तलाकशुदा अनुपा अपनी जिंदगी दोबारा शुरू करना चाहती थी, मगर जब मनीष नाम के शख्स से उस की शादी की बात चली तो फिर क्या हुआ कि उसे शादी से ही नफरत होने लगी. अनुपाबहुत देर तक जीवनसाथी की वैबसाइट पर कमल का प्रोफाइल चैक करती रही. कमल का 3 वर्ष पहले डाइवोर्स हुआ था और उस का 12 साल का बेटा था. अनुपा का खुद विवाह के 5 वर्षों के बाद ही अपने पति से अलगाव हो गया था, मगर डाइवोर्स की प्रक्रिया इतनी लंबी थी कि पूरे सात वर्ष लग गए. आज अनुपा 38 वर्ष कीहो चुकी थी.
मगर शरीर की बनावट के कारण वह 30 वर्ष से अधिक की नहीं लगती थी. घर में उस के भाई, बहन सब अपनीअपनी जिंदगी में व्यस्त थे. बूढ़े मातापिता को अनुपा के पास छोड़ कर वे अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर चुके थे. मम्मी, पापा भी जबतब सब रिश्तेदारों के सामने अनुपा की जिम्मेदारी का दुखड़ा रोते थे, मगर कौन किस की जिम्मेदारी उठा रहा है यह बस अनुपा ही जानती थी.
कभी मम्मी का डाक्टर से अपौइंटमैंट होता तो कभी पापा का. बड़ी बहन और छोटा भाई भी छुट्टियों में आ कर मम्मी, पापा की खैरखबर ले लेते थे, मगर अपनी प्राइवेसी में वे उन का दखल नहीं चाहते थे.
आज मम्मीपापा ने फिर से अनुपा के लिए एक रिश्ता ढूंढ़ कर रखा था. मगर अनुपा कैसे अपने मम्मीपापा को सम झाए कि वह दोबारा शादी के बंधन में नहीं बंधना चाहती. पहली शादी में वह सब पा चुकी थी. उस के बहुत से पुरुष मित्र थे और वह ऐसे ही हंसतेखेलते जिंदगी काटना चाहती थी.
आर्थिक रूप से अनुपा स्वभावलंबी थी. पहली शादी के टूटने के बाद, कोर्टकचहरी के चक्कर लगाने के कारण अब भावनात्मक रूप से भी स्वतंत्र थी और शारीरिक जरूरतों को पूरी करने के लिए उस के पास औप्शंस की कमी
नहीं थी.
मगर उसे हंसताखेलता देख कर अनुपा के परिवार को शक होने लगता था. परिवार अनुपा को शादी के खूंटे से बांधना चाहता था. अनुपा का प्रोफाइल उस के परिवार ने मैट्रिमोनियल साइट्स पर डाला हुआ था और कमल का इंट्रैस्ट वहीं आया था. अनुपा का मन नहीं था पर फिर भी मम्मीपापा के कारण अनुपा ने कमल से मिलना निश्चित कर लिया.
अनुपा ने शनिवार की शाम को कमल से मिलने के लिए चुना. उस ने आसमानी रंग की साड़ी पहनी थी और बाल खुले ही छोड़ दिए थे. छोटी सी बिंदी और हलकी लिपस्टिक में वह दिलकश लग रही थी.
अनुपा के मन में ढेर सारी बातें थीं. जब अनुपा ने रंगोली होटल का दरवाजा खोला तो कमल वहां पहले से ही बैठा था. कमल के
बराबर में एक 12 वर्ष के करीब का लड़का भी बैठा था.
अनुपा को देख कर कमल उठ गया. उस ने अनुपा को ठीक से देखा भी नहीं. पूरा समय अपने बेटे युग के बारे में ही बात करता रहा. अनुपा को ऐसा महसूस हुआ, कमल को अपने लिए बीवी नही, अपने बेटे युग के लिए एक केयरटेकर चाहिए. उसे लगा जैसे अगर थोड़ी देर वह और बैठी तो उस का दम घुट जाएगा.
कमल के जाते ही अनुपा ने अपने लिए एक ड्रिंक और्डर किया. पहले ड्रिंक के बाद उस का मन फूल सा हलका हो गया, दूसरे ड्रिंक के बाद अनुपा के ऊपर ऐसा नशा छाया कि वह उठ कर डांस करने लगी.
कुछ ही देर बाद एक आकर्षक नौजवान अनुपा के साथ थिरकने लगा. लगभग आधे घंटे बाद दोनों ने 1-1 ड्रिंक और लिया और फिर थिरकने लगे. लड़के का नाम कशिश था और वह सौफ्टवेयर कंपनी में प्रोजैक्ट मैनेजर था. अनुपा और कशिश लगभग 12 बजे तक साथ बैठे रहे. जब 12 बजे कशिश ने अनुपा को छोड़ा तो अनुपा के मम्मीपापा जगे हुए थे.
मम्मी चहकते हुए बोलीं, ‘‘कैसा रहा?’’
