शिकागो में एक बड़ी कंपनी में ब्रांच मैनेजर के पद पर कार्यरत नव्या अपने स्टूडियो अपार्टमैंट में बीन बैग पर एक मुलायम कंबल में दुबकी टीवी पर अपना
पसंदीदा टौक शो देख रही थी कि तभी बैल बजी. उस ने अलसाते हुए उठ कर दरवाजा खोला.
उस के सामने दुनिया के 8वें अजूबे के रूप में उस का एक जूनियर
सेल्स ऐग्जिक्यूटिव हाथों में सुर्ख ट्यूलिप्स का एक बुके लिए खड़ा था. ‘‘हाय नैवेद्य, तुम यहां? तुम्हें मेरे घर का पता किस ने दिया?’’ नव्या के स्वर में तनिक तुर्शी घुल आई थी.
वह अपनी व्यक्तिगत और प्रोफैशनल लाइफ अलगअलग रखने में विश्वास रखती थी. अपने जूनियर ट्रेनी को अपने दरवाजे पर यों शाम के वक्त
देख वह तनिक खीज सी गई, लेकिन अगले ही क्षण अपनी इरिटेशन को छिपाते हुए वह अपने स्वर को भरसक सामान्य बना उस से बोली, ‘‘आओ… आओ…
भीतर आओ.’’
‘‘थैंक्यू नव्या,’’ कहते हुए नैवेद्य उस के ठंडे लहजे से तनिक हिचकिचाते हुए कमरे में घुसा.
‘‘बैठोबैठो. बताओ कैसे आना हुआ?’’ उस की
असहजता भांपते हुए नव्या ने इस बार तनिक नर्मी से पूछा.
उस के सामान्य लहजे से नैवेद्य की अचकचाहट खत्म हुई और वह उस की ओर अपने हाथों में थामा
हुआ बुके बढ़ाता हुआ अपने चिरपरिचित हाजिरजवाब अंदाज में एक नर्वस सी मुसकान देते हुए बोला, ‘‘यह तुम्हारे लिए नव्या.’’
‘‘मेरे लिए? अरे भई किस
खुशी में? मैं कुछ समझी नहीं.’’
‘‘बताऊंगा नव्या, बहुत लंबी कहानी है.’’
‘‘व्हाट? लंबी कहानी है, अरे भई, यह सस्पेंस तो क्त्रिएट करो मत. बता डालो जो भी
है,’’ लेकिन नैवेद्य इतनी जल्दी मन की बात जुबान पर लाने में हिचक रहा था.
तभी नव्या का कोई जरूरी फोन आ गया और वह उसे अटैंड करने अपार्टमैंट में
लगे पार्टीशन के पार चली गई.
नैवेद्य अपने खयालों की दुनिया में खो गया…
वह और नव्या एक ही कंपनी में सेल्स विभाग में थे. नव्या उस की ब्रांच मैनेजर थी और
वह उस के मातहत एक सेल्स ऐग्जिक्यूटिव. उन दोनों का साथ लगभग 1 साल पुराना था.
नैवेद्य अपनी नौकरी की शुरुआत से उस के प्रति एक तीव्र खिंचाव महसूस करता आ रहा था. जब भी वह उस के साथ होता, उस से बातें करना, उस के इर्दगिर्द रहना बेहद अच्छा लगता. औफिस में उस की उपस्थिति मात्र से वह मानो खिल जाता. पहली नजर में उस से प्यार तो नहीं हुआ था, लेकिन हां पहली बार में ही उस से नजरें मिलाने पर न जाने क्यों उस के हृदय की धड़कन तेज हो आईं. वक्त
के साथ उस का सौम्य, सलोना, संजीदा चेहरा दिल की गहराइयों में उतरता गया.
पिछले सप्ताह ही कंपनी की सेल्स ट्रेनिंग कौन्फ्रैंस खत्म हुई थी. उस में उस के साथ
कुछ दिनों तक निरंतर रहने का मौका मिला. नव्या ने ही उस के ग्रुप की ट्रेनिंग ली थी.
ट्रेनिंग खत्म होतेहोते वह पूरी तरह से नव्या के प्यार में डूब चुका था. इतना
कि शाम को ट्रेनिंग से घर लौटता, तो एक अबूझ से खालीपन की अनुभूति से भर जाता. उस का दिल उस के बस में नहीं रहा था. उस का मन करता कि नव्या हर
समय उस की आंखों के सामने रहे. जबजब वह उस के पास होता, मन में जद्दोजहद चलती रहती कि वह उस के प्रति अपनी फीलिंग का उस से खुलासा कर दे,
लेकिन औफिस में नव्या का उस के समेत सभी ट्रेनीज के प्रति उस का पूरी तरह से प्रोफैशनल रवैया देख उस की उस से इस मुद्दे पर कुछ कहने की हिम्मत नहीं
होती.
