उसएक रौंग कौल ने जैसे मेरी बेरंग जिंदगी को रंगीन बना दिया. वीराने में जैसे बहार आ गई. मेरा दिल एक आजाद पंछी की तरह ऊंची उड़ान भरने लगा.
ये सब उस रौंग कौल वाले रंजीत की वजह से था. उस की आवाज में न जाने कैसी कशिश थी कि न चाहते हुए भी मैं उस की कौल का इंतजार करती रहती थी. जिस दिन उस की कौल नहीं आती, मैं तो जैसे बेजान सी हो जाती थी. उस की कौल मेरे लिए नई ऊर्जा का काम करती थी.
गुड मौर्निंग से ले कर गुड नाइट तक न जाने कितनी कौल्स आ जाती थीं उस की. उस की खनकती आवाज मेरे कानों में शहनाई सी बजाती थी. मीठीमीठी बातें रस सी घोल जाती थीं. रंजीत मुझे अपनी सारी बातें बताने में जरा भी नहीं हिचकिचाता था. और एक मैं थी, जो चाहते हुए भी सारी बात नहीं बता पाती थी. मेरे अंदर की हीनभावना कुछ बोलने ही नहीं देती थी.
रंजीत ने मुझे बताया था कि वह एक आर्मी अफसर था, पैर में दुश्मन की गोली लगने की वजह से उस का पैर काट दिया गया था. यह बात बताने में भी वह बिलकुल शरमाया नहीं था, बल्कि बड़े गर्व से बताया था.
2 दिन हो गए थे रंजीत की कौल आए हुए. ये 2 दिन 2 सालों के समान थे. वह मुझ से नाराज था. उस का नाराज होना शायद जायज भी था.
उस ने सिर्फ इतना ही तो कहा था मुझ से कि लता व्हाट्सऐप पर अपनी प्रोफाइल
पिक्चर लगा दो. मैं ने उसे डांटते हुए कहा था कि मेरी मरजी मैं लगाऊं या न लगाऊं. तुम कौन होते हो मुझे और्डर देने वाले? रंजीत चुप हो गया था.
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