अनुपा बोली, ‘‘कुछ नहीं, उसे पत्नी नहीं अपने बच्चे के लिए मां चाहिए.’’
पापा बोले, ‘‘तो ठीक है न तुम्हें भी मां कहने वाला कोई मिल जाएगा.’’
अनुपा मुसकराते हुए बोली, ‘‘मु झे बेटा नहीं, जीवनसाथी चाहिए,’’ इस से पहले मम्मी कुछ बोलतीं, अनुपा ने दरवाजा बंद कर लिया.
कपड़े बदलते हुए कशिश के कौंप्लिमैंट्स याद कर के मन ही मन मुसकरा उठी थी.
आज की रात बेहद हसीन थी. अभी बैड पर
लेटी ही थी कि कशिश का मैसेज आ गया. वह अनुपा को दोपहर लंच के लिए इनवाइट कर
रहा था.
अनुपा जब अगले दिन लंच के लिए
तैयार हो रही थी तभी मम्मी बोलीं, ‘‘मु झे
थोड़ा जहर दे दे अनुपा, तू क्यों नहीं अपना घर बसाना चाहती है? क्या इस उम्र में तु झे कोई राजकुमार मिलेगा?’’
अनुपा बोली, ‘‘राजकुमार नहीं मम्मी हमसफर चाहिए और अगर नहीं मिला तो मैं ऐसे ही खुश हूं.’’
मम्मी कड़वाहट के साथ बोलीं, ‘‘न जाने कौन होगा तेरे ख्वाबों का राजकुमार.’’
रेस्तरां में कशिश पहले से ही बैठा था. लंच के बाद थोड़ी इधरउधर की बातें हुईं और फिर कशिश और अनुपा लौंगड्राइव के लिए निकल गए.
कार को एक सुनसान जगह पर रोक कर कशिश के हाथ धीरेधीरे अनुपा के शरीर के ऊपर रेंगने लगे. अनुपा ने पहले धीरे से मना किया, मगर जब कशिश के हाथ रुक ही नहीं रहे थे तो अनुपा ने कशिश का हाथ पकड़ कर जोर से झटक दिया.
कशिश गुस्से में फुफकारते हुए बोला, ‘‘तुम्हारे जैसी बूढ़ी औरत के साथ मु झे मजा ही क्या आएगा.’’
अनुपा कार से उतरती हुई बोली, ‘‘तुम्हारे जैसे थर्डग्रेड लोफर के साथ किसी 20 साल की लड़की को भी मजा नही आएगा.’’
उस के बाद अनुपा ने वहीं से अजय को
कौल किया. अजय करीब 15 मिनट
बाद पहुंच गया. अजय अनुपा का फ्रैंड था या
यों कहें फ्रैंड से कुछ ज्यादा था. दोनों के पास जब भी समय होता तो वो लौंगड्राइव पर निकल जाते थे. अजय एक तरह से अनुपा का पार्टटाइम हसबैंड था.
अजय का भी अपनी पत्नी से कुछ वर्ष पहले अलगाव हो गया था. मगर अजय और अनुपा दोनों ही एक बार शादी का लड्डू चखने के बाद दोबारा उसे खा कर अपनी जिंदगी खराब नही करना चाहते थे.
अनुपा को कार में बैठाते हुए अजय
बोला, ‘‘आज क्या हो गया, किस के साथ
आई थी?’’
अनुपा आंखों में पानी भरते हुए बोली, ‘‘मु झे बूढ़ी बोल रहा था जब मैं ने उसे उस की सीमा लांघने को मना कर दिया तो.’’
अजय हंसते हुए बोला, ‘‘देखा 25 साल
के लड़के के लिए तो तू बूढ़ी ही होगी. मगर यह तुम ने बिलकुल सही किया और आगे से हर किसी पर इतनी जल्दी विश्वास करने की जरूरत नहीं है.’’
फिर अजय अनुपा को कौफी पिलाने के लिए ले गया. जब शाम 6 बजे अनुपा लौटी तो मम्मी गुस्से में भरी बैठी थीं और अनुपा को देखते ही बोलीं, ‘‘क्या सोच रखा है तुम ने? हम तेरे कारण अपना घरवार छोड़ कर बैठे हुए हैं. बहू की सेवा और पोतेपोतियों के साथ न खेल पा रहे हैं पर तू तो 16 साल की लड़की को भी मात कर रही है.’’
पहले अनुपा इन बातों पर आंखों में पानी भर लेती थी और पूरापूरा दिन घर में खुद को कैद कर के रखती थी. मगर जब वह धीरेधीरे डिप्रैशन में जाने लगी तो उस की एक सहकर्मी उसे काउंसलर के पास ले गई. वहीं अनुपा की अजय से मुलाकात हुई थी.
अजय के साथ धीरेधीरे अनुपा की गहरी दोस्ती हो गई थी. जब से अजय अनुपा की जिंदगी में आया था अनुपा का जिंदगी जीने
का नजरिया ही बदल गया था. अनुपा के परिवार और समाज की नजरों में अनुपा पथभ्रष्ठा हो
गई थी.
