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यश ने बहुत आशाभरी नजरों से उसे देखते हुए कहा, ‘‘मानसी, बिट्टू और मुझ में एक बात एक सी है. हम दोनों को बचपन में कंपनी देने वाला कोई नहीं था. उस के साथ होने पर मैं अपने बचपन में चला जाता हूं. मुझे उस से दूर मत करना. अपनी और बिट्टू की दुनिया में मुझे भी हमेशा के लिए शामिल कर लो प्लीज.’’

मानसी पसीने से भीग गई. सालों बाद किसी पुरुष ने स्पर्श किया था. दिल तेजी से धड़क उठा. वह तेजी से अपने घर में चली गई.

अगले ही दिन मानसी को एक मीटिंग के लिए बाहर जाना पड़ा. 3 दिन बाद जब वह लौटी तो उसे घर में एक अजीब सा सन्नाटा महसूस हुआ. उस ने ड्राइंगरूम में चुपचाप बैठी अपनी मम्मी को देखा जो उसे बहुत उदास लगी.

मानसी ने परेशान हो कर पूछा, ‘‘मम्मी, आप की तबीयत तो ठीक है? पापा और बिट्टू कहां हैं?’’

‘‘मेरी तबीयत ठीक है, तुम्हारे पापा कुलकर्णी साहब के घर पर हैं.’’

‘‘तुम्हारा टूर कैसा रहा? चलो हाथमुंह धो कर कुछ खापी लो.’’

‘‘मम्मी, बिट्टू कहां है?’’

इतने में मानसी के पापा, यश और उस के पापा सब लोग साथ चले आए. मानसी ने सब को नमस्ते की, फिर बेचैनी से पूछा, ‘‘बिट्टू कहां है?’’

मानसी के पापा ने बहुत ही थके स्वर में कहा, ‘‘कल मैं बाहर गया हुआ था, तुम्हारी मम्मी अकेली थी. सुधांशु आया हुआ है और वह जबरदस्ती बिट्टू को ले गया.’’

यह सुन कर मानसी के दिमाग में जैसे धमाका हुआ, जैसे किसी ने उस का दिल मुट्ठी में दबा लिया हो.

मानसी के पापा की आवाज भर्रा गई, ‘‘वह धोखेबाज आदमी जो शादी के फौरन बाद मेरी बेटी को छोड़ कर चला गया, जिस ने कभी बिट्टू की शक्ल नहीं देखी, अमेरिका में एक अंगरेज लड़की के साथ रहता है, उस के 2 बच्चे भी हैं, मुझे पता चला है बिट्टू के जरीए मेरी इकलौती बेटी के हिस्से की संपत्ति पर कब्जा जमाने आया है. अमेरिका में उस का धोखाधड़ी का व्यवसाय ठप हो चुका है.’’

मानसी का गला सूख गया. एक बोझ सा उसे अपने दिल पर महसूस हुआ.

तभी यश की गंभीर आवाज आई, ‘‘अंकल, धैर्य रखिए, सब ठीक हो जाएगा.’’

यश के पापा ने भी कहा, ‘‘मेरा दोस्त सैशन जज है, तुम टैंशन मत लो, मैं उस से सलाह करता हूं.’’

मानसी की मम्मी रोते हुए कहने लगीं, ‘‘वह कह रहा था बिट्टू मेरा भी

उतना ही बेटा है जितना मानसी का और वह उस के लिए कोर्ट तक जाएगा.’’

यश ने आंखों ही आंखों में उसे हिम्मत रखने को कहा तो मानसी ने अपनेआप को कुछ मजबूत महसूस किया. बोली, ‘‘तो ठीक है, मैं उस से कोर्ट में बात करने को तैयार हूं. मैं आज ही उस के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट करवाती हूं,’’  और फिर उस ने फोन करने शुरू कर दिए. परिणाम यह  हुआ कि रात को बिट्टू उस के पास था. वह कुछ डराडरा, सहमासहमा सा था. फिर उसे वकील की तरफ से सुधांशु का दिया हुआ नोटिस मिला.