मगर उस दिन सेल्स ट्रेनिंग कौन्फ्रैंस के आखिरी दिन कुछ ऐसा हुआ कि वह उस से
अपने प्यार का इजहार करने आज उस के घर तक चला आया.
उस दिन
दोपहर लंच होने से पहले ही कौन्फ्रैंस औपचारिक रूप से खत्म हो गई
थी और औफिस कैंटीन में सब हलकेफुलके माहौल में एकसाथ लंच करने लगे.
लंच करते वक्त
एक साथी ट्रेनी ने अपनी शादी का कार्ड नव्या और सभी ट्रेनीज को दिया.
उस की शादी से बातों का रुख मैरिज, प्यार, मुहब्बत, अफेयर की ओर मुड़ गया.
उस दिन
नव्या भी खासे रिलैक्स्ड मूड में
थी और सब के साथ हंसतेमुसकराते हुए बातें कर रही थी.
उसी चर्चा के दौरान नव्या ने एक साथी ट्रेनी से पूछा, ‘‘तुम्हारी शादी नहीं
हुई अभी तक?’’
‘‘नहीं नव्या. अभी तक मैं उस खास की तलाश में हूं, जिस के साथ पूरी जिंदगी बिता सकूं.’’
‘‘ओह, अभी तक तुम्हें कोई भी लड़की ऐसी
नहीं मिली, जिस ने तुम्हारे दिल के तारों को छुआ हो?’’
‘‘नव्या, बहुत पहले जब मैं बस 17-18 साल का था, एक लड़की को अपना बनाने की शिद्दत से
तमन्ना हुई थी, लेकिन तभी मुझे पता चला कि उस का औलरेडी कोई बौयफ्रैंड है. बस तब जो मेरा दिल टूटा, तो आज तक नहीं जुड़ पाया. आज तक टूटा दिल ले
कर घूम रहा हूं.’’
‘‘ओह, अभी तक… वैरी सैड.’’
तभी अचानक नव्या ने अभी के साथ बैठे उस से भी अपना प्रश्न कर डाला, ’’और भइ नैवेद्य, तुम भी तो
कुछ अपनी सुनाओ? तुम
अभी तक सिंगल हो या किसी के साथ
कमिटमैंट में?’’
‘‘नव्या मुझे लड़की तो मिल गई है, लेकिन उस से अपने प्यार का इजहार करने
की हिम्मत नहीं होती मेरी.’’
‘‘क्यों, कोई हिटलर है क्या, जो तुम उस से इतना डरते हो?’’
‘‘नहीं, हिटलर तो नहीं है वह. मेरा लगभग रोजाना ही उस से
काफी मिलनाजुलना होता रहता है, पर पता नहीं क्यों उस से कभी मन की बात कह ही नहीं पाया. इस स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए, तुम ही बताओ.’’
उस की
ये बातें सुन वह हो हो कर जोर से हंस पड़ी.
उसे यों हंसता देख कर उस की हिम्मत बढ़ी और वह उस से पूछ बैठा, ‘‘बताओ न नव्या. मैं भी अपने इस एकतरफा
प्यार से बेहद परेशान हो गया हूं.’’
‘‘अरे भई, मेरा तो मानना है, जो डर गया, वह मर गया. तो आज ही उस से अपनी फींिलग शेयर कर डालो और हां, अगर
लड़की पट जाए तो मुझे मिठाई खिलाना मत भूलना.’’
‘‘नहींनहीं, बिलकुल नहीं. थैंक यू सो मच नव्या,’’ और नव्या ने फिर से खिलखिलाते हुए उसे जवाब
दिया, ‘‘मोस्ट वैलकम नैवेद्य, माई प्लेजर.’’
बस उसी दिन उस ने मन ही मन सोच लिया कि वह आज ही उस के घर जाएगा और उस से अपने मन की बात
शेयर करेगा और इसीलिए वह अभी नव्या के घर पर था.
तभी नव्या फोन पर अपनी बातचीत खत्म कर उस के पास आ गई.
‘‘हां नैवेद्य, तुम मुझे कुछ बताने वाले
थे.’’
नव्या की इस बात पर वह बेहद नर्वस महसूस कर रहा था कि तभी जेहन में उसी के उस दोपहर को हुए शब्द गूंजे कि जो डर गया, वह मर गया और बहुत हिम्मत जुटा कर तनिक घबराते हुए वह बोला, ‘‘नव्या… नव्या मुझे तुम से प्यार हो गया है.’’
‘‘क्या…क्या… क्या बोला तुम ने? तुम्हें मुझ से प्यार हो गया है.
व्हाट रबिश,’’ और यह कहते हुए वह जोर से खिलखिला उठी. ‘‘सीरियसली? आर यू किडिंग?’’