कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
0:00
12:24

सूरत ज्यादा अच्छी न हो और उम्र 30 पार कर जाए तो रिश्ते घर का दरवाजा भूल जाते हैं. कभी भूलेभटके कोई रिश्ता आ भी जाता है तो ऐसा होता है कि आप उसे कुबूल नहीं कर पाते, बहुत कमतर. आजकल हानिया इसी मुश्किल से गुजर रही थी. नाकनक्शा तो अच्छा था मगर रंग सांवला था. बड़ीबड़ी आंखें जिन में गजब की कशिश थी पर पता नहीं लड़के वालों की पहली मांग गोरा रंग ही क्यों होती है. नाकनक्शा कैसा भी हो पर रंग गोरा हो तो लड़की पसंद कर ली जाती है, भले लड़का काला हो. हानिया से छोटी बहन सानी, जिस का रंग गोरा था, की 3 साल पहले शादी हो गई थी. आज एक बच्चे की मां थी. हानिया 32 साल की हो रही थी पर कहीं कोई बात नहीं बन रही थी. न कोई ढंग का रिश्ता आ रहा था न कहीं बात चल रही थी. कभी किसी कम पढ़ेलिखे व कम पैसे वाले की बहनें देखने आ जातीं या कभी 40-45 साल के आदमी, जिन के औलाद न हुई हो या बीवी की मृत्यु हो चुकी हो, के बच्चे संभालने को रिश्ता आ जाता. हानिया के अम्मीअब्बा पढ़ेलिखे, सुलझे हुए थे. वे इस विचार के थे कि पढ़ीलिखी बेटी को गलत रिश्ते में झोंकने से अच्छा है वह कुंआरी  रहे.

हानिया ने फैशन डिजाइनिंग में डिप्लोमा कर लिया था और उसी इंस्टिट्यूट में जौब कर रही थी. सब से अच्छी बात यह थी कि उसे इस बात का कोई कौम्प्लैक्स नहीं था कि उस से पहले छोटी बहन की शादी हो गई, बल्कि उस ने ही सानी का रिश्ता आने पर मांबाप को उस की शादी कर देने के लिए राजी किया था. उस ने उन्हें यह तल्ख हकीकत समझाई थी कि अच्छे रिश्ते बारबार नहीं आते. इस तरह उस से पहले सानी की शादी हो गई. हानिया के ताया और ताई उसे खूब प्यार करते थे. उन का एक ही बेटा था सलमान, बेटी की कमी हानिया से पूरी हो जाती थी. वह वक्त मिलने पर अकसर ही ताया के यहां चली जाती. उस के जाने से उस घर में रौनक आ जाती. उन का बेटा सलमान गंभीर स्वभाव का था. उस ने अपनी पसंद अनुशा से शादी की थी. अनुशा बहुत खूबसूरत थी. वह जितनी खूबसूरत थी उतनी ही स्वभाव की भी अच्छी थी, खूब हंसनेहंसाने वाली लड़की. हानिया से उस की खूब बनती थी. अच्छी दोस्ती के लिए अच्छी सोच का होना जरूरी था जो दोनों में खूब थी.

ये भी पढ़ें- मेरा अपना नीड़: विवाह नाम से ही अंशिका को क्यों चिढ़ थी? 

अनुशा की 2 साल की बेटी गजाला, हानिया की दीवानी थी. जैसे ही हानिया वहां पहुंचती, जिंदगी खिलखिला उठती. अनुशा को नईनई चीजें पकाने का बहुत शौक था. दोनों मिल कर खूब एक्सपेरिमैंट करतीं. जिंदगी इसी तरह गुजर रही थी. बीचबीच में हानिया के रिश्ते आते रहते पर ऐसे न होते जिन्हें कुबूल किया जाता. किसी रिश्तेदार की शादी में शिरकत कर के तायाताई, अनुशा और गजाला लौट रहे थे कि कार का ऐक्सिडैंट हो गया. सलमान औफिस की जरूरी मीटिंग की वजह से शादी में नहीं जा सके थे. ताया और अनुशा मौके पर ही खत्म हो गए. ताई के पैर की हड्डी टूट गई. गजाला को थोड़ी खरोंचें आई थीं. सारे खानदान में कोहराम मच गया. एक हंसतामुसकराता घर पलभर में बरबाद हो गया. हानिया उस के अम्मीअब्बा और भाई मंजूर, ताया के गम में बराबर के शरीक थे. मरने वाले तो मर गए पर अपने पीछे बेबसी और परेशानी छोड़ गए. ताई अस्पताल में ऐडमिट थीं. पैर के औपरेशन के बाद रौड डाल दी गई.

वक्त का काम गुजरना है. बड़े से बड़ा जख्म भी समय के साथ भर जाता है. ताई लकड़ी के सहारे चलने लगी थीं. हानिया उस के मांबाप, भाई इतने दिनों से ताया के घर पर ही थे. अब अपने घर लौट गए. वैसे घर पास ही था. घर में काम करने वाली बूआ का काम भी बढ़ गया था. वह बड़ी ईमानदार और हमदर्द औरत थी. इस बुरे वक्त में वह पूरा साथ दे रही थी. पर गजाला को संभालना उस के बस की बात न थी. इसलिए हानिया इंस्टिट्यूट से आते वक्त उसे साथ ले कर अपने घर चली जाती और सलमान औफिस से वापसी पर उसे पिक कर लेता. ताई छुट्टी के दिन हानिया और उस के छोटे भाई मंजूर को अपने घर पर बुला लेतीं. 3-4 महीने यही रूटीन रहा. सब ठीकठाक चल रहा था.

