निक्की जानती थी कि वह अनवर की उपेक्षा करती रहती है. मगर इस से वह दूसरी शादी कर लेगा उसे उम्मीद भी नहीं थी. वह उस औरत से मिलना चाहती थी और जब मिली तो उस के पैरों तले जमीन खिसक गई...

‘‘अरे, तुम कब आए?’’ जब वह नीलो के घर से वापस आई तो साजिद को देख कर उस से पूछ बैठी.

‘‘आं...’’ उस की बात सुन कर साजिद कुछ इस तरह चौंक पड़ा जैसे उस ने उस की कोई चोरी पकड़ ली हो.

‘‘बस अभीअभी...’’

‘‘तुम इतने घबरा क्यों रहे हो?’’ वह उल?ान में पड़ गई, ‘‘बात क्या है?’’

‘‘नहीं, कुछ भी तो नहीं,’’ साजिद बोला.

‘‘तुम्हारे दूल्हा भाई मिले थे?’’ उस का माथा ठनका.

‘‘हां,’’ कह कर साजिद ने सिर ?ाका लिया.

‘‘क्या कहा?’’ उस ने पूछा तो साजिद कुछ देर मौन रहा, फिर धीरे से बोला, ‘‘कुछ नहीं.’’

‘‘सज्जो,’’ वह बोली, ‘‘लगता है, तुम मु?ा से कुछ छिपा रहे हो. बात क्या है? मु?ा से साफसाफ कहो न.’’

‘‘तुम सुन नहीं सकोगी, बाजी,’’ साजिद ने गंभीर स्वर में कहा तो उस का भी मन धड़क उठा और उसे विश्वास हो गया कि जरूर कहीं कुछ गड़बड़ है.

‘‘मु?ा से साफसाफ कहो, क्या बात हुई?’’ उस ने बड़ी मुश्किल से कहा.

‘‘दूल्हा भाई रास्ते में मिले थे,’’ साजिद बोला, ‘‘उन के साथ एक लड़की थी. उन्होंने बड़ी बेरुखी से बात की और कहा, जा कर अपनी बाजी से कह दो, अब मु?ो उस की कोई जरूरत नहीं है, मैं ने दूसरा निकाह कर लिया है. यह मेरी दूसरी बीवी है...’’

‘‘नहीं,’’ साजिद की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि  वह चीख उठी और पागलों की तरह बड़बड़ाने लगी, ‘‘यह नहीं हो सकता, यह नहीं हो सकता.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...