने से खड़ी यह सब देख रही थी. आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे.
‘‘लता, विहान को कभी गलत मत सम?ाना, वह तुम से बहुत प्यार करता है, मैं समझती हूं कि इस वक्त विहान की लाइफ में जो कुछ हो रहा है वह एक बीवी होने के नाते तुम्हारे लिए बहुत तकलीफ देने वाला है पर बेटा इसमें विहान की कोई गलती नहीं है,’’ शरन रो रही थी और लता तो जैसे खुद को अपराधी महसूस कर रही थी.
कितना कुछ गलत सोच लिया था उस ने बिना असलियत का आईना देखे. उस का विहान पर से विश्वास कैसे डगमगाया यह सोच कर लता को खुद पर क्रोध आ रहा था. ऐसा लग रहा था उसे कि वह तो माफी मांगने ले काबिल नहीं रही.
तभी विहान का वहां प्रवेश हुआ, ‘‘लता, तुम यहां?’’ विहान हैरानी से भर उठा.
लता तेजी से उस के सीने से लग गई. कुछ देर तक दोनों के बीच सिर्फ निश्चल प्रेम के आंसुओं की धारा का प्रवाह होता रहा फिर लता ने ही कहा, ‘‘आंटी ने मुझे सब बता दिया है. आज कितने ऊपर उठ गए हो मेरी नजरों में मैं बयां नहीं कर सकती हूं. कल तक प्यार करती थी और अब एक महान इंसान को पूजने का दिल चाह रहा है.’’
‘‘लता, मैं तुम्हें कैसे सब बताऊं, बस बात करने का सही मौका तलाश रहा था और सोच रहा था कि न जाने तुम इसे किस तरीके से स्वीकार करोगी.’’
‘‘जो तुम ने किया और आगे भविष्य में जिस तरह से तुम एक मासूम को एक परिवार का प्यार देना चाहते हो तो तुम्हारी इस सोच से अलग मैं सोच सकती हूं क्या? क्या मुझ पर विश्वास नहीं था? एक बार कह कर तो देखते,’’ लता ने रोते हुए ये सब कहा.
‘‘बच्चा गोद लेने पर कभी तुम ने कोई प्रतिक्रिया नहीं…’’
लता ने उस के होंठों पर अपनी उंगली रख दी.
तभी शरन ने पूछा, ‘‘बेटा तारा कहां है?’’
‘‘हौस्पिटल में ही है आंटी, मैं आप को लेने ही आया था.’’
लता ने घबरा कर विहान की ओर सवालिया निगाहों से देखा.
‘‘तारा को मैं अपने डाक्टर दोस्त के भी दिखा रहा था पर वहां से भी उम्मीद नहीं जगी, तारा अभी उसी के हौस्पिटल में है. 3-4 दिन पहले ही उस ने पूरी तरह से तारा की हालत को देख कर जवाब दे दिया था इसलिए मैं तारा के साथ था.’’
यह सब सुन कर शरन के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. लता ने शरन को गले से लगा लिया.
उस दिन सूर्यास्त के वक्त तारा की जिंदगी का दीया भी सदा के लिए बु?ा गया. जौन को लता ने संभाल लिया था.
अगले वर्ष होली पर वर्षा जब सपरिवार अपने मायके आई तो कबीर आते ही जौन और आयुषी के साथ खेलने में मस्त हो गया.
विहान और लता की बिटिया आयुषी अभी 3 माह की थी. वर्षा ने तो आयुषी को गोद में ले कर खूब प्यार किया.
तभी वैदेहीजी की आवाज सुनाई दी और सभी उस दिशा में देखने लगे.
‘‘जौन, कबीर इधर आओ,तुम लोगों की पिचकारियां भर गई हैं.’’
बच्चे भागते हुए चले गए. वर्षा भी आयुषी को गोद में ले कर वहीं चली गई. वहां सभी थे. वैदेहीजी, विवेक और अरुणाजी और उन के साथ बैठी थी शरन. बच्चों को देख कर सभी उनके साथ खेलने लगे.
तभी विहान ने लता के गालों को गुलाल से रंग दिया. लता ने हंसते हुए वहां से भागने की कोशिश की तो विहान ने उसे अपने करीब खींच लिया.
‘‘थैंक यू लता, जौन को इतने प्यार से अपनाने के लिए, तुम ने आंटी को भी वापस नहीं जाने दिया. थैंक यू सो मच मेरी मैडमजी हर कदम पर मेरा साथ देने के लिए, मेरी हर उलझन को सुलझाने के लिए, तुम्हारे बिना मेरा यह जीवन बिलकुल अधूरा है,’’ विहान भावुक हो उठा था.
लता की भी आंखें भर आई थीं. उस ने भी विहान के सीने में अपना चेहरा छिपा लिया. उस के गालों पर प्रीत का गुलाबी रंग और अधिक गहरा हो उठा था.