सुबह के 11 बजे थे. दरवाजे की घंटी बजी तो अहाना ने बाहर आ कर देखा. यह क्या. शादी का कार्ड? किस ने भेजा होगा? लिफाफा खोला तो लाल और सुनहरे अक्षरों में ‘अभिषेक वैड्स रौशनी’ देख कर आंखों से खुशी के आंसू छलक आए. नैनों से अकस्मात हुई वर्षा में मनमयूर नाच उठा. जब मन की चंचलता काबू में न रही तो वह अतीत की यादों में खो गई….
अभिषेक उस का सहपाठी था जिस के 2 ही अरमान थे. पहला आईएएस में चयन और दूसरा अहाना का जीवनपर्यंत का साथ. अभिषेक सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहा था और अहाना पोस्ट ग्रैजुएशन फाइनल ईयर में थी. दोनों के मन में एक ही सवाल आता कि उन की मुहब्बत अंजाम तक पहुंचेगी या नहीं? उन का साथ हमेशा के लिए होगा कि नहीं?
वह कहते हैं न कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. जब उन के प्यार की बात अहाना के पिता तक पहुंची तो वे बुरी तरह बिफर गए. कड़क कर बोले, ‘‘पढ़ने गए थे तो पढ़ाई करते. प्यार में पड़ने की क्या जरूरत थी?’’
वैसे भी ‘जाके पैर न फटे बिवाई सो क्या जाने पीर पराई’ जो इस राह पर चले ही न हों उन्हें पैरों में चुभने वाले कांटों का अंदाजा भला कैसे होता. अभिषेक के घर में भी लगभग वही प्रतिक्रियाएं थीं. सचाई तो यह थी कि उन के प्रेम को किसी ने नहीं सम?ा. दोनों का मासूम प्यार परिवार के हित में बलि चढ़ गया.
‘‘तुम्हारे पिता का आत्मसम्मान बहुत ज्यादा है. वे टूट जाएंगे पर ?ाकेंगे नहीं. अगर उन्हें कुछ हो गया तो मैं अकेली कैसे तुम सब की देखभाल करूंगी? मेरी पूरी गृहस्थी चरमरा जाएगी. तुम्हारे बहनभाइयों का क्या होगा?’’
मां ने हर संभव मानसिक दबाव बना डाला था, जबकि अहाना अभिषेक के प्यार में आकंठ डूबी थी. उस का स्थान किसी और को देने की सोच भी नहीं सकती थी. जननी व जनक के आशीर्वाद देने वाले हाथ याचना में जुड़े थे. जो हाथ आज तक देते आए थे वे कुछ मांगने के लिए जोड़े गए थे. पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई थी और दिमाग सुन्न हुआ जा रहा था. उसे अपनी खुशियां देनी थीं. अपने जीवन का हक अदा करना था. मातापिता से तो जिद भी कर लेती पर बहनभाइयों के प्रति अपराधबोध ले कर कहां जाती. बड़े ही बेमन से उस ने उन की इच्छा के आगे समर्पण कर दिया. उसे पता था कि उस की सांसें चलेंगी पर जीवन न होगा और ऐसा अनर्थ आजीवन होगा.
दूल्हा, बराती, गाजेबाजे जैसे सब तैयार ही बैठे थे. मन धिक्कारता रहा, मन रोता रहा. मगर उस ने खुद को मिटा कर दुलहन का लिबास पहन लिया. चट मंगनी पट ब्याह संपन्न हो गया. दर्द जब हद से बढ़ जाये तो साथ सैलाब लाता है. एक ऐसा सैलाब जो अपने साथ सब बहा ले जाता है और ऐसा ही हुआ जब पति ने पूछा, ‘‘तुम इतनी इंटैलीजैंट और स्मार्ट हो, तुम्हारी शादी तो ‘क्लास वन अफसर’ से हो सकती थी तुम खुद भी कुछ बन सकती थी. ऐसे में मु?ो क्यों चुना? क्या तुम्हारे पेरैंट्स तुम से प्यार नहीं करते?’’
यह सुनते ही अहाना फूटफूट कर रो पड़ी. फिर तो आंसुओं के साथ सारा गुबार बाहर आ गया.
‘‘पसंद तो मैं ने भी आईएएस ही किया था भावी आईएएस पर अपने सम्मान के लिए मेरे अपनों ने मेरे सपनों पर पानी फेर दिया.’’