समय ऐसा भी आया कि हानिया के लिए एक अच्छा रिश्ता आ गया. लड़का 35-36 साल का था. उस की बीवी की बच्चे की डिलीवरी में मौत हो गई थी और बच्चे वगैरा नहीं थे. दुबई में अच्छी पोस्ट पर काम कर रहा था. रिश्ता हानिया के पापा के दोस्त लाए थे. हर तरह की तसल्ली दी, रिश्ता सभी को पसंद आया. सब लोग यह खुशखबरी सुनाने ताई के पास गए. ताई ने रिश्ते के बारे में सुन कर मुबारकबाद दी. पर उन का चेहरा उतर गया. उन्होंने बड़ी नरमी से देवर से कहा, ‘‘भाई अजहर, रिश्ता तो बहुत अच्छा है पर हम लोग हानिया के बगैर बेआसरा हो जाएंगे. मैं हानिया को अपने से दूर नहीं कर सकती. आप बस 15-20 दिन रुक जाएं. मैं सलमान की मरजी मालूम करती हूं. मैं हानिया को अपनी बहू बनाना चाहती हूं. गजाला को मां और मुझे बेटी मिल जाएगी. धीरेधीरे सलमान भी ऐडजस्ट हो जाएगा. बस, थोड़े दिन रुक जाइए.’’ अजहर साहब को भाभी से बड़ी हमदर्दी थी, भतीजे व पोती का बड़ा खयाल था, इसलिए बात दिल को लगी. हानिया की अम्मी भी बेटी को दूर नहीं भेजना चाहती थीं. वे भी इसी पक्ष में थीं कि सलमान से शादी हो जाए, बेटी पास में रहेगी. सलमान में कोई कमी न थी. उस की उम्र भी 36-37 साल ही थी, देखाभाला था. पर जो रिश्ता हानिया के लिए आया था वह भी एक शादी कर चुका था. जहां तक हानिया की मरजी जानने का सवाल था, वह मांबाप की खुशी में खुश थी. मंजूर, जो हानिया से 7-8 साल छोटा था, उसे भी सलमान पसंद था.

ये भी पढ़ें- बंटी हुई औरत: लाजो को क्यों कर दिया शेखर व विजय ने दरकिनार

ताई ने जब सलमान से हानिया से शादी करने को कहा तो उस ने साफ इनकार कर दिया, ‘‘मैं अनुशा से बहुत मुहब्बत करता हूं. मैं उसे भूल नहीं सकता. मैं उस की जगह दूसरी लड़की ला कर उस की जिंदगी बरबाद नहीं कर सकता. न मैं उस की जगह किसी को देना चाहता हूं.’’ ताई उस वक्त चुप हो गईं, क्या कहतीं. 4-5 दिन बाद गजाला को तेज बुखार आ गया. सलमान ने छुट्टी ली पर गजाला हानिया से ज्यादा अटैच्ड थी. सलमान से संभल ही नहीं रही थी, न कुछ खा रही थी, न दवा पी रही थी. एक ही दिन में सारा घर परेशान हो गया. 4 बजे हानिया आई. उस ने सब अच्छे से संभाल लिया. गजाला को चिकन सूप और दलिया खिलाया, दवा पिलाई. वह आराम से सो गई. उस ने 2 दिनों की छुट्टी ले ली. उस ने गजाला के ठीक होने तक सारी जिम्मेदारी उठा ली. तीसरे दिन वह ठीक हो गई. यह सब हानिया की मुहब्बत और देखभाल का कमाल था.

उस दिन छुट्टी थी, सलमान घर पर था. गजाला को बर्गर खाना था. बूआ को बनाना नहीं आता था. थकहार कर सलमान उसे हानिया के घर छोड़ आए. फिर ताई ने सलमान को जिंदगी की हकीकत समझाई, ‘‘बेटा, जब देखो तब तुम गजाला को हानिया के यहां छोड़ आते हो. बीमारी में भी वही उसे संभाल सकती है. अब उस के लिए दुबई से एक अच्छा रिश्ता आया है. जल्द ही वह शादी कर के दुबई चली जाएगी. फिर तुम क्या करोगे? मैं पैर व बीमारी से मजबूर हूं. बूआ घर का काम संभाल लेती है, यही बहुत है. गजाला को संभालना हमारे बस का नहीं है. मैं तुम्हें इसीलिए हानिया से शादी करने को कह रही हूं. घर की लड़की है, सबकुछ जानतीसमझती है और सब से बड़ी बात गजाला को बहुत प्यार करती है.’’

आगे पढ़ें- थोड़ी देर में ही हानिया ने गजाला को…

ये भी पढ़ें- कारवां: क्यों परिवार की ईर्ष्या झेल रही थी सौंदर्या

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...