आज जब अनुपा दफ्तर से घर पहुंची तो उस की बड़ी दीदी शिखा आई हुई थी. शिखा अपने दूर के देवर का रिश्ता ले कर आई थी जिस की हाल ही में पत्नी की मृत्यु हो गई थी.
शिखा चहकते हुए बोली, ‘‘अनु, सब से अच्छी बात यह कि वह इसी शहर में रहता है तो न तु झे नौकरी बदलनी पड़ेगी और मम्मीपापा को भी तू आराम से देख पाएगी.’’
अनुपा को लगा ऐसी शादी के बाद तो उस की दोहरी जिम्मेदारी हो जाएगी, मगर अनुपा अपने परिवार को मना नहीं कर पाई थी.
शाम को जब अनुपा ने अजय को इस रिश्ते के बारे में बताया तो अजय बोला, ‘‘देख ले हो सकता है वह वाकई तुम्हारे काबिल हो.’’
शाम को शिखा का देवर मनीष अपने
परिवार के साथ आया. मनीष का
अपना व्यापार था और उस के 10 और 12 साल के दो बच्चे थे.
जब अनुपा तैयार हो कर आई तो मनीष लगातर अनुपा को क्षुधा भरी नजरों से घूर रहा था.
अनुपा इतने पुरुषों से मिल चुकी थी, मगर
मनीष की आंखें न जाने क्यों उसे असहज कर रही थी.
थोड़ी देर बाद मनीष ने शिखा से कहा, ‘‘भाभी, मैं अनुपा को थोड़ी देर घुमा कर ले आऊं क्या?’’
शिखा ने खुश होते हुए कहा, ‘‘क्यों नहीं.’’
कार में बैठते ही मनीष अनुपा से बोला, ‘‘तुम ऐसे क्यों छुईमुई सी
हुई जा रही हो? एक बार शादी
हो चुकी है…
और क्या तुम्हारे जीवन में कोई पुरुष नहीं है?’’
अनुपा को मनीष की बातें सुन कर झुर झुरी सी हो गई थी. फिर धीरे से मनीष ने अनुपा की थाई पर हाथ रख दिया.
अनुपा का मन वितृष्णा से भर उठा. उस ने ऊंची आवाज में कहा, ‘‘मनीष कार रोक दो.’’
मनीष गुस्से में बोला, ‘‘सब पता है
तुम्हारी जैसी औरतों का… 36 जगह
मुंह मारने के बाद मेरे सामने सतीसावित्री बनने का नाटक कर रही है.’’
अनुपा बिना कोई जवाब दिए कार से उतर गई और सामने वाले कैफे में बैठ गई. बारबार अनुपा यही मनन कर रही थी कि क्या शादी वाकई उस के लिए जरूरी है, क्या वह ऐसे लोगों के साथ अपनी जिंदगी बिता सकती है?
जब शाम को अनुपा घर पहुंची तो शिखा दीदी गुस्से में बोली, ‘‘इतनी मुश्किल से मैं ने मनीष को मनाया था पर तुम्हें तो शायद चिडि़या की तरह हर डाली पर फुदकने की आदत पड़ गई है. तुम घोंसला कैसे बना सकती हो.’’
उधर मम्मीपापा का भी इमोशनल ड्रामा
शुरू हो गया था, ‘‘हम अपना घरद्वार छोड़े
बैठे हैं.’’
अनुपा ने शांत स्वर में कहा, ‘‘मम्मीपापा आप कुछ दिनों के लिए दीदी या भाई के
यहां चले जाएं. आप मेरे बारे में चिंता न करें.
मैं अपनी जिंदगी अपने हिसाब से गुजारना
चाहती हूं.’’
अनुपा की बात सुन कर जहां मम्मी ने रोनाधोना शुरू कर दिया वहीं शिखा
दीदी ने एकाएक पैतरा बदल लिया, ‘‘अरे, तु झे मम्मीपापा अकेला कैसे छोड़ सकते हैं. अभी हम तु झे शादी के लिए फोर्स नही करेंगे पर अनुपा तेरे ख्वाबों के सपनों का राजकुमार तो अब इस उम्र में तो नहीं मिलेगा.’’
अनुपा हंसते हुए बोली, ‘‘दीदी, मेरे ख्वाबों में कोई राजकुमार नहीं आता है. मेरे ख्वाबों में बस मैं ही मैं हूं, जो हर दिन से कुछ नया सीख कर एक साहसी महिला के रूप में खुद को पहचान रही है.’’
‘‘कभी कोई ऐसा मिला जो मेरे साथ मेरे ख्वाब सा झा कर सकेगा तो जरूर शादी करूंगी.’’
शिखा दीदी और मम्मीपापा अनुपा की
बातें सुन कर उसे अजीब नजरों से देख रहे थे, मगर वे लोग भी तो अपनेअपने स्वार्थ के कारण मजबूर थे.