आकाश उस के पति के लिए यह सुनना और सम?ाना आसान न था. कुछ पलों की खामोशी के बाद अहाना को शांत करते हुए बोला, ‘‘आज से हमारे सुखदुख एक हैं. मैं तुम्हारे जीवन में खुशियां लाऊंगा.’’
अहाना आश्चर्य से उस की ओर देखते हुए पूछ बैठी, ‘‘आप को मेरे प्यार की बात बुरी नहीं लगी? मैं ने तो इस विषय पर आज तक आलोचना ही सही है?’’
‘‘नहीं. प्यार तो दिलों का मेल है जो जानेअनजाने में हो जाता है. लड़कों को भी होता है. लड़कियां दिल से लगा बैठती हैं और लड़के व्यावहारिकता अपनाते हैं. तुम तो मु?ो बस यह बताओ कि मैं तुम्हारी मदद कैसे करूं?’’
‘‘यह तो मु?ो भी नहीं पता पर अपना पक्ष रखने का भी अधिकार नहीं मिला मु?ो. काश कि मैं एक बार उस से मिल पाती. उस से किया वादा न निभाने के लिए क्षमा मांग पाती…’’
पत्नी की सचाई ने मन मोह लिया. जाने कैसे पर एक दर्द का रिश्ता जुड़ गया. उसे समझ में आ गया कि जबरन हुए विवाह से अहाना घुट रही है. वर्तमान को स्वीकार करने में अभिषेक ही मददगार साबित होगा. यह सोच कर आकाश ने अहाना को उस की खोई हुई खुशियों से रूबरू कराने का फैसला किया. उस ने कालेज रिकौर्ड्स से अभिषेक का पता किया.
अभिषेक ने एअरफोर्स जौइन कर लिया था और ट्रेनिंग के लिए हैदराबाद गया था. यह जानकारी मिलते ही आकाश ने दफ्तर से 1 हफ्ते की छुट्टी ली और अहाना से हनीमून के लिए सामान पैक करने के लिए कहा. आकाश की मंशा से अनजान अहाना ने सामान पैक कर लिया. वहां जा कर जो खुशियां मिलीं उस से तो वह हमेशा के लिए आकाश की हो कर रह गई.
आकाश ने अभिषेक को होटल में मिलने के लिए बुलाया. यह अहाना के लिए बहुत बड़ा सरप्राइज था. अभिषेक को देख कर बहुत खुश हुई. उसे खुश देख कर आकाश को मानसिक शांति मिल रही थी. अभिषेक थोड़ा किंकर्तव्यविमूढ़ था पर जल्द ही आकाश के स्वभाव ने उसे भी कंफर्टेबल कर दिया. वह दिन में अपनी ट्रेनिंग खत्म कर रोज शाम को मिलने आता. रात का खाना सब साथ खाते, हंसतेगुनगुनाते और फिर लंबी वाक पर निकल जाते. अभिषेक और आकाश की खूब बातें होतीं और यह देख कर अहाना को लगता जैसे उस की दुनिया फिर से खूबसूरत हो गई है.
इस तरह 5 दिन निकल गए तो छठे दिन आकाश ने अपनी खराब तबीयत का बहाना बना कर दोनों को एकसाथ टहलने भेज दिया. जानता था कि एक बार अकेले में मिल कर ही वे अपना मन हलका कर सकेंगे. अहाना का अपराधबोध से बाहर आना उन के सुखी दांपत्य के लिए जरूरी था.
‘‘तुम्हें तो आईएएस बनना था फिर एअरफोर्स क्यों जौइन कर लिया अभिषेक?’’ अहाना ने पूछा.
‘‘तुम से बिछड़ने के बाद आसमान से इश्क हो गया… देखो. कैसे सुखदुख में एक सी छत्रछाया देता है हमें…’’ अभिषेक ने कहा.
‘‘उफ, फिलौस्फर, मु?ा से नाराज हो? हम दोनों के जीवन का फैसला मैं ने न जाने अकेले क्यों ले लिया…’’ अहाना ने कहा.
‘‘न अहाना. बिलकुल नहीं. मैं जानता हूं, तुम ने हर संभव कोशिश की होगी. गलती हमारी नहीं बल्कि हमारे परिवार वालों की है जिन्होंने हमारी खुशियों पर अपनी खुशियों को तरजीह दी. उन के निर्णय का हमारी जिंदगी पर क्या असर होगा इस की भी परवाह नहीं की.’’