उस ने बैंक से छुट्टी ले थी. वह बहुत परेशान थी. सब से ज्यादा परेशानी उसे बिट्टू के व्यवहार से हो रह थी. वह 2 दिन बाप के पास रह कर आया था और सुधांशु ने पता नहीं उसे क्या मंत्र पढ़ाया कि वह काफी उखड़ाउखड़ा सा था. बातबात पर उस से लड़ रहा था. कह रहा था, ‘‘आप ने मुझे मेरे पापा के बारे में क्यों नहीं बताया? पापा कितने अच्छे लगे मुझे.’’

मानसी कुछ देर सोचती रही, फिर बोली,  ‘‘हम दोनों अलग हो गए थे और तुम्हारे पापा

ने कभी तुम्हारी शक्ल तक  देखने की कोशिश नहीं की.’’

मानसी कभी सोच भी नहीं सकती थी कि उसे जीवन में कभी अपने बेटे के कठघरे में खड़ा होना पड़ेगा.

बिट्टू उलझन भरी नजरों से उसे देखता रहा फिर कहने लगा, ‘‘जब आप ने घर बदल लिया तो हमें कहां ढूंढ़ते?’’

उस समय छोटा सा बिट्टू मानसी को नौजवान लग रहा था. लगा सुधांशु ने उस की खूब ब्रेनवाशिंग कर दी है.

मानसी मानसिक रूप से बहुत थक गई थी. सुधांशु ने बिट्टू को लेने के लिए उस पर केस कर दिया था और अदालत से केस के दौरान हफ्ते में 2-3 बार बिट्टू से 2-3 घंटे बात करने की अनुमति भी ले ली थी.

उस दिन के बाद सुबह यश से उस का पहली बार आमनासामना हुआ. वह स्वयं ही उस से बच रही थी. यश आया और मानसी की मम्मी आशा के कहने पर उस के साथ नाश्ता करने बैठ गया. उस ने मुसकराते हुए मानसी का हाथ थपथपा दिया और इतना ही कहा, ‘‘मैं हर मुश्किल में तुम्हारे साथ हूं.’’

मानसी की आंखें भर आईं तो यश ने उस के सिर पर प्यार से हाथ रख दिया, हिम्मत रखो मानी, हम मिल कर इस समस्या का समाधान निकाल लेंगे.’’

उसी समय बिट्टू उठ कर आ गया और यश उसे गोद में बैठा कर प्यार से बातें करने लगा. बिट्टू यश से बातें करता हुआ काफी खुश दिखने लगा, तो मानसी को थोड़ा चैन आया.

अदालत में मुकदमा शुरू हो गया. वह संतुष्ट थी. उस ने बहुत होशियार वकील किया. उस दिन वह पापा के बजाय यश के साथ वकील से मिलने आई, लेकिन वहां अपने वकील के साथ सुधांशु को देख कर बुरी तरह चौंकी.

सुधांशु भी उसे यश के साथ देख कर चौंक गया और धमकी दी, ‘‘इस भूल में मत रहना कि मैं बिट्टू को छोड़ जाऊंगा.’’ उस की आवाज बहुत सख्त थी और त्योरियां चढ़ी हुई थीं.

‘‘मैं जरूर बिट्टू को आप के हवाले कर देती यदि मुझे अनुमान न होता कि 9 साल बाद आप के दिल में उस के लिए प्यार क्यों जागा है. बिट्टू के माध्यम से आप मेरी या पापा की संपत्ति में से कुछ भी पाने में सफल नहीं हो पाएंगे.’’

‘‘जो मेरे बेटे का हक है वह तो मैं हासिल कर के ही रहूंगा.’’

यश से रहा नहीं गया तो बोलो, ‘‘आप को जो भी कहना है कोर्ट में कहना,’’ फिर वह मानसी से बोला, ‘‘चलो, मानी, अपना समय मत खराब करो.’’

सुधांशु आगबबूला हो गया, ‘‘मैं अदालत को बताऊंगा कि मुझे उस घर में मेरे बच्चे का चरित्र बिगड़ने का डर है. जो मां अपने जवान होते बच्चे के सामने रंगरलियां मनाती फिरती हो, मैं उस के पास अपने बेटे को नहीं छोड़ सकता.’’

मानसी का चेहरा अपमान से लाल पड़ गया.

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