चाइल्ड स्पैशलिस्ट पूरे रोहतक में डंका बजता. बच्चे को कोई भी तकलीफ हो बस उन्होंने अगर बच्चे को छू भी लिया तो सम झो वह ठीक. उन का एक ही बेटा था आदित्य. स्कूलिंग के लिए देहरादून में दून स्कूल में एडमिशन कराया.
डाक्टर रवि का सपना कि मेरा बेटा मु झ से भी काबिल डाक्टर बने. लेकिन आदित्य को तो कहीं और ही उगना था. उस का सपना था कि वह वर्ल्ड फेमस कोरियोग्राफर बनेगा.
खैर, स्कूल के बाद इसलिए कालेज की पढ़ाई करने मुंबई गया ताकि पढ़ाई भी पूरी हो जाए और शौक भी. पढ़ाई तो पूरी न हो सकी अलबत्ता शौक पूरा हो गया. कोरियोग्राफी सीखने लगा.
वहां पर किसी से मुहब्बत हो गई. मातापिता को बताया तो पापा बोले, ‘‘आदित्य, तेरी खुशी से बढ़ कर हमारे लिए इस जहां में और कुछ नहीं, अगर तु झे लगता है कि वह लड़की तेरे लिए सही है तो हमें क्या एतराज हो सकता है.’’
‘‘लेकिन पा... पा वो... वो... नताशा खान है,’’ आदित्य थोड़ा सा झिझकते और हकलाते हुए बोला.
‘‘अरे तो क्या हुआ बेटा? तुम घबरा क्यों रहे हो. ये हिंदूमुसलिम हम इनसानों ने बनाए? कुदरत ने नहीं. उस ने तो केवल इनसान बनाया था... हम उस के मातापिता से बात करते हैं.’’
‘‘थैंक्यू पापा, थैंक्यू मम्मी...’’ वह खुश हो कर मांपापा के गले लग गया.
मगर उधर नताशा ने अपने घर में आदित्य के बारे में बताया तो भूचाल आ गया.
‘‘कान खोल कर सुन लो नताशा, आदित्य से तुम्हारी शादी नहीं हो सकती और आज के बाद इस घर में मु झे आदित्य का नाम सुनाई नहीं देना चाहिए,’’ नताशा के डैड ने फरमान सुना दिया.
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