‘‘आखिर हम ने ऐसा क्या मांग लिया था अभि?’’
‘‘उन का अभिमान हमारे स्वाभिमान से बहुत बड़ा है सो उन्होंने अपनी ही बात ऊपर रखी. खैर, जो हो न सका उस का कितना रोना रोया जाए. बेहतरी इसी में है कि जो मिला है उस की कद्र करो. आकाश बहुत अच्छा इंसान है जिस ने तुम्हारा इतना खयाल रखा और हमारे रिश्ते को सम्मान की नजर से देखा. यह जो आज हम मिल रहे हैं यह उसी महान इंसान की बदौलत है… जो मिला है वह भी कम तो नहीं.’’
अहाना और अभिषेक इन खूबसूरत पलों को हमेशा के लिए संजो लेना चाहते थे. तभी एक जरूरतमंद इंसान ‘जोड़ी सलामत रहे’ की दुआ देते हुए पैसे मांगने लगा.
‘‘इस बार पैसे तू देगी अहाना,’’ अभि ने छूटते ही कहा तो अहाना खिलखिला कर हंस पड़ी.
‘‘यों ही हंसती रहा कर.’’
‘‘मेरी छोड़ो अपनी बताओ अभिषेक. तुम क्या करोगे अकेले?’’ उस के स्वर में दर्द था, उस की चिंता थी.
‘‘शादी करूंगा और क्या… स्मार्ट आदमी हूं. इतनी बुरी शक्ल तो नहीं है मेरी…’’
‘‘हा… हा… हा…’’ अहाना तो उस के सैंस औफ ह्यूमर की फैन थी.
दोनों के कहकहे देर तक उन वादियों में गूंजते रहे. ऐसा लग रहा था मानो सब पर तरुणाई छा गई हो. ठंडी हवाएं उन्हें छू कर वापस लौट आती मानो पकजमपकड़ाई खेल रही हों. चांद जो उन के अद्भुत प्रेम का सब से बड़ा गवाह था, वह भी उन के मधुर वार्त्तालाप को सुन कर मंदमंद मुसकरा रहा था.
कितनी पवित्रता थी उन की सोच में… वे साथ थे और नहीं भी. ऐसे निश्छल प्रेम पर आकाश भला क्या संदेह करता. वह तो बस इतना चाहता था कि विरही व अतृप्त हृदय तृप्त हो जाएं ताकि अहाना खुशीखुशी अपनी नई जिंदगी जी सके.
अभिषेक ने घड़ी देखी 10 बज गए थे. उस ने अहाना को होटल तक
छोड़ा और उस से विदा लेते हुए एक वादा लिया, ‘‘वादा कर हमेशा खुश रहेगी?’’
‘‘वादा.’’
‘‘मेरी दुनिया भी रौशन हो जाए ऐसी दुआ करना. सुना है अपनों की दुआओं में बड़ी ताकत होती है,’’ जातेजाते अभिषेक ने अहाना से कहा.
‘‘जरूर,’’ अहाना ने हामी भरी.
इस बात के 6 महीने ही बीते और आज शादी का निमंत्रणपत्र पा कर वह अपराधबोध से बाहर आ गई. वह अभिषेक की खुशी में बहुत खुश थी. उस की दुआ जो कुबूल हो गई थी.
‘‘उफ सोचतेसोचते शाम हो गई. आकाश आते ही होंगे.’’
वह आकाश की पसंद की पोशाक पहन कर तैयार हो गई. महीनों बाद उस का मन आजाद पंछी सा उड़ना चाह रहा था.
कौन कहता है कि प्यार दोबारा नहीं होता. वह आकाश से यों ही तो नहीं जुड़ गई है. हां. इस में थोड़ा वक्त लगा. किसी भी रिश्ते की मजबूती के लिए प्यार, विश्वास व वक्त तीनों लगते हैं. रिश्ते की नींव रखते वक्त ही निवेश करना पड़ता है. आकाश ने जिस सम?ादारी से अहाना को संभाला ऐसा कम ही देखने को मिलता है.्र
सच जब 2 दिल एकदूसरे के दर्द को जीने लगते हैं तो प्यार गहरा होता जाता है. ऐसे में पहला प्यार बचपना और दूसरा ज्यादा अपना लगता है.